Saturday, November 20, 2021

पैराग्राफ - 1


नीचे दिए गए अनुच्छेद को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें : 

वर्तमान में अपेक्षाकृत अधिकतर वाणिज्य से वाणिज्य की सोच रखने वाले विपणनकर्ता किसी भी जगह, किसी भी समय व्यावसायिक उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाने और उपभोक्ता संबंधों को प्रबंधित करने के प्रयोजन से वेबसाइट ब्लॉग और स्मार्टफोन एप से लेकर मुख्यधारा के सोशल नेटवर्कों यथा फेसबुक लिंकडिन, यू ट्यूब और विटर जैसे व्यापक डिजीटल और सोशल विपणन उपागमो का प्रयोग कर रहे हैं । डिजीटल और सोशल विपणन व्यावसायिक उपभोक्ताओं को शामिल करने हेतु बहुत ही तेज रफ्तार से एक नया मंच बना है । वाणिज्य से वाणिज्य ई - प्रापण के अनेक लाभ हैं । प्रथमतः, इससे लेनदेन की लागत कम होती है और इसकी परिणति क्रेता और आपूर्तिकर्ता दोनों के लिए अपेक्षाकृत अधिक कुशल खरीद में होती है । ई - प्रापण से आर्डर प्राप्त होने और सुपुर्दगी के बीच का समय घटता है तथा वेब आधारित खरीद कार्यक्रम से पारंपारिक मांग पत्र और आर्डर प्रक्रियाओं से जुड़ी कागजी कार्य समाप्त होता है तथा इससे किसी संगठन को अपनी सभी खरीदों का बेहतर लेखाजोखा रखने में सहायता मिलती है । अंततः लागत एवं समय की बचत के अलावा, ई - प्रापण क्रेताओं को कड़े परिश्रम और कागजी कार्रवाई से मुक्त करता है । फलतः यह उन्हें अपेक्षाकृत कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण मुद्दों यथाः बेहतर आपूर्ति स्त्रोत का पता लगाने तथा लागत घटाने और नए उत्पाद विकसित करने हेतु आपूर्तिकर्ताओं के साथ काम करने के लिए आजादी प्रदान करता है । हालाँकि तेजी से बढ़ते ई - प्रापण से कुछ परेशानियां भी सामने आई हैं । उदाहरणार्थ, एक ओर जहाँ इंटरनेट आपूर्तिकर्ताओं और उपभोक्ताओं के लिए यह व्यवसाय संबंधी आंकड़े साझा करने और यहाँ तक कि उत्पाद के डिजाइन में सहयोग को संभव बनाता है वहीं दूसरी ओर यह दशकों पुराने उपभोक्ता - आपूर्तिकर्ता संबंधों में क्षरण भी लाता है । अनेक क्रेता अब इंटरनेट की ताकत का प्रयोग खरीद - दर - खरीद आधार पर आपूर्तिकर्ताओं को आमने - सामने रखने और बेहतर सौदा, उत्पादों एवं सौदे में लगने वाले सम्पूर्ण समय की छानबीन करने के लिए करते हैं । 
ई - प्रापण से सुरक्षा संबंधी बड़ी चिंताएं भी उभरती हैं । यद्यपि घरेलू क्रय - विक्रय को बुनियादी एनक्रिप्शन के माध्यम से सुरक्षित किया जा सकता है, परन्तु व्यवसाय के लिए जिस तरह की गोपनीय बातचीत की जरूरत होती है, उसमें गोपनीयता को बनाये रखने हेतु अपेक्षित सुरक्षित वातावरण की अभी भी कमी है । 

