Monday, September 20, 2021

मौलिक शोध / Basis Research

मौलिक शोध Basis Research

मौलिक शोध / Basis Research

    पी. वी. यंग के अनुसार, “मौलिक शोध उसे कहते हैं, जिसमें ज्ञान का संग्रह केवल ज्ञान प्राप्ति के लिए किया जाता है।

    गुडे एवं हाट के अनुसार, “मौलिक शोध वह है, आधार पर एक विशेष अध्ययन विषय के प्रमुख तथ्यों को ज्ञात कर नयी दशाओं के प्रभावों को समझा जाता है। इस शोध निष्कर्षो को सामान्य सिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत कर घटनाओं से सम्बन्धित जानकारी दी जाती है।

उपरोक्त परिभाषाओं से सिद्ध होता है कि मौलिक शोध

  1. नवीन ज्ञान की वृद्धि करता है।
  2. नवीन सिद्धांतों का प्रतिपादन करता है।
  3. नवीन तथ्यों को खोज करता है।  
  4. नवीन सत्यों को प्रतिस्थापित करता है।

    उपरोक्त जानकारी के आधार पर मौलिक अनुसंधान की एक सर्वमान्य परिभाषा दी जा सकती है – “वह शोध जिसका उद्देश्य मौलिक सिद्धांतों का प्रतिपादन, परीक्षण और परिष्करण हो वह मौलिक शोध कहलाता है

    इस प्रकार मौलिक शोध का प्रमुख उद्देश्य उन प्ररचनाओ का निर्माण करना है, जो नवीन हो और प्राकृतिक घटनाओं से सम्बन्धित हो। इसी कारण इस शोध के विषय में कहा जाता है कि मौलिक अनुसंधान में शोधकर्ता इस लिए तथ्यों का एकत्रीकरण नहीं करता क्योंकि वह उसके शोध के लिए उपयोगी है बल्कि इस लिए एकत्रित करता है क्योंकि वह एकत्रित करने योग्य है     

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Sunday, September 19, 2021

शोध के प्रकार / Types of Research

शोध के प्रकार / Types of Research

शोध के प्रकार / aTypes of Research

शोध के प्रकार

शोध का वर्गीकरण शोध की प्रकृति के आधार पर 6 प्रकार से किया जाता है –

  1. परिणाम के आधार पर
  2. उद्देश्य के आधार पर
  3. तर्क के आधार पर
  4. प्रक्रिया के आधार पर
  5. जांच के आधार पर
  6. अवधारणा के आधार पर

परिणाम पर आधारित शोध तीन प्रकार का होता है –

  1. मौलिक शोध
  2. व्यवहारिक शोध
  3. क्रियात्मक शोध

उद्देश्य के आधार पर शोध पाँच प्रकार का होता है –

  1. वर्णानात्मक शोध
  2. सहसंबंधित शोध
  3. व्याख्यात्मक शोध
  4. समन्वेशी शोध
  5. प्रयोगिक शोध

* वर्णानात्मक शोध तीन प्रकार का होता है –

  1. घटनोत्तर शोध
  2. ऐतिहासिक शोध
  3. विश्लेषणात्मक शोध

तर्क के आधार पर शोध दो प्रकार का होता है –

  1. आगमनात्मक शोध
  2. निगमनात्मक

प्रक्रिया के आधार पर शोध 3 प्रकार का होता है –

  1. मात्रात्मक शोध
  2. गुणात्मक शोध
  3. मिश्रित शोध

*गुणात्मक शोध 8 प्रकार का होता है –

  1. समूह केंद्रित शोध
  2. प्रत्यक्ष अवलोकन आधारित शोध
  3. गहन साक्षात्कार संबंधी शोध
  4. कथात्मक शोध
  5. घटनाजन्य शोध
  6. नृ-जातीय शोध
  7. व्यक्तिगत अध्ययन संबंधी शोध
  8. प्रदत्त आधारित शोध

जांच के आधार पर शोध 2 प्रकार का होता है –

  1. संरचित शोध
  2. असंरचित शोध

अवधारणा आधारित शोध 2 प्रकार का होता है –

  1. वैचारिक शोध
  2. अनुभव सिद्ध शोध  
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शोध की विशेषताएं / Characteristics of Research

