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व्यावहारिक शोध Applied Research
श्रीमती यंग (P.V Young) के अनुसार, “ज्ञान की
खोज का एक निश्चित सम्बन्ध लोगों की प्राथमिक आवश्यकताओं तथा कल्याण से होता है। वैज्ञानिक
की यह मान्यता यह है कि समस्त ज्ञान सारभूत रूप से उपयोगी इस अर्थ में है कि वह एक
सिद्धान्त के निर्माण में या एक कला को व्यवहार में लाने में सहायक होता है। सिद्धान्त
तथा व्यवहार आगे चलकर बहुधा एक-दूसरे में मिल जाते हैं”। इसी मान्यता के आधार पर सामाजिक
अनुसंधान का जो दूसरा प्रकार प्रकट होता है उसे व्यवहारिक शोध कहते है। इस प्रकार यह
शोध विशिष्ट एवं व्यवहारिक समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
व्यावहारिक शोध नीति निर्धारण एवं प्रशानिक घटना को समझने के लिए बहुत उपयोगी होता
है।
व्यवहारिक शोध की विशेषताएं
- व्यवहारिक सोध का सम्बन्ध जीवन के व्यवहारिक पक्ष से होता है।
- व्यवहारिक शोध सामाजिक समस्याओ के समाधान मे उपयोगी होता है।
- व्यावहारिक शोध का सम्बन्ध विषय के गहन ज्ञान से होता है।