18 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति को वयस्क अवस्था में रखा जाता है। वयस्क अध्येता की प्रमुख विशेषताओं को हम निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर समझ सकते है-
- शैक्षिक
- सामाजिक
- भावनात्मक
- संज्ञानात्मक
शैक्षिक
वयस्क अध्येता में स्वयं ही परीक्षण, निरीक्षण, विचार और तर्क करने की प्रवृत्ति का उचित विकास होता है। इस अवस्था में वयस्क अध्येता को जिम्मेदारी का एहसास होता है। अतः वयस्क अध्येता शिक्षण कार्य को अपनी कर्मनिष्ठा तथा उत्तरदायित्व की भावना से करने के प्रति समर्पित होता है।
सामाजिक
वयस्क अध्येता सामाजिक परिवेश में अच्छी तरह से समन्वित रहता है। वह सामाजिक रीति-रिवाजों, परम्पराओं आदि को जनता है। वयस्क अध्येता सामाजिक जिम्मेदारी को निभाते हुए शिक्षण कार्य को निष्ठापूर्वक करने में सक्षम होता है।
भावनात्मक
वयस्क अध्येता भावनात्मक रूप से सही निर्णय लेने तथा किसी भी कार्य को करने में सक्षम होता है। वह तर्क के माध्यम से सभी निष्कर्ष प्राप्त करता है। अतः शिक्षण इसकी तार्किक एवं भावनात्मक प्रवृत्ति के विकास को और अधिक उन्नत करती है।संज्ञानात्मक
वयस्क अध्येता के मस्तिष्क का विकास लगभग पूर्ण होता है। वह कल्पना, मनोविज्ञान, तथ्यहीन तर्क आदि के समाधान में समर्थ होता है। अतः वयस्क अध्येता उचित संज्ञानात्मक निर्णय लेकर उचित निष्कर्ष प्रदान करता है।
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