शोध की विशेषताएं / Characteristics of Research

शोध की विशेषताएं / Characteristics of Research

शोध की विशेषताएं

जब एक शोधकर्ता किसी समस्या की पहचान कर उस पर अपना शोध कार्य प्रारम्भ करता है तो उसके द्वारा किया जा रहा अनुसंधान की आधारशीला निम्नलिखित बातों को पूर्ण करने से मजबूत होती है –

  1. शोध प्रक्रिया पूर्ण रूप से ईमानदारी से हो ।
  2. शोध निष्कर्ष एक गहन अध्ययन का परिणाम हो ।
  3. शोध कार्य पूर्णतः विवेक सम्मत किया गया हो ।
  4. समस्या से संदर्भित तथ्यों का अन्वेषण अच्छी प्रकार से किया गया हो ।
  5. निष्कर्ष प्रमाणिक हो और उसकी प्रमाणिक सिद्ध हो ।

उपरोक्त तथ्यों के आधार पर किसी शोध की मुख्य चार विशेषताएं होती है –

  1. शोध की प्रमाणिकता
  2. शोध की मौलिकता
  3. शोध की वैधता
  4. शोध की वस्तुनिष्ठता

उपरोक्त चार मुख्य विशेषताओं के अतिरिक्त शोध की प्रकृति के अनुसार शोध की अन्य विशेषताएं भी होती है जो निम्नलिखित है –

  1. शोध एक वैज्ञानिक, व्यवस्थित तथा सुनियोजित प्रक्रिया है ।
  2. शोध कार्य सदैव नवीन ज्ञान की वृद्धि एवं उसका विकास करता है ।
  3. शोध कार्य सामान्य नियम तथा सिद्धान्तों के प्रतिपादन पर बल देता है ।
  4. शोध कार्य में व्यक्तिगत पक्षों, भावनाओं तथा विचारों (रूचियों) को महत्व नहीं दिया जाता है ।
  5. शोध प्रक्रिया में तथ्यों के आधार पर परिकल्पनाओं की पुष्टि की जाती है ।
  6. शोध प्रक्रिया तार्किक तथा वस्तुनिष्ठ होती है ।
  7. शोध प्रक्रिया में विश्वसनीय तथा वैध प्रविधियों को प्रयुक्त किया जाता है ।
  8. शोध कार्य में गुणात्मक तथा परिणामात्मक प्रदत्तों की व्यवस्था की जाती है और उनका विश्लेषण करके निष्कर्ष निकाले जाते है ।
  9. प्रत्येक शोध-कार्य से निष्कर्ष निकाले जाते है और सामान्यीकरण का प्रतिपादन किया जाता है ।
  10. शोध-कार्य में धैर्य रखना होता है अर्थात इसमें इसमें शीघ्रता नही की जा जाती है ।

Saturday, September 18, 2021

शोध उद्देश्यों का वर्गीकरण / Classification of Research Objectives

शोध उद्देश्यों का वर्गीकरण / Classification of Research Objectives

शोध उद्देश्यों का वर्गीकरण / Classification of Research Objectives

शोध उद्देश्यों का वर्गीकरण 

    शोध का मुख्य उद्देश्य नये तथ्यों की खोज करना एवं ज्ञात तथ्यों की नवीन व्याख्या करना है ।  शोध सिद्धांतों के स्वरूप के आधार पर शोध के उद्देश्यों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से होगा -

