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Tuesday, April 16, 2024

Thales of Miletus

 थेल्स (Thales)

  • दार्शनिक जीवन 624 ई० पू० से 548 ई० पू० तक।

  • प्रमुख दार्शनिक विचार जल ब्रह्माण्ड का आर्क है। "Water is the arche".

  • प्रमुख उपाधि दर्शनशास्त्र का आरम्भकर्ता (अरस्तू ने यह उपाधि दी थी)

  • प्रमुख कथन सभी वस्तुओं में ईश्वर है।

Thales of Miletus

थेल्स को अरस्तू ने पश्चिमी दर्शनशास्त्र का जनक माना है। अरस्तू थेल्स के लिए सन्त शब्द का प्रयोग करते थे। थेल्स को पहला आयोनिक दार्शनिक माना जाता है। इनका दर्शन 'मिलेटस' में फला-फूला। यह एशिया माइनर में एक यूनानी कालोनी थी जो अब वर्तमान में टर्की में स्थित है। थेल्स यूनान के ऐसे पहले दार्शनिक थे जिन्हें राजनेता, गणितज्ञ और खगोलशास्त्री होने का गौरव प्राप्त था। थेल्स ने 28 मई 585 ई० पू० को होने वाले पूर्ण सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। इन्होंने सर्वप्रथम अपनी परछाई का परिकलन कर मिश्र के एक पिरामिड की ऊंचाई ज्ञात की थी। उन्होंने कहा था कि “जब कहीं किसी मनुष्य की परछाई उसके कद के बराबर हो जाती है तो पिरामिड की ऊँचाई उसकी प्रतिछाया के बराबर होती है”। थेल्स ने कुछ ज्यामितीय सिद्धान्त दिए, जो इस प्रकार है-

·       एक वृत अपने व्यास द्वारा द्विभाजित रहता है।

·       किसी भी समद्विबाहु त्रिकोण के आधार के कोण बराबर होते है। 

·       यदि दो सीधी रेखाएं एक दूसरे को कटती हैं तो विपरीत कोण समान होते हैं। 

·       यदि दो त्रिकोणों में दो कोण और एक पार्श्व समान हो तो दोनों त्रिकोण एक समान होते हैं।   

थेल्स का दर्शन

थेल्स को अरस्तू एक सन्त कहकर पुकारते थे क्योंकि वे उस समय के महान सात सन्तो में से एक थे। अरस्तू ने थेल्स को दर्शनशास्त्र का आरम्भकर्ता माना है। थेल्स पहले आयोनिक दार्शनिक थे जिन्होंने ब्रह्माण्ड के मूल तत्व के कारण के बारे में स्वयं को समर्पित किया था। थेल्स ने ब्रह्माण्ड का मूल तत्व जल को माना क्योंकि जल ठोस, द्रव और वाष्प तीनों रूपों में बदल सकता है। जल के कारण बीज का पोषण होता है जो कि जीवन के लिए अनिवार्य है। उनका मानना था कि पृथ्वी, जल पर तैरने वाली एक सपाट डिस्क है। अतः जल सभी वस्तुओ का कारक है।

थेल्स के दर्शन का आधार उसके तीन पूर्वानुमान थे –

1.    उनका मानना था कि ब्रह्माण्ड की मौलिक व्याख्या किसी एक आधारभूत तत्व से ही सम्भव है। ब्रह्माण्ड के रहस्य के पीछे दो सत्तायें नहीं हो सकती। प्रकृति का नियन्त्रण करने वाला तत्व एक ही होना चाहिए।

2.    यह एक मात्र सत् अवश्य ही कोई तत्व होना चाहिए। इस एक सत् को अवश्य ही निश्चित भी होना चाहिए। यह निश्चित तत्व जल है जो प्रत्येक वस्तु में पाए जाने की क्षमता रखता है।