1- वाणिज्य से वाणिज्य की सोच रखने वाले प्रबंधकों की वर्तमान रणनीति क्या है ? 
  1. नए व्यवसाय मंच की खोज करना 
  2. नए उपभोक्ता संबंधों की तलाश करना 
  3. सोशल विपणन पर अपेक्षाकृत कम निर्भरता 
  4. डिजीटल व्यवसाय का अधिक से अधिक प्रयोग 
2- ई - प्रापण के लाभ हैं : 
A. लागत कटौती 
B. शीघ्र सुपुर्दगी 
C. महत्त्वपूर्ण खरीद हेतु लम्बा समय 
D. समानुभूतिक खरीद 
सही विकल्प का चयन कीजिए : 
  1. केवल A और B
  2. केवल B और C
  3. केवल C और D
  4. केवल A और D
3- कम कागजी कार्रवाई के परिणाम के रूप में कौन - सा महत्त्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है ? 
  1. सौदा विश्लेषण 
  2. आपूर्ति हेतु अपेक्षाकृत अधिक निवेश 
  3. नए उत्पाद विकसित करना 
  4. पारंपरिक उपभोक्ता संबंध को अधिक महत्त्व देना 
4- इंटरनेट की ताकत के संदर्भ में ई - प्रापण का मुख्य मुद्दा क्या हो सकता है ? 
  1. क्रेता और विक्रेता दोनों के लिए अलग - अलग खरीद । 
  2. उपभोक्ताओं के साथ व्यावसायिक आंकड़े साझा करना । 
  3. उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मक आपूर्ति । 
  4. बेहतर खरीद सौदे । 
5- अनुच्छेद में किस बात पर बल दिया गया है ? 
  1. आपूर्तिकर्ताओं की ताकत 
  2. बुनियादी बिजनेस डाटा एनक्रिप्शन 
  3. व्यवसाय का आपूर्ति पक्ष 
  4. ई-प्रापण की प्रमुख विशेषताएं 
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Friday, November 19, 2021

असंरचित अवलोकन विधि Unstructured Approach Method

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असंरचित अवलोकन विधि Unstructured Approach Method 

असंरचित अवलोकन विधि एक अन्वेषणात्मक क्रिया है। असंरचित अवलोकन में यह संभावित नहीं होता कि व्यवहार का वर्गीकरण अवलोकन से पूर्व ही हो सके । अवलोकनकर्ता व्यवहार के विभिन्न पहलुओं को उसके परिवेश एवं स्थितियों की पृष्ठभूमि में देखता है। यह विधि गुणात्मक अनुसंधान या आगमन विधि का ही एक रूप है। 

असंरचित अवलोकन की योजना के चरण 

  1. अवलोकन के लिए योजना बनाना 
  2. अवलोकन का क्रियान्वयन 
  3. अवलोकन को रिकॉर्ड करना और उसकी व्याख्या करना 

असंरचित अवलोकन लाभ एवं उपयोग 

  1. अवलोकन मानव व्यवहार के विभिन्न पहलुओं का सीधा अध्ययन होता है। 
  2. किसी विशेष स्थिति में यह आंकड़ों को एकत्रित करने का एकमात्र प्रभावी तरीका होता सकता है। 
  3. अवलोकन अनुसंधानकर्ता को किसी घटना के घटते समय के व्यवहार को रिकार्ड करने की सुविधा प्रदान करता है। 

असंरचित अवलोकन के दोष 

  1. यह पता होने पर कि उसके व्यवहार का अवलोकन किया जा रहा है, अध्ययन किए जाने वाले व्यक्ति या समूह जानबूझकर कृतिम व्यवहार करने का प्रयास कर सकता है। 
  2. यह अधिक समय और महंगे उपकरणों पर आधारित होता है। 
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संरचित अवलोकन विधि Structured Approach Method

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संरचित अवलोकन विधि Structured Approach Method 

संरचित अवलोकन विधि एक औपचारिक विधि है। इसकी अवलोकन विधि की रूपरेखा आकस्मिक निराधार अनुमान की जांच के लिए व्यवस्थित वर्णन प्राप्त करने के लिए की जाती है। यह विधि परिणात्मक अनुसंधान या निगमन विधि का ही एक रूप है। 

