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वैदिक एवं लौकिक साहित्य का परिचय एवं उसका उद्देश्य

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वैदिक एवं लौकिक साहित्य का परिचय एवं उद्देश्य वैदिक एवं लौकिक साहित्य का परिचय एवं उद्देश्य वैदिक साहित्य का परिचय वैदिक साहित्य – भारत के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित सप्तसिन्धु प्रदेश [1] के निवासियों की साहित्यिक अभिव्यक्ति मौखिक रूप से जिस भाषा में हुई उसे वैदिक संस्कृत कहते हैं। इस भाषा में बहुमूल्य साहित्यिक परम्परा चली जो धार्मिक एवं लौकिक विषयों से भी भरी थी। वैदिक साहित्य तात्कालिक समाज की प्रवृत्तियों को समझने में बहुत उपादेय है। वैदिक साहित्य के धार्मिक विषयों में यज्ञ , देवता , उनके स्वभाव , भेद आदि आते हैं , तो लौकिक विषयों में मानव की इच्छाएँ , संकट और उनके निवारण , समाज का स्वरूप , चिकित्सा , दान , विवाह आदि हैं। इनसे समाज के विविध पक्षों का बोध होता है। वैदिक साहित्य के विकास का समय 6000 ई. पू. से 800 ई. पू. तक माना जाता है। इस कालावधि में चार चरणों में साहित्य का विकास देखा जाता है – संहिता  ब्रह्मण  आरण्यक  उपनिषद् 1.     संहिता – संहिताओं में वैदिक मन्त्रों का संग्रह है। इनके चार मुख्य रूप हैं – 1)    ऋग्वेदसंहिता 2) ...