3.    इस एक तत्व में स्वयं में गतिमान और परिवर्तित होने की क्षमता होनी चाहिए।

इस प्रकार उपरोक्त इन तीन अनुमानों के आधार पर उन्होंने जीव की अनेकता (फिजिस) और एकता (आर्क) पर एक विशिष्ट सिद्धान्त दिया जिसे थेल्स का दर्शन कहा जाता है। अरस्तू ने डी एनीमा (De Anima) में थेल्स के विषय में लिखा है- थेल्स का मानना है कि सभी वस्तुओं में ईश्वर है और इसलिए फिजिस अपने अस्तित्व और परिवर्तन दोनों रूपों में दिव्य है। हमारे पास जो है वह महज प्राथमिक प्रतिबिम्ब स्वरूप है लेकिन यह दार्शनिक निहितार्थों से पूर्ण है”। फिजिस अर्थात् अनेकता, तत्व की परिवर्तन की क्षमता है और आर्क अर्थात् एकता, उसका सभी पदार्थों में अस्तित्व होना है। यह दोनों गुण केवल जल में दिखाई देते है। अतः जल ही सृष्टि के मूल में हो सकता है। इसी कारण थेल्स ने कहा कि- "Water is the arche" अर्थात् "जल ही आर्क है"। यही थेल्स का दर्शन है।  

थेल्स के दर्शन पर आधारित महत्वपूर्ण कथन

·       पृथ्वी एक सपाट डिस्क है जो जल पर तैरती है। 

·       सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड जल से घिरा है। 

·       जल ब्रह्माण्ड का आधारभूत स्रोत है। 

·       सभी वस्तुओं में देवता भरे हुए हैं। 

·       सर्वात्मवाद का आधार ज्यामिति है, जिसके अनुसार प्रत्येक तत्त्व में चैतन्य का वास है। 

·       जब कहीं किसी मनुष्य की परछाई उसके कद के बराबर हो जाती है तो पिरामिड की ऊँचाई उसकी प्रतिछाया के बराबर होती है।

चुम्बक में आत्मा है क्योंकि चुम्बक अन्य वस्तुओं को हिलाने की क्षमता रखती है।  

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. जगत् का मूलद्रव्य जल है, यह मत है[1]?

a)   सुकरात

b)   डेमोक्रीटस

 

c)    थेलीज

d)   पाइथागोरस

 

दिसम्बर – 2007

2. जल को विश्व के मूलभूत उत्पादन के रूप में किसने प्रतिपादित किया है[2]?

a)   एनेक्जीमेनीज

b)   एनेक्जीमेन्डर

 

c)    थेलीज

d)   हेगेल

 

 

जून – 2008

3. जब कहीं किसी मनुष्य की परछाई उसके कद के बराबर हो जाती है तो पिरामिड की ऊँचाई उसकी प्रतिछाया के बराबर होती है – यह कथन किसका है[3]?

a)   थेलीज

b)   पाइथागोरस

 

c)    सुकरात

d)   प्लेटों

 

 

दिसम्बर – 2010

4. थेलीज से जुड़ा जड़जीववाद या भूतजीववाद का सिद्धांत बताता है कि[4]?

a)   केवल जल में जीवन है।

 

b)   भौतिक द्रव्यों में जीवन है।

 

c)    भौतिक द्रव्यों में जीवन नहीं है।

 

d)   भौतिक द्रव्यों और चित् तत्त्व (स्पिरिट) दोनों में जीवन होता है।

 

दिसम्बर – 2013

5. निम्नलिखित में से कौन चुंबक की तरह की निर्जीव वस्तुओं में भी आत्मा का अभिधान करते हैं[5]?

a)   थेलीज

b)   एनेक्जीमेन्डर

 

c)    जेनोफ़ेनीज

d)   एम्पेडाक्लीज

 

 

दिसम्बर – 2014

6. नीचे दो कथन दिए गये हैं एक को अभिकथन (A) और दूसरा तर्क (R) के रूप में हैं। थेल्स के परिप्रेक्ष्य में दोनों पर विचार करते हुए सही कूट का चयन करें[6]?