  1. सैद्धान्तिक उद्देश्य ( Theoretical Objectives ) - इस उद्देश्य के अंतर्गत वैज्ञानिक विधि के माध्यम से नवीन सिद्धान्तों एवं नियमों का प्रतिपादन किया जाता है । इस प्रकार का शोध कार्य व्याख्यात्मक ( Exploratory ) प्रकृति का होता हैं । 
  2. तथ्यात्मक उद्देश्य ( Factual objectives ) - तथ्यात्मक उद्देश्य के अन्तर्गत ऐतिहासिक अनुसंधानों के द्वारा नवीन तथ्यों की खोज की जाती है । इसके आधार पर वर्तमान घटनाओं को समझने में सहायता मिलती है । इन उद्देश्यों की प्रकृति वर्णनात्मक ( Descriptive ) होती है । 
  3. सत्यात्मक उद्देश्य ( Establishment of truth as objectives ) - सत्यात्मक उद्देश्य के अन्तर्गत दार्शनिक प्रकृति के अनुसंधानो के द्वारा नवीन सत्यों की स्थापना की जाती है । इनकी प्राप्ति अन्तिम प्रश्नों के उत्तरों से की जाती है । 
  4. व्यावहारिक उद्देश्य ( Practical Utility ) - व्यावहारिक उद्देश्य के अन्तर्गत किसी भी अनुसंधान के निष्कर्षों का व्यावहारिक प्रयोग होना चाहिए, परन्तु अनेक ऐसे अनुसंधान भी होते हैं जहाँ पर केवल उपयोगिता को ही महत्व प्रदान किया जाता है । ऐसे अनुसंधानों को विकासात्मक ( Development ) अनुसंधान कहते हैं ।

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Wednesday, September 15, 2021

शिक्षण में शोध अर्थ एवं परिभाषा / Research Meaning and Definition in Teaching

शिक्षण में शोध अर्थ एवं परिभाषा / Research Meaning and Definition in Teaching

शिक्षण में शोध अर्थ एवं परिभाषा / Research Meaning and Definition in Teaching

शिक्षण में शोध : - अर्थ एवं परिभाषा

शिक्षा के क्षेत्र में जो शोध किया जाता है उसे शैक्षिक अनुसंधान कहते है ।

इसका मुख्य उद्देश्य निमलिखित है –

§  नवीन ज्ञान का सृजन

§  वर्तमान ज्ञान की सत्यता का परीक्षण

§  वर्तमान ज्ञान का विकास

§  भावी योजनाओं की दिशा का निर्धारण

    ट्रैवर्स के अनुसार, शिक्षा के विभिन्न पहलुओं के विषय में संगठित वैज्ञानिक ज्ञान-पुंज का विकास अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि उसी के आधार पर शिक्षक के लिए यह निर्धारण करना संभव होता है कि छात्रों में वांछनीय व्यवहारों के विकास हेतु किस प्रकार की शिक्षण एवं अधिगम परिस्थितियों का निर्धारण करना आवश्यक होगा ।

    भिटनी के अनुसार, शिक्षा अनुसंधान शिक्षा-क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान खोजने का प्रयास करता है तथा इस कार्य की पूर्ति हेतु उसमें वैज्ञानिक, दार्शनिक एवं समालोचनात्मक कल्पना-प्रधान चिन्तन-विधियों का प्रयोग किया जाता है । इस प्रकार वैज्ञानिक अनुसंधान एवं पद्धतियों को शिक्षा-क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए लागू करना शैक्षिक अनुसंधान कहलाता है ।

    कौरनेल के अनुसार, विद्यालय के बालकों, विद्यालयों सामाजिक ढांचे तथा सीखने वालों के लक्षणों एवं इनके बीच होने वाली अन्तर्क्रिया के विषय में क्रमबद्ध रूप से सूचनाएं एकत्र करना शिक्षा-अनुसंधान है ।

    रैडमैन और मोरी ने अपनी किताब  दि रोमांस ऑफ रिसर्चमें शोध का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है, कि नवीन ज्ञान की प्राप्ति के व्यवस्थित प्रयत्न को हम शोध कहते हैं।

    एडवांस्ड लर्नर डिक्शनरी ऑफ करेंट इंग्लिश के अनुसार, किसी भी ज्ञान की शाखा में नवीन तथ्यों की खोज के लिए सावधानीपूर्वक किए गए अन्वेषण या जांच-पड़ताल को शोध की संज्ञा दी जाती है।

    स्पार और स्वेन्सन ने शोध को परिभाषित करते हुए अपनी पुस्तक में लिखा है कि कोई भी विद्वतापूर्ण शोध ही सत्य के लिए, तथ्यों के लिए, निश्चितताओं के लिए अन्चेषण है।

