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Monday, November 22, 2021

पैराग्राफ 4

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नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए – 

यदि प्रारंभिक अवधि में अधिगमकर्ता के बारे में प्रबल रूप से सोच यह रही है कि वह रिक्त जीव है और बाद की अवधि में चलकर उसे एक सक्रिय जीव के रूप में प्रतिष्ठित किया गया तो आगे की अवधि में इसे एक सामाजिक जीव के रूप में उपकल्पित किया गया । पहली अवधि में अधिगमकर्ता की प्रवृत्ति के बारे में सोच साहचर्यवादी दृष्टि से प्रभावित रही है जबकि दूसरी अवधि में यह गेस्टाल्टवादी एवं व्यक्तिवादी दृष्टिकोणों से । बाद में चलकर यह अवधारणा समाजिक मनोवैज्ञानिक एवं समूह गत्यात्मकता की विचारधारा से ओत-प्रोत भी । अधिगमकर्ता के रूप में बालक को एक सामाजिक जीव माना गया है तथा अधिगम की अंतर वैयक्तिक कार्यों एवं प्रतिक्रियाओं के फलस्वरूप घटित व्यवहार के रूप में लिया गया है जिसमें कक्षा गृह का प्रत्येक विद्यार्थी दूसरे के लिए उद्दीपक की भूमिका में लिया गया । “समूह (परिवेश)" से संबंधित अवधारणों तथा लूविन एवं उनके सहयोगियों द्वारा 1930 के दशक में किए गए अध्ययनों, जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध की विचारधाराओं से संबंधित मुद्दों से बल मिला, उनका कक्षा गृह पर पड़े प्रभाव के बारे में कुछ कहना अतिशय प्रतीत होता है । अधिसंख्य अभिलेखों, पाठ्य पुस्तकों एवं कार्यक्रमों में यह विचार एवं शोध परिणाम कक्षागृह की परिस्थितियों में अनुप्रयुक्त हुए तथा इसके चलते शैक्षिक शब्दावली में सत्ता परक, लोकतांत्रिक एवं 'स्वछंदतावादी धारणाएं एवं शब्दावली वांछनीय अथवा अवांछनीय रूप से एक अविच्छिन्न अंग बन गए । अधिगम प्रयोगशालाओं में प्रयोगकर्ता पूर्व में प्रायः असंदर्भित अंतर-वैयक्तिक संसक्ति तथा लघु समूहगतः प्रक्रियाओं के प्रति तथा कक्षा में शिक्षक ' समाजमितीय संरचना एवं समूहगत्यात्मकता के प्रति आकर्षित हुए । कहने को होगा कि समकालिक परिवर्तनों के परिप्रेक्ष्य में आदर्श कक्षा गृह की छवि के बारे में परिवर्तन हुए । यदि अधिगमकर्ता प्रथमतः एक सामाजिक जीव है तो उसकी शिक्षा का प्रयोजन मुख्य रूप से सामाजिक होना चाहिए । इसी प्रकार यदि अधिगम एक सामाजिक या समूहगत प्रक्रिया है तो वृत्तीय या समूह केन्द्रित कक्षागृह का स्वरूप जिसमें प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे के आमने सामने होता है जैसाकि पहले विद्यार्थी को बाध्य होकर शिक्षक के सामने होना पड़ता था, अत्यंत स्वाभाविक एवं व्यावहारिक ही नहीं प्रतीत होता अपितु अधिगम परिवेश की दृष्टि से आवश्यक भी । कालक्रमेण कक्षा गृह की इस प्रकार की छवि लोकप्रिय भी बन पायी है। 

1. बच्चे के बारे में प्रथम दृष्टि एक अधिगमकर्ता के रूप में थी – 

  1. वैयक्तिक 
  2. सामाजिक 
  3. मानवीय 
  4. साहची

2. सामाजिक व्यवस्था की दृष्टि से अधिगम का घटित होना निम्नलिखित में से किसके द्वारा होता है ? 