अभिकथन (A) – चुंबक में आत्मा है।

तर्क (R) – चुंबक अन्य वस्तुओं को हिलाने की क्षमता रखता है।

कूट

a)   दोनों (A) और (R) सही है और (R), (A) की सही व्याख्या है।

b)   दोनों (A) और (R) सही है और (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।

c)    (A) सही है परन्तु (R) गलत है।

 

d)   (A) गलत है परन्तु (R) सही हैं।

 

जून – 2016

7. थेलीज दर्शन निम्नलिखित में से एक को छोड़कर सबके साथ सुसंगत है[7]?

a)   पृथ्वी एक सपाट डिस्क है जो जल पर तैरती है

 

b)   सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड जल से घिरा हुआ है

c)    जल ब्रह्माण्ड का आधारभूत स्रोत है

 

d)   एपियरॉन ब्रह्माण्ड का आधारभूत स्रोत है

 

दिसम्बर – 2018

8. निम्नलिखित में कौन सा थेल्स के संगत है[8]?

A.   ब्रहमाण्ड का मूलभूत श्रोत वायु है।

 

B.   ब्रहमाण्ड का मूलभूत श्रोत संख्या है।

 

C.   ब्रहमाण्ड का मूलभूत श्रोत जल है ।

 

D.   पृथ्वी सपाट है जो पानी पर तैरती है।

 

कूट

 

 

a)   केवल A

b)   केवल B

 

c)    केवल A और B

d)   केवल C और D

 

 

जून – 2020

9. निम्नलिखित में से किसका विचार है कि पृथ्वी जल पर बहती हुई चपटी डिस्क है[9]?

a)   एनैक्सागोरस

b)   डेमोक्रिटस

 

c)    पाइथागोरस

d)   थेल्स

 

 

दिसम्बर – 2020 / जून – 2021

 



[1] c

[2] c

[3] a

[4] b

[5] a

[6] a

[7] d

[8] d

[9] d

Sunday, April 14, 2024

पाश्चात्य दर्शन का सबसे प्राचीन सम्प्रदाय

प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर पाश्चात्य दर्शन का प्रारम्भ ग्रीक में हुआ। ग्रीक दर्शन में सबसे प्राचीन दार्शनिक मत माइलेशियन मत (Milesion School) है, जिसके तीन प्रमुख दार्शनिक हुए – थेलीज, एनेक्जिमेण्डर और एनेक्जिमेनीज है। तीनों दार्शनिक गुरु-शिष्य प्राणली के अन्तर्गत अध्ययनशील थे अर्थात् थेलीज के शिष्य एनेक्जिमेण्डर थे और एनेक्जिमेण्डर के शिष्य एनेक्जिमेनीज। थेलीज, इस सम्प्रदाय के संस्थापक थे, जिसके कारण ही थेलीज को पाश्चात्य दर्शन के जनक के रूप में माना जाता है।

सबसे प्राचीन पाश्चात्य सम्प्रदाय - माइलेशियन मत

इस सम्प्रदाय का एक अन्य नाम हयूलिस्ट भी है क्योंकि इस सम्प्रदाय के दार्शनिकों की मुख्य समस्या ह्यूल (Hule) अर्थात् द्रव्य थी। जैसे कि थेलीज ने जल को सृष्टि के मूल द्रव्य के रूप में स्वीकार किया तथा एनेक्जिमेण्डर और एनेक्जिमेनीज ने क्रमशः असीम (Apeiron) तथा वायु (Air) को मूल द्रव्य के रूप में स्वीकार किया।

माइलेशियन सम्प्रदाय का प्रमुख दार्शनिक स्कूल आयोनियन्स (Ionians School) था, जिसका केन्द्र यूनान का मिलेटस नामक स्थान रहा। आयोनियन्स स्कूल ने सर्वप्रथम पाश्चात्य दार्शनिक जगत् को अन्वेषण की एक तार्किक ओर वैज्ञानिक पद्धति दी। थेल्स, अनेक्जागोरस और एनेक्जिमेनीज को इस स्कूल के प्रारम्भिक आयोनियन्स दार्शनिक माने जाते हैं। इसके बाद जीनोफेन्स और एम्पेडोकुल्स को इस दार्शनिक सम्प्रदाय के प्रमुख दार्शनिकों में माना जाता है। इस दोनों दार्शनिकों ने भी सृष्टि की एकतत्त्ववादी व्याख्या की है। जीनोफेन्स ने जल और मिट्टी को सृष्टि के मूलतत्त्व के रूप में तथा एम्पेडोकुल्स ने जल, अग्नि, वायु और मिट्टी को मूलतत्त्व के रूप में स्वीकार किया है।