     लुण्डबर्ग के अनुसार, अवलोकित सामग्री का संभावित वर्गीकरण,साधारणीकरण एवं सत्यापन करते हुए पर्याप्त कर्म विषयक और व्यवस्थित पद्धति है।

    यूनेस्को के एक प्रकाशन के अनुसार, शिक्षा-अनुसंधान से तात्पर्य उन सब प्रयासों से जो राज्य अथवा व्यक्ति अथवा संस्थाओं द्वारा किए जाते हैं तथा जिनका उद्देश्य शैक्षक विधियों एवं शैक्षिक कार्यों में सुधार लाना होता है ।

    सर्वमान्य परिभाषा - शोध उस प्रक्रिया अथवा कार्य का नाम है जिसमें बोधपूर्वक प्रयत्न से तथ्यों का संकलन कर सूक्ष्मग्राही एवं विवेचक बुद्धि से उसका अवलोकन- विश्‌लेषण करके नए तथ्यों या सिद्धांतों का उद्‌घाटन किया जाता है।


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Tuesday, September 14, 2021

शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and definitions of education)

शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and definitions of education)

शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and definitions of education)

    'शिक्षा' अंग्रेजी शब्द 'एजुकेशन' (Education) का हिन्दी रूपान्तर है जो कि लैटिन भाषा के (Educatum) शब्द से निकला है । Educatum दो शब्दों से E तथा Duco लैटिन शब्दों से बना है । यहाँ 'E' का अर्थ है - 'अन्दर से' तथा Duco का अर्थ है- आगे बढ़ना । अतएव शिक्षा का अर्थ है- "भीतर से बाहर निकालना" अर्थात बालक के अन्तर्निहित शक्तियों एवं गुणों को प्रकट और विकसित करना।

प्रमुख व्यक्ति द्वारा दी गई परिभाषा

1.      प्लेटो के अनुसार - "शारीरिक , मानसिक तथा बौद्धिक विकास की प्रक्रिया ही शिक्षा है।"

" Education is a process of physical, mental and intellectual development" -Plato

2.      पेस्तालाजी के अनुसार - "शिक्षा मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का स्वाभाविक (व्यवस्थित), समन्वित तथा प्रगतिशील विकास है।"

"Education is a natural, harmonious and progressive development of man's innate powers" - Pestalozzi

3.      रेमन्ट के अनुसार - "शिक्षा विकास की वह प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य बचपन से प्रौढ़ता की और प्रगति करता है।"

"Education is a process of development in which man progresses from childhood to manhood."

4.      जी. डब्ल्यू. ट्रो के अनुसार - " शिक्षा नियंत्रित वातावरण में मानव विकास की क्रिया है।"

Education is a human development in a controlled environment ". - G.W. Trow

5.      स्वामी विवेकानन्द के अनुसार - मनुष्य में पूर्वनिहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना शिक्षा है।

Education is manifestation of perfection already present in man. – Swami Vivekanand

6.      महात्मा गाँधी के अनुसार - शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक तथा मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क तथा आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्तम विकास से है।

By Education I mean an all round drawing out of the best in child and man – body, mind and spirit. . – Mahatma Gandhi

7.      हरबर्ट स्पेन्सर के अनुसार – शिक्षा से तात्पर्य अन्तर्निहित शक्तियों तथा बाह्य जगत के मध्य समन्वय स्थापित करने से है।

Education means establishment of co-ordination between the inherent powers and the outer world.- Herbert Spencer

8.      जॉन डीवी के अनुसार  - शिक्षा व्यक्ति की उन समस्त क्षमताओं का विकास करना है जो उसे अपने वातावरण को नियंत्रित करने तथा अपनी, सम्भावनाओं को पूरा करने योग्य बनाएंगी।

Education is the development of all those capacities in the individual which will enable him to control his environment and fulfill his possibilities. – John Dewey