  1. प्रत्येक व्यक्ति उद्दीपक के रूप में क्रियाशील होता है 
  2. प्रतिक्रियात्मक उपाय 
  3. एक गैर-प्रतिस्पर्धी वातावरण 
  4. प्रत्येक व्यक्ति दूसरों के लिए प्रतिनिधित्व करता है 

3. कक्षा का समूह वातावरण किसके द्वारा प्रबलित होता है ? 

  1. सामाजिक मामले 
  2. वैचारिक मामले 
  3. अंतर-वैयक्तिक मामले 
  4. व्यक्तिगत मामले 

4. अधिगम प्रयोगशाला में ध्यान केंद्र अंतरित हुआ –

  1. पाठ्यपुस्तकों के उत्पादन की ओर 
  2. शैक्षणिक शब्दज्ञान के सृजन की ओर 
  3. प्रक्रिया के लोकतंत्रीकरण की ओर 
  4. समूह की गतिशीलता का अवबोध करने की ओर 

5. गद्यांश के लेखक कामत इसके पक्ष में है – 

  1. ऊर्ध्वाधर अधिगम 
  2. प्रयोगशाला अधिगम 
  3. वृत्तीय अधिगम 
  4. अध्यापक केंद्रित अधिगम

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पैराग्राफ 4 (उत्तर सहित)

 

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1. बच्चे के बारे में प्रथम दृष्टि एक अधिगमकर्ता के रूप में थी – 

  1. वैयक्तिक 
  2. सामाजिक 
  3. मानवीय 
  4. साहची

2. सामाजिक व्यवस्था की दृष्टि से अधिगम का घटित होना निम्नलिखित में से किसके द्वारा होता है ? 

  1. प्रत्येक व्यक्ति उद्दीपक के रूप में क्रियाशील होता है 
  2. प्रतिक्रियात्मक उपाय 
  3. एक गैर-प्रतिस्पर्धी वातावरण 
  4. प्रत्येक व्यक्ति दूसरों के लिए प्रतिनिधित्व करता है 

3. कक्षा का समूह वातावरण किसके द्वारा प्रबलित होता है ? 

  1. सामाजिक मामले 
  2. वैचारिक मामले 
  3. अंतर-वैयक्तिक मामले 
  4. व्यक्तिगत मामले 

4. अधिगम प्रयोगशाला में ध्यान केंद्र अंतरित हुआ –

  1. पाठ्यपुस्तकों के उत्पादन की ओर 
  2. शैक्षणिक शब्दज्ञान के सृजन की ओर 
  3. प्रक्रिया के लोकतंत्रीकरण की ओर 
  4. समूह की गतिशीलता का अवबोध करने की ओर 

5. गद्यांश के लेखक कामत इसके पक्ष में है – 

  1. ऊर्ध्वाधर अधिगम 
  2. प्रयोगशाला अधिगम 
  3. वृत्तीय अधिगम 
  4. अध्यापक केंद्रित अधिगम

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निम्र परिच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा प्रश्नों के उत्तर दें : 

विपणनकर्ता सामाजिक मूल्यों और उत्तरदायित्त्वों तथा उसी पृथ्वी जिससे हम पोषित होते हैं से अपने संबंधों की पुनर्समीक्षा कर रहे हैं । जैसे - जैसे विश्वव्यापी उपभोक्तावाद और पर्यावरणवाद के आंदोलन परिपक्क हो रहे हैं , वैसे ही आज के विपणनकर्ता समर्धनीय विपणन प्रचलनों के विकास पर ध्यान दे रहे हैं । निगमित नैतिकता और सामाजिक दायित्व आज प्रत्येक व्यवसाय के लिए मुख्य विषय बनते जा रहे हैं , कुछ कंपनियां नवीकृत और विशेष पर्यावरणीय आन्दोलनों की उपेक्षा कर सकती हैं . प्रत्येक कंपनी के कार्य ग्राहक संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं , आज का ग्राहक चाहता है कि कंपनियां सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों के निर्वहन में नैतिक मूल्यों का ध्यान रखें । सामाजिक दायित्वों और पर्यावरणीय आंदोलन भविष्य में कंपनियों से अधिक सख्त मांग कर सकती हैं , कुछ कंपनियां इन आंदोलनों का प्रतिरोध करती हैं और तभी हरकत में आती है जब कानून या संगठित उपभोक्ता उन्हें बाध्य करते हैं : किन्तु भविष्य दृष्टा कंपनियाँ अपने आस - पास के दायित्त्वों को तुरंत स्वीकार कर लेती हैं , वे समर्थनीय विपणन को एक अवसर के रूप में देखती है ताकि वे अच्छा कर सकें । वे अपने उपभोक्ताओं और समुदायों की तात्कालिक आवश्यकताओं और उनके दीर्घकालीन हितों को ध्यान में रखते हुए उनकी सेवा प्रदान कर लाभ कमाने के मार्ग तलाश करती हैं । कुछ कंपनीयाँ जैसे कि पतागोनिया , बेन और जेरीज , टिंबरलैंड , मेधोड और अन्य संवेदनशील पूंजीवाद का प्रचलन करती है तथा स्वयं नागरिक भावना से परिपूर्ण और जिम्मेदार दिखाती हैं । वे सामाजिक संबंधों का निर्माण करती हैं । 