संरक्षित अवलोकन की योजना के चरण 

  1. अवलोकन के लिए योजना बनाना 
  2. अवलोकन का क्रियान्वयन 
  3. अवलोकन को रिकॉर्ड करना और उसकी व्याख्या करना 

संरक्षित अवलोकन लाभ एवं उपयोग 

  1. अवलोकन मानव व्यवहार के विभिन्न पहलुओं का सीधा अध्ययन होता है। 
  2. किसी विशेष स्थिति में यह आंकड़ों को एकत्रित करने का एकमात्र प्रभावी तरीका होता सकता है। 
  3. अवलोकन अनुसंधानकर्ता को किसी घटना के घटते समय के व्यवहार को रिकार्ड करने की सुविधा प्रदान करता है। 

संरक्षति अवलोकन के दोष 

  1. यह पता होने पर कि उसके व्यवहार का अवलोकन किया जा रहा है, अध्ययन किए जाने वाले व्यक्ति या समूह जानबूझकर कृतिम व्यवहार करने का प्रयास कर सकता है। 
  2. यह अधिक समय और महंगे उपकरणों पर आधारित होता है। 

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मिश्रित शोध Mixed Research

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मिश्रित शोध Mixed Research 

मिश्रित शोध वर्तमान में सबसे लोकप्रिय शोध पद्धतियों में से एक है। इस शोध में मात्रात्मक और गुणात्मक शोध दोनों का एकीकरण कर दिया जाता है । परिणामस्वरूप इस शोध के द्वारा प्राप्त निष्कर्ष अधिक प्रभावी और सटीक होते है। 

मिश्रित शोध की विशेषताएं 

  1. यह एक एकीकृत विधि है जिसमें सीमित और असीमित दोनों प्रकार के उत्तर वाले प्रश्नों का आंकड़ा संग्रहीत होता है। 
  2. यह शोध विधि एक कठोर प्रक्रिया पर आधारित होती है जिसमें गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों प्रकार के शोध द्वारा आंकड़ों का संग्रह का  विश्लेषण होता है। 
  3. यह विधि विभिन्न दृष्टिकोणों से किसी व्यवहार या घटना को समझने में सहायता करती है। 
  4. यह विधि किसी जानकारी का समृद्ध आंकड़ा प्रदान करने में सहायता करती है। 

मिश्रित शोध के उपयोग 

  1. यह शोध विधि शोध निष्कर्ष की वैधता की जांच करने में सहायक होती है। 
  2. यह विधि सर्वेक्षण उपकरणों का विकास करने और परीक्षण करने में सहायक होती है। 
  3. यह विधि सामुदायिक गतिशीलता को समझने में सहायक होती है। 
  4. यह विधि प्रतिभागियों के दृष्टिकोणों को विकसित करने एवं उनके प्रदर्शन को निखरती है। 
  5. यह विधि व्यापक एवं समृद्ध आंकड़ों का संग्रहण करने में सहायक होती है। 

मिश्रित शोध के दोष 

  1. इस शोध के अन्तर्गत जटिल मूल्यांकन को सम्मिलित करना एक बड़ी चुनौती होती है। 
  2. इस शोध पद्धति में बहुविशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। 
  3. इस शोध में अधिक संसाधनों और समय की आवश्यकता होती है।  

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Saturday, October 23, 2021

गुणात्मक शोध Qualitative Research

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गुणात्मक शोध Qualitative Research

गुणात्मक शोध आगमन पद्धति पर आधारित अनुसंधान होता है। जिसमें शोध में प्रयुक्त चरों के गुणों का विश्लेषण किया जाता है। इस शोध का मुख्य उद्देश्य मानव व्यवहार और उसे नियंत्रित करने वाले कारक तत्वों को समझना है। गुणात्मक शोध का उपयोग नीति और कार्यक्रम मूल्यांकन अनुसंधान के लिए किया जाता है। विश्वसनीयता और वैधता इया शोध का मुख्य विषय है। गुणात्मक शोध में संकल्पना (Hypothesis) का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि इस विकल्प को खुला रखा जाता है। गुणात्मक अनुसंधान में कुछ विशिष्ट विधियों का प्रयोग किया जाता है जो निम्न प्रकार है-

