Friday, October 1, 2021

एक प्रक्रिया के रूप में शोध का अर्थ स्पष्ट करने के लिए किन सूक्तियों की प्रासंगिक है?

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57.एक प्रक्रिया के रूप में शोध का अर्थ स्पष्ट करने के लिए निम्नलिखित सूक्तियों में से कौन-सी प्रासंगिक नहीं है?

  1. क्रमबद्ध क्रिया
  2. वस्तुनिष्ठ अवलोकन
  3. प्रयोग एवं त्रुटि
  4. समस्या समाधान


उत्तर- (3) एक प्रक्रिया के रूप में शोध का अर्थ स्पष्ट करने के लिए, क्रमबद्ध क्रिया, वस्तुनिष्ठ अवलोकन और समस्या समाधान का होना आवश्यक है।

दृश्यप्रपंचशास्त्र (फिनॉमिनॉलॉजी) शब्द किस प्रक्रिया से सम्बन्धित है?

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56.दृश्यप्रपंचशास्त्र (फिनॉमिनॉलॉजी) शब्द निम्नलिखित की प्रक्रिया से सम्बन्धित है-

  1. गुणात्मक शोध की
  2. प्रसरण के विश्लेषण की
  3. सहसम्बन्ध के अध्ययन की
  4. सभाविता के प्रतिचयन की  


उत्तर- (1) दृश्य प्रपंच शास्त्र (फिनॉमिनॉलॉजी) शब्द गुणात्मक शोध की प्रक्रिया से संबंधित है। 

गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative research)- गुणात्मक अनुसंधान अलग-अलग शैक्षणिक विषयों में विनियोजित, पारंम्परिक रूप से सामाजिक विज्ञान, साथ ही बाजार अनुसंधान और अन्य सन्दर्भो में जांच की एक विधि है। गुणात्मक शोधकर्ताओं का उद्देश्य मानवीय, व्यवहार और ऐसे व्यवहार को शासित करने वाले कारणों को गहराई से समझाना है। गुणात्मक शोध न केवल क्या, कहाँ, कब, की छानबीन करता है बल्कि क्यों और कैसे को भी खोजता है। इसलिए बड़े नमूनों के बाजाय अक्सर छोटे पर संकेन्द्रित नमूनों की जरूरत होती है। गुणात्मक विधि केवल विशिष्ट अध्ययन पर किए गए मामलों पर जानकारी उत्पन्न करती है। 

सोसियोग्राम' तकनीक का प्रयोग किस लिए किया जाता है?

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55.'सोसियोग्राम' तकनीक का प्रयोग किया जाता है-

  1. व्यावसायिक रुचि के अध्ययन के लिए
  2. पेशेवर क्षमता के अध्ययन के लिए
  3. मानवीय सम्बन्ध के अध्ययन के लिए
  4. उपलब्धि प्रेरणा के अध्ययन के लिए


उत्तर- (3) सोसियोग्राम (Sociogram)- सोसियोग्राम एक ग्राफिक प्रोग्राम है। इसका प्रयोग मानवीय सम्बन्ध के अध्ययन के लिए किया जाता है। याकूब एल मोरेनो द्वारा Sociogram को विकसित किया गया। यह एक समूह के भीतर विकल्प या वरीयताओं का विश्लेषण करने के लिए होता है।

एक चिकित्सक ने डेंगू बुखार की दो औषधियों की सापेक्षिक प्रभावशीलता का अध्ययन किया। उसके शोध को किस अनुसंधान विधि के अन्तर्गत वर्गीकृत किया जाएगा?

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54.एक चिकित्सक ने डेंगू बुखार की दो औषधियों की सापेक्षिक प्रभावशीलता का अध्ययन किया। उसके शोध को वर्गीकृत किया जाएगा-

  1. वर्णात्मक सर्वेक्षण के रूप में
  2. प्रयोगात्मक शोध के रूप में
  3. वैयक्तिक अध्ययन के रूप में
  4. नृजाति वर्णन के रूप में


उत्तर- (2) एक चिकित्सक ने डेंगू बुखार की दो औषधियों की सापेक्षिक प्रभावशीलता का अध्ययन किया। उसके शोध को प्रयोगात्मक शोध के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।

प्रयोगात्मक अनुसंधान विधि (Experimental Research Method)- यह अनुसंधान की एक वैज्ञानिक विधि है जिसके अन्तर्गत एक अनुसंधानकर्ता सदैव नवीन तथ्यों की खोज में प्रवृत्त रहता है। यह विधि ज्ञान के भंडार में अपना योगदान देती है तथा उसमें वृद्धि करती है।

प्रयोगात्मक अनुसंधान विधि की परिभाषाएं-

1.    जहोदा (Jahoda) के अनुसार "प्रयोगात्मक विधि परिकल्पना के परीक्षण की एक विधि है"। 

2.   बीवरेज (Beverage) “प्रयोग में प्रायः किसी घटना को ज्ञान दशाओं में पूर्ण किया जाता है तथा बाह्य प्रभावों को यथासम्भव दूर करके उनका निरीक्षण किया जाता है जिससे कि प्रपंच के सम्बन्ध को भली - भाँति दूर किया जा सके ।"

3.   चैपलिन (Chaplin) के अनुसार नियंत्रित दशाओं में किये गये निरीक्षण ही प्रयोग है ।"