1. आज के विपणनकर्ता निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करते हैं 

  1. उपभोक्तावाद 
  2. सामाजिक बाध्यताएं 
  3. अपने व्यवसाय व्यवहारों की समर्थनीयता 
  4. प्रतियोगितात्मक व्यवसाय 
2. आज के समाज की मुख्य चिंता का केंद्रबिंदु है . 

  1. विपणन रणनीतियाँ 
  2. ग्राहक संबंध 
  3. निगमित नैतिकता 
  4. मुद्रा के लिए मूल्य प्रदान करना 

3. दूरदर्शी कम्पनियाँ किस बात को प्राथमिकता देती है?

  1. समर्थनीय विपणन 
  2. कानूनी बाध्यता 
  3. संगठित उपभोगता दबाव 
  4. बाजार में यथास्थिति 

4. परिच्छेद के अनुसार समर्थनीय विपणन को इस रूप में समझा जाता है ?

  1. तुरन्त लाभप्रदाता 
  2. सामुदायिक भ्रमकता 
  3. एक अवसर के रूप में समुदाय के लिए अच्छा करना 
  4. एक कठिन मुद्दे के रूप में समाज पर दीर्घकालीन बोझ 

5. संवेदनशील पूंजीवाद में समाविष्ट है –

A. सामाजिक मांगों की अपेक्षा कर लाभ कमाना 

B. नागरिक भावना से परिपूर्ण होना 

C. सामाजिक सम्बन्धों को बनाना 

D. कानूनी बाध्यता के कारण हरकत में आना 

सही विकल्प का चयन करे –

  1. केवल A  और B
  2. केवल B और C
  3. केवल C  और D
  4. केवल A  और D

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1. आज के विपणनकर्ता निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करते हैं 

  1. उपभोक्तावाद 
  2. सामाजिक बाध्यताएं 
  3. अपने व्यवसाय व्यवहारों की समर्थनीयता 
  4. प्रतियोगितात्मक व्यवसाय 
2. आज के समाज की मुख्य चिंता का केंद्रबिंदु है . 

  1. विपणन रणनीतियाँ 
  2. ग्राहक संबंध 
  3. निगमित नैतिकता 
  4. मुद्रा के लिए मूल्य प्रदान करना 

3. दूरदर्शी कम्पनियाँ किस बात को प्राथमिकता देती है?

  1. समर्थनीय विपणन 
  2. कानूनी बाध्यता 
  3. संगठित उपभोगता दबाव 
  4. बाजार में यथास्थिति 

4. परिच्छेद के अनुसार समर्थनीय विपणन को इस रूप में समझा जाता है ?

