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Thales of Miletus

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  थेल्स ( Thales) दार्शनिक जीवन – 624 ई० पू० से 548 ई० पू० तक। प्रमुख दार्शनिक विचार – जल ब्रह्माण्ड का आर्क है। " Water is the arche". प्रमुख उपाधि – दर्शनशास्त्र का आरम्भकर्ता (अरस्तू ने यह उपाधि दी थी) प्रमुख कथन – सभी वस्तुओं में ईश्वर है। Thales of Miletus थेल्स को अरस्तू ने पश्चिमी दर्शनशास्त्र का जनक माना है। अरस्तू थेल्स के लिए सन्त शब्द का प्रयोग करते थे। थेल्स को पहला आयोनिक दार्शनिक माना जाता है। इनका दर्शन ' मिलेटस ' में फला-फूला। यह एशिया माइनर में एक यूनानी कालोनी थी जो अब वर्तमान में टर्की में स्थित है। थेल्स यूनान के ऐसे पहले दार्शनिक थे जिन्हें राजनेता , गणितज्ञ और खगोलशास्त्री होने का गौरव प्राप्त था। थेल्स ने 28 मई 585 ई० पू० को होने वाले पूर्ण सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। इन्होंने सर्वप्रथम अपनी परछाई का परिकलन कर मिश्र के एक पिरामिड की ऊंचाई ज्ञात की थी। उन्होंने कहा था कि “ जब कहीं किसी मनुष्य की परछाई उसके कद के बराबर हो जाती है तो पिरामिड की ऊँचाई उसकी प्रति...

पाश्चात्य दर्शन का सबसे प्राचीन सम्प्रदाय

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प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर पाश्चात्य दर्शन का प्रारम्भ ग्रीक में हुआ। ग्रीक दर्शन में सबसे प्राचीन दार्शनिक मत माइलेशियन मत ( Milesion School) है, जिसके तीन प्रमुख दार्शनिक हुए – थेलीज, एनेक्जिमेण्डर और एनेक्जिमेनीज है। तीनों दार्शनिक गुरु-शिष्य प्राणली के अन्तर्गत अध्ययनशील थे अर्थात् थेलीज के शिष्य एनेक्जिमेण्डर थे और एनेक्जिमेण्डर के शिष्य एनेक्जिमेनीज। थेलीज, इस सम्प्रदाय के संस्थापक थे, जिसके कारण ही थेलीज को पाश्चात्य दर्शन के जनक के रूप में माना जाता है। सबसे प्राचीन पाश्चात्य सम्प्रदाय - माइलेशियन मत इस सम्प्रदाय का एक अन्य नाम हयूलिस्ट भी है क्योंकि इस सम्प्रदाय के दार्शनिकों की मुख्य समस्या ह्यूल ( Hule) अर्थात् द्रव्य थी। जैसे कि थेलीज ने जल को सृष्टि के मूल द्रव्य के रूप में स्वीकार किया तथा एनेक्जिमेण्डर और एनेक्जिमेनीज ने क्रमशः असीम ( Apeiron) तथा वायु (Air) को मूल द्रव्य के रूप में स्वीकार किया। माइलेशियन सम्प्रदाय का प्रमुख दार्शनिक स्कूल आयोनियन्स (Ionians School) था, जिसका केन्द्र यूनान का मिलेटस नामक स्थान रहा। आयोनियन्स स्कूल ने सर्वप्रथम पाश्चात्य दार्श...