मूल्यांकन प्रणाली Evaluation System
UGC NET General Paper |
||||
मूल्यांकन प्रणाली Evaluation System
मूल्यांकन एक सतत प्रक्रिया है जो अधिगम प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण
अंग है। मूल्यांकन की प्रक्रिया को व्यापक, समाजिक एवं निर्णयात्मक प्रक्रिया भी कहते
है। टोर्गेरसो और एडम्स के अनुसार “किसी प्रक्रिया या वस्तु के महत्व का निर्धारण ही
मूल्यांकन करना है”। कोठारी आयोग के अनुसार “मूल्यांकन एक निरंतर प्रक्रिया, सम्पूर्ण
शिक्षा प्रणाली का एकीकृत भाग और शिक्षक उद्देश्यों से पूरी तरह सम्बन्धित है। यह विद्यार्थियों
की अध्ययन आदतों और शिक्षक की निर्देशन विधि पर अत्यधिक प्रभाव डालता है और इस प्रकार
न केवल शैक्षिक उपलब्धियों बल्कि इसके सुधार में भी सहायक होती है”। इस प्रकार मूल्यांकन
की एक सर्वमान्य परिभाषा भारतीय शिक्षा आयोग द्वारा इस प्रकार से की गई है- “मूल्यांकन
एक सतत प्रक्रिया है और जो शिक्षा के सम्पूर्ण प्रणाली का एक अभिन्न अंग है। यह परिचित
रूप से शैक्षिक उद्देश्यों से सम्बन्धित है”।
मूल्यांकन के प्रकार
मूल्यांकन चार प्रकार का होता है –
- स्थगन मूल्यांकन
- निर्माणात्मक मूल्यांकन
- नैदानिक मूल्यांकन
- योगात्मक मूल्यांकन
मूल्यांकन की विधि
मूल्यांकन की विधियों को मात्रात्मक और गुणात्मक तकनीकों के रूप
में विभाजित किया गया है।
मात्रात्मक तकनीकें
- लिखित परीक्षा
- मौखिक परीक्षा
- व्यवहारिक परीक्षा
गुणात्मक तकनीकें
- अवलोकन और साक्षात्कार
- जांच सूची
- क्रम निर्धारण पैमाना
- संचित रिकॉर्ड
मूल्यांकन की विशेषताएं
मूल्यांकन की दो विशेषता है –
- व्यवपकता
- निरन्तरता
मूल्यांकन के लाभ
- मूल्यांकन से छात्रों की शक्तियों और कमजोरियों का आकलन हो जाता है जिससे शिक्षक को उनके मार्गदर्शन में सुविधा होती है।
- मूल्यांकन छात्रों के हितों में सुगम योजनाएं बनाने में सहायक होता है।
- मूल्यांकन पाठ्यक्रम में बदलाव को निर्देशित करता है।
- मूल्यांकन के द्वारा छात्र के माता-पिता और अभिभावकों को छात्र की प्रगति रिपोर्ट नियमित रूप से मिलती रहती है।
Comments
Post a Comment