शिक्षण की प्रकृति Nature of Teaching
शिक्षण की प्रकृति Nature of Teaching |
शिक्षण की प्रकृति सदैव सकारात्मक होती है। शिक्षण के माध्यम से छात्र में संज्ञानात्मक, भावात्मक और क्रियात्मक पक्षों का विकास किया जाता है। शिक्षण की प्रक्रिया में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शिक्षक के ज्ञान के द्वारा ही शिक्षार्थी को शिक्षण की प्रकृति का बोध होता है। विभिन्न शिक्षण पद्धतियों के आधार पर शिक्षण की प्रकृति को निम्न प्रकार से समझा गया है-
- शिक्षण कला एवं विज्ञान दोनों है।
- शिक्षण एक त्रिध्रुवीय प्रक्रिया है, जिसके तीन ध्रुव शिक्षक, शिक्षार्थी और पाठ्यक्रम होते है।
- शिक्षण एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है।
- शिक्षण एक अन्तःप्रक्रिया है।
- शिक्षण एक उपचरात्मक प्रक्रिया है।
- शिक्षण एक विकासात्मक प्रक्रिया है।
- शिक्षण एक भाषायी प्रक्रिया है।
शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षार्थियों की पाठ्यचर्या तथा विषयवस्तु का विश्लेषण तार्किक आधार पर किया जाता है। शिक्षण की इस तार्किक प्रक्रिया का प्रारूप छः स्तरों में विभाजित किया जाता है, जो कि निम्नलिखित है-
- अन्वेषण
- संलग्नता
- विस्तार
- व्याख्या
- मूल्यांकन
- मानक
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