4.   मुनरो एवं एलिंगहार्ट (Munroe and Elling hart) - के अनुसार - "प्रयोग में एक अनुसंधानकर्ता किन्ही तत्वों को नियंत्रित करके अन्य चरों पर उनका प्रभाव देखता है ।"

प्रयोगात्मक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य-

प्रयोगात्मक अनुसंधान का उद्देश्य वैज्ञानिक रूप में दो या दो से अधिक तत्वों के सम्बन्ध की व्याख्या करना होता है। 

यदि कोई शोधकर्ता इस आशय से शोध करता है कि कौन-सा प्रबन्धकीय ढंग ज्यादा संगठनात्मक प्रभावशाली होगा, तब यह किस शोध का उदाहरण होगा?

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53.यदि कोई शोधकर्ता इस आशय से शोध करता है कि कौन-सा प्रबन्धकीय ढंग ज्यादा संगठनात्मक प्रभावशाली होगा, तब यह किस शोध का उदाहरण होगा?

  1. आधारभूत शोध
  2. क्रियानिष्ठ शोध
  3. व्यावहारिक शोध
  4. उपर्युक्त में से कोई नहीं


उत्तर- (1) यदि कोई शोधकर्ता इस आशय से शोध करता है कि कौन सा प्रबंधकीय ढंग ज्यादा संगठनात्मक प्रभावशाली होगा तब यह 'आधारभूत शोध' या मौलिक शोध कहलाएगा। क्रियानिष्ठ शोध तत्कालीन समस्याओं का निस्तारण करने के लिये किया जाता है जबकि व्यावहारिक शोध सामाजिक समस्याओं का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।

शोध-प्रक्रिया प्रारम्भ करने का प्रथम चरण कौन-सा है?

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52.निम्नलिखित में शोध-प्रक्रिया प्रारम्भ करने का प्रथम चरण कौन-सा है? 

  1. समस्या का निर्धारण करने के लिए सूचना के स्रोतों की खोज
  2. सम्बन्धित साहित्य का सर्वेक्षण
  3. समस्या की पहचान
  4. समस्या का समाधान ढूंढ़ना


उत्तर- (3) शोध प्रक्रिया का चरण (पद) इस प्रकार है –

  1. समस्या की उत्पत्ति
  2. समस्या सम्बन्धी सामग्री (प्रेक्षणों) का संकलन
  3. परिकल्पना निर्माण
  4. प्रदत्त संकलन
  5. प्रदत्त विश्लेषण
  6. निष्कर्ष निकालना 

अनुसंधान समस्या का चयन (Selection of research Problem)- वैज्ञानिक अनुसंधान प्रारम्भ करने से पहले अनुसंधानकर्ता के सामने सर्वप्रथम यही चुनौती होती है कि समस्या का चयन किया जायें । यदि अनुसंधानकर्ता समस्या से सम्बंधित सैद्धान्तिक और व्यवहारिक जानकारी हो तो उसके लिए अनुसंधान समस्या का चयन सरल हो जाता है। नये अनुसंधानकर्ताओं को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह ऐसी अनुसंधान समस्या चुने जो समाधान योग्य हो। 

समस्या की परिभाषा (Difinition of Problem)- टाउनसेंड के अनुसार समस्या एक ऐसा प्रश्नवाचक कथन है जिसमें समस्या के समाधान को प्रस्तावित किया जाता है। सामान्यतः समस्या का अस्तित्व तब तक ही रहता है जब कि प्रस्तावित प्रश्न के समाधान हेतु कोई हल उपलब्ध नही हो सकता है।" 

मैक्गुइगन के अनुसार- एक समाधान योग्य समस्या वह है जिसमें प्रश्न किया गया होता है, जिसका व्यक्ति की सामान्य क्षमताओं के द्वारा उत्तर प्राप्त किया जा सकता है।" 

करलिंगर के अनुसार- समस्या एक ऐसा प्रश्नवाचक कथन या वाक्य है जिसमें यह पूछा जाता है कि दो या दो से अधिक चरों में किस प्रकार का संबन्ध है।" 

उपरोक्त परभिाषाओं के आधार पर अनुसंधान समस्या की एक सर्वमान्य परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि समाधान योग्य समस्या ऐसा प्रश्नवाचक कथन है, जिसमें समस्या के समाधान को प्रस्तावित किया जाता है। इस कथन में यह पूछा जाता है कि दो या दो से अधिक चरों में किस प्रकार का सम्बंध है।" 

अनुसन्धान (अन्वेषण) में एक सामान्य परीक्षण में कैसी प्राथमिमता दी जानी चाहिए?

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51. अनुसन्धान (अन्वेषण) में एक सामान्य परीक्षण में प्राथमिमता दी जाती है-

  1. विश्वसनीयता को
  2. प्रयोग को 
  3. वस्तुनिष्ठता को
  4. उपर्युक्त सभी


उत्तर- (4) अनुसंधान एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है अतः जो भी शोध किये जाते है वे वैज्ञानिक विधि से सत्य की कसौटी पर खरे उतरने चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि अनुसंधान में एक सामान्य परीक्षण में विश्वनियता, प्रयोग, और वस्तुनिष्ठता को प्राथमिकता दी जाए।

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