  1. तुरन्त लाभप्रदाता 
  2. सामुदायिक भ्रमकता 
  3. एक अवसर के रूप में समुदाय के लिए अच्छा करना 
  4. एक कठिन मुद्दे के रूप में समाज पर दीर्घकालीन बोझ 

5. संवेदनशील पूंजीवाद में समाविष्ट है –

A. सामाजिक मांगों की अपेक्षा कर लाभ कमाना 

B. नागरिक भावना से परिपूर्ण होना 

C. सामाजिक सम्बन्धों को बनाना 

D. कानूनी बाध्यता के कारण हरकत में आना 

सही विकल्प का चयन करे –

  1. केवल A  और B
  2. केवल B और C
  3. केवल C  और D
  4. केवल A  और D


Saturday, November 20, 2021

पैराग्राफ - 2

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निमलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें : 

संकीर्णतम अर्थ में, कीमत किसी उत्पाद अधवा किसी सेवा के लिए प्रभारित धनराशि होती है । अधिक व्यापक रूप में कीमत उन सभी मूल्यों का योग है जिन्हें उपभोक्ता किसी उत्पाद या सेवा को लेने या उसका प्रयोग करने के लाभों को प्राप्त करने के लिए देते हैं । ऐतिहासिक रूप से, कीमत क्रेता की पसंद को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक रहा है । तथापि, हाल के दशकों में गेर - कीमत कारकों का महत्व बढ़ता जा रहा है । फिर भी कीमत किसी फर्म के बाजार हिस्से और लाभप्रदता को निर्धारित करने वाल सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्वों में से एक बनी हुई है । 

विपणन - मिश्रण में कीमत ऐसा एकमात्र तत्त्व है जो आय अर्जित करता है । अन्य सभी, तत्व तागत दर्शाते हैं । कीमत विपणन मिश्रण के तत्वों में सर्वाधिक लोचशील तत्वों में से एक है । उत्पाद विशेषताओ और श्रृंखला संबंधी प्रतिबद्धताओं से अलग कीमत को शीघ्रता से बदला जा सकता है । इसी के साथ कीमत निर्धारण अनेक विपणन कार्यकारियों के समक्ष आनेवाली सबसे पहली समस्या है, और अनेक कंपनियाँ कीमत निर्धारण को बड़े सिरदर्द के रूप में देखते हैं और इसके बजाय विपणन मिश्रण के अन्य तत्वों पर ध्यान केंद्रित करने को अधिमानता देते है । तथापि कुशल प्रबंधक कीमत निर्धारण को उपभोक्ता मूल्य सृजित करने या प्राप्त करने का एक प्रमुख कार्यनीतिक साधन मानते हैं । कीमतों का किसी फर्म की मूल रचना पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है । कीमत में थोड़े से प्रतिशत सुधार से लाभप्रदता के प्रतिशत में भारी वृद्धि हो सकती है । अधिक महत्त्वपूर्ण है कि कपनी के समग्र मूत्य साध्य के भाग के रूप में, कीमत उपभोक्ता मूल्य सृजित करने और उपभोक्ता संबंध के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है । एक विशेषज्ञ ने कहा है, "कीमत निर्धारण से बचने के बजाय समझदार विपणनकर्ता उसे अपना रहे है ।“

कंपनी द्वारा प्रभारित की जाने वाली कीमत लाभ अर्जित करने की न्यूनतम कीमत और मांग अर्जित करने की दृष्टि से अत्यधिक कीमत के बीच में आती है । यह बात कीमत निर्धारण में आने वाले विचारों का सारांश है । उत्पाद के मूल्य संबंधी उपभोक्ता का बोध कीमतों की अधिकतम सीमा तय करता है । यदि उपभोक्ता समझते हैं कि उत्पाद की कीमत उसके मूल्य से अधिक है वे इस उत्पाद को नहीं खरीदेंगे । इसी प्रकार, उत्पाद की लागते कीमतों के न्यूनतम स्तर को तय करती हैं । यदि कंपनी किसी उत्पाद की कीमत उसकी लागत से कम निर्धारित करती है तो कंपनी के लाभ कम हो जाएंगे । इन दोनों छोरों के बीच कीमत निर्धारित करने के लिए कंपनी को प्रतिस्पर्धियों की रणनीतियाँ और कीमतें समग्र विपणन कार्यनीति और मिश्रण तथा बाजार माग की प्रकृति सहित अनेक बाह्य और आतंरिक कारकों पर विचार करना चाहिए । 

1- ऐतिहासिक रूप से कीमत को महत्त्वपूर्ण समझा जाता था क्योंकि : 

  1. विक्रेताओं को सदैव लाभ होता था 
  2. उत्पाद या सेवा के लिए धनराशि प्रभारित की जाती थी 
  3. इससे क्रेताओं को विकल्प उपलब्ध होते थे 
  4. इससे गैर-कीमत कारकों का संवर्धन होता था 

2- कीमत विपणन मिश्रण में अन्य तत्वों से भिन्न क्यों हैं ? 