इस प्रकार, पश्चिमी जगत् के सबसे प्राचीन दार्शनिक सम्प्रदाय का प्रारम्भ ही सृष्टि उत्पत्ति के लिए आधारभूत द्रव्य की खोज से होता है और हयूलिस्ट दार्शनिकों की एक लम्बी शृंखला बनती है। इन सभी दार्शनिकों ने अपने-अपने दार्शनिक मत से सृष्टि का मूल द्रव्य स्वीकार किया है, जिसकी सूची इस प्रकार है –

दार्शनिक

सृष्टि का मूलद्रव्य

थेलीज

जल

एनेक्जिमेण्डर

असीम (Apeiron)

अनेक्जागोरस

बुद्धि (Nous)

एनेक्जिमेनीज

वायु

जीनोफेन्स

पृथ्वी और जल

एम्पेडोकुल्स

जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी

हयूलिस्ट दार्शनिकों के अतिरिक्त बाद में भी सृष्टि के मूलतत्त्व को लेकर दार्शनिक व्याख्यायें हुई जिनकी सूची इस प्रकार है –

दार्शनिक

सृष्टि का मूलद्रव्य

पाइथागोरस

संख्या

पार्मेनाईडीज

शुद्ध सत्

हेराक्लिटस

तेज (अग्नि)

सुकरात, प्लेटो और अरस्तु

विज्ञान

मध्यकालीन दार्शनिक

ईश्वर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन आयोनियाई दार्शनिक है[1] ?

a)   हेराक्लिटस

b)   जीनो

 

c)    थेलीज

d)   एनेक्जागोरस

 

UGC NET EXAM दिसम्बर – 2010

2. निम्नलिखित में से माइलेशियन सम्प्रदाय के दार्शनिक कौन है[2] ?

A.   थेलीज

B.   एनेक्जीमेन्डर

 

C.   परर्मेनाइडीज

D.   एनेक्जामेनिज

 

कूट

 

 

a)   A और C

b)   A, B और D

 

c)    B और D

d)   उपर्युक्त सभी

 

 

UGC NET EXAM जून – 2014

3. कारण को सबसे पहले आयोनियन्स ने पहचाना था[3] ?

a)   पदार्थ के रूप में

b)   पूर्णता के रूप में

 

c)    अन्तिम तत्त्व के रूप में

d)   सामान्य के रूप में

 

 

 



[1] Ans - c

माइलेशियन सम्प्रदाय का प्रमुख दार्शनिक स्कूल आयोनियन्स (Ionians School) था, जिसका केन्द्र यूनान का मिलेटस नामक स्थान रहा। मत माइलेशियन मत (Milesion School) पश्चिमी दर्शन का सबसे प्राचीन सम्प्रदाय है, जिसके तीन प्रमुख दार्शनिक हुए – थेलीज, एनेक्जिमेण्डर और एनेक्जिमेनीज है।

[2] Ans - b

माइलेशियन सम्प्रदाय (Milesion School) पश्चिमी दर्शन का सबसे प्राचीन सम्प्रदाय है, जिसके तीन प्रमुख दार्शनिक हुए – थेलीज, एनेक्जिमेण्डर और एनेक्जिमेनीज है।

[3] Ans - a

पश्चिमी दर्शन का सर्वप्रथम दार्शनिक स्कूल आयोनियन्स (Ionians School) था, जिसका केन्द्र यूनान का मिलेटस नामक स्थान रहा। आयोनियन्स स्कूल ने सर्वप्रथम पाश्चात्य दार्शनिक जगत् को अन्वेषण की एक तार्किक ओर वैज्ञानिक पद्धति दी। इन्होंने सृष्टि की एकतत्त्ववादी व्याख्या की है जिसके करण इनको हयूलिस्ट दार्शनिक भी कहते हैं। ह्यूल (Hule) का अर्थ होता है – द्रव्य या पदार्थ।

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