शिक्षा व्यवहार का परिमार्जन है।
Education is the modification of behaviour,

Sunday, September 29, 2019

शिक्षण प्रक्रिया में दृश्य-साधन / Visual Aids in the Teaching Process

शिक्षण प्रक्रिया में  दृश्य-साधन / Visual Aids in the Teaching Process

शिक्षण प्रक्रिया में  दृश्य-साधन / Visual Aids in the Teaching Process

    शिक्षण प्रक्रिया में दृश्य-साधन के अन्तर्गत उन सामग्रीयों को रखा जाता है, जिनके द्वारा देखकर ज्ञान प्राप्त हो सकता है, जैसे- प्रोजेक्टर, फिल्म स्ट्रिप, मानचित्र, श्यामपट्ट, फोटोग्राफ आदि। शिक्षण में दृश्य साधन सात प्रकार से सहायक होते है-

  1. रेखाचित्र अथवा चार्ट
  2. मानचित्र एवं ग्लोब
  3. प्रतिमान
  4. स्लाइड्स
  5. ग्राफ
  6. फ्लैश कार्ड
  7. पत्र-पत्रिका

 रेखाचित्र अथवा चार्ट 

    किसी वस्तु के प्रतिमान की अनुपस्थिति में रेखाचित्र या ग्राफ आदि से के द्वारा विषय को समझने में आसानी हो जाती है। रेखाचित्र के द्वारा विषय-वस्तु को आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है। रेखाचित्र के माध्यम से विद्यार्थियों में अमूर्त तथ्य का दृश्य रूप में प्रकटीकरण, सारांश प्रस्तुतीकरण, कलानुक्रमिक विधि से प्रस्तुति, चित्रात्मक संकेत आदि का विकास होता है। 

 मानचित्र एवं ग्लोब

     मानचित्र अथवा ग्लोब द्वारा स्थान की भौगोलिक स्थिति, एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी, क्षेत्रफल आदि का ज्ञान बड़ी सरलता से किया जा सकता है। मानचित्र विश्व की जलवायु, मौसम व पर्यावरण आदि विषयों को विद्यार्थियों को समझाने में सहायक होता है। मानचित्र दो आयामी होता है जबकि ग्लोब तीन आयामी होता है।

 प्रतिमान 

     किसी वास्तविक वस्तुओं के प्रतिरूप ही प्रतिमान होते है। प्रतिमानों का प्रयोग प्रत्यक्ष वस्तुओं की अनुपस्थिति के समय किया जाता है। प्रतिमानों से जानवरों एवं उनके अंगों का ज्ञान, पेड़-पौधों का ज्ञान, फल, पुष्प आदि का ज्ञान किया जाता है।

 स्लाइड्स 

     सूक्ष्म पदार्थों के अध्ययन के लिए स्लाइड्स का उपयोग किया जाता  है। स्लाइड्स को माइक्रोस्कोप की सहायता से देखा जाता है। इसके अतिरिक्त स्लाइड्स को प्रदर्शित करने के लिए प्रोजेक्टर का प्रयोग भी किया जाता है।

 ग्राफ 

     सांख्यिकी एवं उसके परिमाणात्मक सम्बन्धों को दृश्य-रूप में ग्राफ के माध्यम से समझाया जाता सकता है। यह आँकड़ों का आलेखीय प्रस्तुतीकरण होता है, जिसमें सरल रेखा-ग्राफ, वृत या पाई चार्ट व बार ग्राफ जैसी पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है।

 फ्लैश कार्ड 

    फ़्लैश कार्ड प्रयोग छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए किया जाता है। इसमें कार्ड के द्वारा शब्द चित्र, मात्राएं आदि को जोड़ने का कार्य किया जाता है। यह पाठ्य-वस्तु को रोचक तरीके से सीखने की एक विधि है।

 पत्र-पत्रिका 

     पत्र-पत्रिका शिक्षण सामग्री की एक महत्वपूर्ण दृश्य प्रस्तुति है, जिसके माध्यम से विषयों को उदाहरण-स्वरूप प्रस्तुत कर शिक्षण को बोधगम्य बनाया जाता है।

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प्राकृतिक आपदा से बचाव

Protection from natural disaster   Q. Which one of the following is appropriate for natural hazard mitigation? (A) International AI...