  1. यह लागत की प्रतिपूर्ति करती है 
  2. यह आय अर्जित करती है 
  3. यह अलोचशील प्रकृति की होती है 
  4. यह सरणी (चैनल) प्रतिबद्धता सुनिश्चित करती है

3- कीमत निर्धारण के संबंध में कुशल प्रबंधकों का दृष्टिकोण क्या होता है ? 

  1. यह उपभोक्ता मूल्य के लिए एक कार्यनीतिक साधन है 
  2. यह समस्याओं को जन्म देता है 
  3. विपणन मिश्रण में अन्य तत्वों पर ध्यान केंद्रित करना बेहतर है 
  4. फर्म के लिए यह अप्रत्यक्ष मूल्य वाला है 

4- उत्पाद या सेवा के लिए कीमत - निर्धारण में निम्नलिखित में से कौन - सा प्रमुख निर्धारक है ? 

  1. उच्च मांग 
  2. कम मांग 
  3. उपभोक्ता का मूल्य अवबोधन 
  4. उच्च लाभप्रदता का कंपनी का लक्ष्य 

5- उत्पादों अथवा सेवाओं की कीमत को प्रभावित या निर्धारित करने वाले अन्य कारक कौन - से हैं ? 

A. प्रतिस्पर्धियों की रणनीति 

B. समग्र विपणन मिश्रण 

C. बाजार का प्रकार 

D. एक पराकोटि से दूसरी पराकोटि तक कीमत निर्धारण 

E. बाजार कब्जाने की कीमत रणनीति 

सही विकल्प चुनें : 

  1. केवल A, D और E
  2. केवल A, B और C
  3. केवल C, D और E 
  4. केवल B, C और D 

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पैराग्राफ - 2 (हल सहित)

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1- ऐतिहासिक रूप से कीमत को महत्त्वपूर्ण समझा जाता था क्योंकि : 

  1. विक्रेताओं को सदैव लाभ होता था 
  2. उत्पाद या सेवा के लिए धनराशि प्रभारित की जाती थी 
  3. इससे क्रेताओं को विकल्प उपलब्ध होते थे 
  4. इससे गैर-कीमत कारकों का संवर्धन होता था 

2- कीमत विपणन मिश्रण में अन्य तत्वों से भिन्न क्यों हैं ? 

  1. यह लागत की प्रतिपूर्ति करती है 
  2. यह आय अर्जित करती है 
  3. यह अलोचशील प्रकृति की होती है 
  4. यह सरणी (चैनल) प्रतिबद्धता सुनिश्चित करती है

3- कीमत निर्धारण के संबंध में कुशल प्रबंधकों का दृष्टिकोण क्या होता है ? 

  1. यह उपभोक्ता मूल्य के लिए एक कार्यनीतिक साधन है 
  2. यह समस्याओं को जन्म देता है 
  3. विपणन मिश्रण में अन्य तत्वों पर ध्यान केंद्रित करना बेहतर है 
  4. फर्म के लिए यह अप्रत्यक्ष मूल्य वाला है 

4- उत्पाद या सेवा के लिए कीमत - निर्धारण में निम्नलिखित में से कौन - सा प्रमुख निर्धारक है ? 

  1. उच्च मांग 
  2. कम मांग 
  3. उपभोक्ता का मूल्य अवबोधन 
  4. उच्च लाभप्रदता का कंपनी का लक्ष्य 

5- उत्पादों अथवा सेवाओं की कीमत को प्रभावित या निर्धारित करने वाले अन्य कारक कौन - से हैं ? 