  • समूह केन्द्रित अनुसंधान – यह कुछ व्यक्तियों का समूह होता है जिसमें शोध के विषय पर चर्चा की जाती है।
  • प्रत्यक्ष अवलोकन – इसके अन्तर्गत बाहरी पर्यवेक्षक के द्वारा समूह एकत्र किया जाता है।
  • गहन साक्षात्कार – यह तथ्यों को गहराई से जानने का प्रयास होता है।
  • कथात्मक अनुसंधान – यह प्रयुक्त साहित्य का गहनता से अध्ययन से सम्बन्धित है।
  • घटना जन्य अनुसंधान – इसके अन्तर्गत व्यक्तियों से किसी घटना के बारे में अनुभव लिया जाता है।
  • जातिवृत्त अनुसंधान – इसके अन्तर्गत शोध उद्देश्य का भौतिक और सामाजिक पर्यावरण के अन्तर्गत निर्धारण किया जाता है।
  • व्यक्तिगत अध्ययन अनुसंधान – इसके अन्तर्गत मनोवैज्ञानिक विकार, सामाजिक शास्त्र, व्यापार क्षेत्र आदि प्रदत्तो का विश्लेषण किया जाता है।
  • प्रदत्त आधारित सिद्धान्त – इसके अन्तर्गत शोध प्रक्रिया में एकत्र प्रदत्तो का विश्लेषण कर उनसे सम्बन्धित सिद्धान्त विकसित किया जाता है।

उपरोक्त विधियों के अतिरिक्त पात्र अभिनय, सतत-अनुकरण और डायरी भी गुणात्मक शोध के अन्तर्गत ही आते है।

मात्रात्मक शोध Quantitative Research

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मात्रात्मक शोध Quantitative Research

मात्रात्मक शोध निगमनात्मक शोध का ही एक रूप है। मात्रात्मक शोध में पहले से ही शोध की उपकल्पना का निर्धारण कर लिया जाता है साथ ही सिद्धांत भी पहले से ही निर्धारित रहता है। मात्रात्मक शोध आंकड़ों पर आधारित शोध है और इसका निष्कर्ष भी आंकड़ों द्वारा ही निर्धारित होता है। मात्रात्मक शोध में किसी भी प्रकार के भाव का कोई स्थान नहीं होता बल्कि यह शोध संरक्षित साक्षात्कार, अवलोकन, अभिलेख तथा रिपोर्ट की समीक्षा आदि का डाटा संग्रहीत करता है।

Friday, October 22, 2021

निगमनात्मक शोध Deductive Research

निगमनात्मक शोध Deductive Research

पूर्व स्वीकृत सामान्य सत्य के आधार पर विशेष वस्तु की प्रकृति का अनुमान करने की प्रक्रिया निगमनात्मक शोध कहलाती है। यह प्रक्रिया समष्टि ज्ञान से व्यष्टि ज्ञान की और गमन है। निगमनात्मक शोध की प्रक्रिया भी तार्किक प्रक्रिया है। तार्किक निगमनात्मक विवेचना के स्तर पर शोध प्रसंग से संदर्भित ज्ञान का विश्लेषण प्रस्तुत किया जाता है। इस स्तर पर आगमनात्मक तरीके से प्राप्त सामान्यीकरण तथ्यों या व्यवस्थित परिकल्पनाओ व्याख्याओं की निगमनात्मक मीमांसा की जाती है और पूर्व स्वीकृत तथ्यों, तथ्य-सम्बन्धी सामान्यीकरणों एवं परिकल्पनात्मक व्याख्याओं का निहितार्थ स्पष्ट किया जाता है।

प्राकृतिक आपदा से बचाव

Protection from natural disaster   Q. Which one of the following is appropriate for natural hazard mitigation? (A) International AI...