शिक्षण की अवधारणा Concept of Teaching
शिक्षण एक ऐसी सतत् प्रक्रिया है, जिसमें बहुत से ऐसे कारक शामिल होते है जिनसे छात्र अपने ज्ञान और कौशल को अर्जित करता है। साधारणतः शिक्षण का अर्थ ‘शिक्षा लेना है’ जबकि इसका वास्तविक अर्थ ‘सीखना या सीख देना है’। शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा छात्र में मानवीय मूल्यों को विकस किया जाता है। वृहद रूप में शिक्षण वह सतत् प्रक्रिया है जिसमे छात्र या व्यक्ति औपचारिक या अनौपचारिक रूप से आजीवन सीखते-सिखाते रहता है। व्यवहारिक रूप में शिक्षण से अभिप्राय औपचारिक रूप से किसी शिक्षण संस्थान में शिक्षा ग्रहण करने से होता है। वर्तमान अधिगम प्रणाली में शिक्षा का अभिप्राय विद्यार्थियों में अधिगम के द्वारा प्रयोगात्मक विधियों द्वारा करके सिखाना है न की बलपूर्वक ज्ञान को छात्र के मस्तिष्क में बिठाना। शिक्षण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शिक्षार्थी नवीन ज्ञान का अर्जन करता है। इस सन्दर्भ में अनेकों विद्वानों ने शिक्षण की परिभाषाएं दी है जिनमे से महत्वपूर्ण परिभाषाएं निम्नलिखित है -
- रियान्स के अनुसार, “दूसरों को सीखाने, दिशा-निर्देश देने एवं उन्हें निर्देशित करने की प्रक्रिया ही शिक्षण है”।
- गेज के अनुसार, “शिक्षण एक पारस्परिक प्रभाव है, जिसका उद्देश्य दूसरे व्यक्तियों के व्यवहारों में अपेक्षित परिवर्तन लाना है”।
- बी ओ स्मिथ के अनुसार, “अधिगम को अभिप्रेरित करने वाली क्रिया शिक्षण है”।
- जॉन डीवी के अनुसार, “शिक्षण एक त्रिमुखी प्रक्रिया है”।
- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, “शिक्षा मनुष्य में पहले से ही विराजमान पूर्णता का आविर्भाव है”।
एडमंड एमिडोन के अनुसार :- शिक्षण डबल्यूके अंत : प्रक्रिया है , जिसमें मुख्यत : कक्षा वार्ता होती है जो शिक्षक एवं छत्रों के मध्य कुछ परिभाषित की जा सक्ने वाली क्रियाओं के माध्यम से घटित होती है ।
ReplyDeleteमौरिसन के अनुसार शिक्षण एक परिपक्व ठटा एक कम परिपक्व व्यक्ति के मध्य आत्मीय संबंध है जहाँ कम परिपक्व को शिक्षा की ओर अग्रसित किया जाता है ।
Uttam pryas
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