A. प्रतिस्पर्धियों की रणनीति 

B. समग्र विपणन मिश्रण 

C. बाजार का प्रकार 

D. एक पराकोटि से दूसरी पराकोटि तक कीमत निर्धारण 

E. बाजार कब्जाने की कीमत रणनीति 

सही विकल्प चुनें : 

  1. केवल A, D और E
  2. केवल A, B और C
  3. केवल C, D और E 
  4. केवल B, C और D 


पैराग्राफ - 1 (उत्तर सहित)

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1- वाणिज्य से वाणिज्य की सोच रखने वाले प्रबंधकों की वर्तमान रणनीति क्या है ? 
  1. नए व्यवसाय मंच की खोज करना 
  2. नए उपभोक्ता संबंधों की तलाश करना 
  3. सोशल विपणन पर अपेक्षाकृत कम निर्भरता 
  4. डिजीटल व्यवसाय का अधिक से अधिक प्रयोग 
2- ई - प्रापण के लाभ हैं : 
A. लागत कटौती 
B. शीघ्र सुपुर्दगी 
C. महत्त्वपूर्ण खरीद हेतु लम्बा समय 
D. समानुभूतिक खरीद 
सही विकल्प का चयन कीजिए : 
  1. केवल A और B
  2. केवल B और C
  3. केवल C और D
  4. केवल A और D
3- कम कागजी कार्रवाई के परिणाम के रूप में कौन - सा महत्त्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है ? 
  1. सौदा विश्लेषण 
  2. आपूर्ति हेतु अपेक्षाकृत अधिक निवेश 
  3. नए उत्पाद विकसित करना 
  4. पारंपरिक उपभोक्ता संबंध को अधिक महत्त्व देना 
4- इंटरनेट की ताकत के संदर्भ में ई - प्रापण का मुख्य मुद्दा क्या हो सकता है ? 
  1. क्रेता और विक्रेता दोनों के लिए अलग - अलग खरीद । 
  2. उपभोक्ताओं के साथ व्यावसायिक आंकड़े साझा करना । 
  3. उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मक आपूर्ति । 
  4. बेहतर खरीद सौदे । 
5- अनुच्छेद में किस बात पर बल दिया गया है ? 
  1. आपूर्तिकर्ताओं की ताकत 
  2. बुनियादी बिजनेस डाटा एनक्रिप्शन 
  3. व्यवसाय का आपूर्ति पक्ष 
  4. ई-प्रापण की प्रमुख विशेषताएं 

पैराग्राफ - 1


नीचे दिए गए अनुच्छेद को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें : 

