Saturday, August 10, 2019

हरबर्ट शिक्षण मॉडल Herbert Teaching Model

हरबर्ट शिक्षण मॉडल Herbert Teaching Model

हरबर्ट शिक्षण मॉडल Herbert Teaching Model

     हरबर्ट शिक्षण मॉडल को स्मृति स्तर या स्मरण शक्ति स्तर की शिक्षण व्यवस्था भी कहते है। इस स्तर पर छात्र केवल कण्ठस्थ कर तथ्यों की जानकारी करते है। यही करना है की इस स्तर पर प्रत्यास्मरण की क्रिया पर जोर दिया जाता है। तथ्यों को कण्ठस्थ करने की क्षमता का बुद्धि से सीधा सम्बन्ध नहीं होता। एक मन्द बुद्धि बालक भी तथ्यों को कण्ठस्थ करके आसानी से लम्बे समय तक याद रख सकता है जबकि इसके विपरीत भी हो सकता है।

    स्मृति स्तर के शिक्षण का बुद्धि से सह-सम्बन्ध नहीं होता फिर भी इस स्तर के शिक्षण से बौद्धिक विकास में सहायता अवश्य मिलती है। समस्या के समाधान में स्मृति स्तर बहुत सहायक होता है। कण्ठस्थ किए गए तथ्यों का छात्रों के विकास में बहुत योगदान होता है। कविता, पाठ, शब्दार्थ और उनका अभ्यास, संस्कृत के रूप, पहाड़े, गिनतियाँ, भाषा में वर्तनी, व्याकरण तथा ऐतिहासिक घटनाओं के शिक्षण का सम्बन्ध स्मृति स्तर से ही होता है। स्मृति स्तर के शिक्षण में संकेत अधिगम, श्रृंखला अधिगम तथा अनुक्रिया पर अधिक महत्त्व दिया जाता है। प्रश्नोत्तर विधि का इसमें कोई महत्व नहीं होता। हरबर्ट ने स्मृति स्तर के शिक्षण मॉडल के प्रारूप का वर्णन चार पक्षों में किया है -
  1. उद्देश्य
  2. संरचना
  3. सामाजिक प्रणाली
  4. मूल्यांकन प्रणाली
1. उद्देश्य- स्मृति स्तर के शिक्षण का उद्देश्य छात्रों में निम्नलिखित क्षमताओं का विकास करना है -
  • मानसिक पक्षों का विकास
  • तथ्यों प्रदत्त ज्ञान का विकास 
  • सीखे हुए तथ्यों का प्रत्यास्मरण रखना
  • सीखे हुए ज्ञान का पुन: प्रस्तुत करना
2. संरचना- हरबर्ट ने शिक्षण प्रक्रिया में प्रस्तुतीकरण पर अधिक बल दिया है। हरबर्ट ने एक पंचपदी प्रणाली का विकास किया जिसके पाँच सोपान इस प्रकार हैं -
  1. तैयारी करना 
  2. प्रस्तुतीकरण
  3. तुलना एवं समरूपता
  4. सामान्यीकरण
  5. उपयोग
3. सामाजिक प्रणाली- हरबर्ट ने शिक्षण को एक सामाजिक एवं व्यावसायिक प्रक्रिया कहा है, जिनमे से सामाजिक व्यवस्था का विशेष महत्त्व होता है। छात्र और शिक्षक इस सामाजिक व्यवस्था के सदस्य होते हैं। इस स्तर पर शिक्षक अधिक क्रियाशील रहता है। शिक्षक का मुख्य कार्य पाठ्य-वस्तु का प्रस्तुतीकरण करना, छात्रों की क्रियाओं को नियन्त्रित करना एवं उनको अभिप्रेरण प्रदान करना है। छात्र का स्थान इस शिक्षण प्रक्रिया में गौण होता है। वह केवल एक श्रोता की तरह करता है और शिक्षक को आदर्श मानकर उसका अनुसरण करता है। 
4. मूल्यांकन प्रणाली- स्मृति स्तर के शिक्षण में छात्रों का मूल्यांकन मौखिक तथा लिखित परीक्षाओं द्वारा किया जाता है। परीक्षा में रटने की क्षमता पर ही अधिक बल दिया जाता है। 

स्मृति स्तर के शिक्षण को ओर अधिक उपयोगी एवं एवं प्रभावशाली बनाने के लिए कुछ सुझाव दिये जा सकते है जो इस प्रकार है -
  • पुनरावृति एक लय में होनी चाहिए। 
  • पाठ्य-वस्तु सार्थक होनी चाहिए।  
  • प्रत्यास्मरण तथा पुनः प्रस्तुतीकरण का अधिक बल दिया जाना चाहिए। 
  • पाठ्य-वस्तु क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत होनी चाहिए। 
  • थकान के समय शिक्षण कार्य नहीं होना चाहिए। 
  • समग्र-पद्धति का प्रयोग करना चाहिए।  
  • शिक्षण के सभी बिन्दुओं को पूर्ण रुप से प्रस्तुत करना चाहिए। 
  • अभ्यास के लिए अधिक से अधिक समय दिया जाना चाहिए। 
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