वर्तमान में अपेक्षाकृत अधिकतर वाणिज्य से वाणिज्य की सोच रखने वाले विपणनकर्ता किसी भी जगह, किसी भी समय व्यावसायिक उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाने और उपभोक्ता संबंधों को प्रबंधित करने के प्रयोजन से वेबसाइट ब्लॉग और स्मार्टफोन एप से लेकर मुख्यधारा के सोशल नेटवर्कों यथा फेसबुक लिंकडिन, यू ट्यूब और विटर जैसे व्यापक डिजीटल और सोशल विपणन उपागमो का प्रयोग कर रहे हैं । डिजीटल और सोशल विपणन व्यावसायिक उपभोक्ताओं को शामिल करने हेतु बहुत ही तेज रफ्तार से एक नया मंच बना है । वाणिज्य से वाणिज्य ई - प्रापण के अनेक लाभ हैं । प्रथमतः, इससे लेनदेन की लागत कम होती है और इसकी परिणति क्रेता और आपूर्तिकर्ता दोनों के लिए अपेक्षाकृत अधिक कुशल खरीद में होती है । ई - प्रापण से आर्डर प्राप्त होने और सुपुर्दगी के बीच का समय घटता है तथा वेब आधारित खरीद कार्यक्रम से पारंपारिक मांग पत्र और आर्डर प्रक्रियाओं से जुड़ी कागजी कार्य समाप्त होता है तथा इससे किसी संगठन को अपनी सभी खरीदों का बेहतर लेखाजोखा रखने में सहायता मिलती है । अंततः लागत एवं समय की बचत के अलावा, ई - प्रापण क्रेताओं को कड़े परिश्रम और कागजी कार्रवाई से मुक्त करता है । फलतः यह उन्हें अपेक्षाकृत कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण मुद्दों यथाः बेहतर आपूर्ति स्त्रोत का पता लगाने तथा लागत घटाने और नए उत्पाद विकसित करने हेतु आपूर्तिकर्ताओं के साथ काम करने के लिए आजादी प्रदान करता है । हालाँकि तेजी से बढ़ते ई - प्रापण से कुछ परेशानियां भी सामने आई हैं । उदाहरणार्थ, एक ओर जहाँ इंटरनेट आपूर्तिकर्ताओं और उपभोक्ताओं के लिए यह व्यवसाय संबंधी आंकड़े साझा करने और यहाँ तक कि उत्पाद के डिजाइन में सहयोग को संभव बनाता है वहीं दूसरी ओर यह दशकों पुराने उपभोक्ता - आपूर्तिकर्ता संबंधों में क्षरण भी लाता है । अनेक क्रेता अब इंटरनेट की ताकत का प्रयोग खरीद - दर - खरीद आधार पर आपूर्तिकर्ताओं को आमने - सामने रखने और बेहतर सौदा, उत्पादों एवं सौदे में लगने वाले सम्पूर्ण समय की छानबीन करने के लिए करते हैं । 
ई - प्रापण से सुरक्षा संबंधी बड़ी चिंताएं भी उभरती हैं । यद्यपि घरेलू क्रय - विक्रय को बुनियादी एनक्रिप्शन के माध्यम से सुरक्षित किया जा सकता है, परन्तु व्यवसाय के लिए जिस तरह की गोपनीय बातचीत की जरूरत होती है, उसमें गोपनीयता को बनाये रखने हेतु अपेक्षित सुरक्षित वातावरण की अभी भी कमी है । 

1- वाणिज्य से वाणिज्य की सोच रखने वाले प्रबंधकों की वर्तमान रणनीति क्या है ? 
  1. नए व्यवसाय मंच की खोज करना 
  2. नए उपभोक्ता संबंधों की तलाश करना 
  3. सोशल विपणन पर अपेक्षाकृत कम निर्भरता 
  4. डिजीटल व्यवसाय का अधिक से अधिक प्रयोग 
2- ई - प्रापण के लाभ हैं : 
A. लागत कटौती 
B. शीघ्र सुपुर्दगी 
C. महत्त्वपूर्ण खरीद हेतु लम्बा समय 
D. समानुभूतिक खरीद 
सही विकल्प का चयन कीजिए : 
  1. केवल A और B
  2. केवल B और C
  3. केवल C और D
  4. केवल A और D
3- कम कागजी कार्रवाई के परिणाम के रूप में कौन - सा महत्त्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है ? 
  1. सौदा विश्लेषण 
  2. आपूर्ति हेतु अपेक्षाकृत अधिक निवेश 
  3. नए उत्पाद विकसित करना 
  4. पारंपरिक उपभोक्ता संबंध को अधिक महत्त्व देना 
4- इंटरनेट की ताकत के संदर्भ में ई - प्रापण का मुख्य मुद्दा क्या हो सकता है ? 
  1. क्रेता और विक्रेता दोनों के लिए अलग - अलग खरीद । 
  2. उपभोक्ताओं के साथ व्यावसायिक आंकड़े साझा करना । 
  3. उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मक आपूर्ति । 
  4. बेहतर खरीद सौदे । 
5- अनुच्छेद में किस बात पर बल दिया गया है ? 
  1. आपूर्तिकर्ताओं की ताकत 
  2. बुनियादी बिजनेस डाटा एनक्रिप्शन 
  3. व्यवसाय का आपूर्ति पक्ष 
  4. ई-प्रापण की प्रमुख विशेषताएं 
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प्राकृतिक आपदा से बचाव

Protection from natural disaster   Q. Which one of the following is appropriate for natural hazard mitigation? (A) International AI...