Wednesday, October 13, 2021

सुपुर्द नियत कार्य विधि Assignment Method

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सुपुर्द नियत कार्य विधि Assignment Method

कुछ विशेष प्रयोजनों के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है। जैसे- अतिरिक्त जानकारी उपलब्ध करना, सर्वेक्षण करना, संख्यात्मक समस्याओं को सुलझाना आदि। इस विधि में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है क्योंकि शिक्षक ही सम्पूर्ण कार्ययोजना का निर्माण करता है तथा कार्य के सन्दर्भ में जानकारी इकट्ठा करने में छात्र की मदद करता है। यह विधि किसी भी विषय के लिए प्रयोग की जा सकती है।

सुपुर्द नियत कार्य विधि के लाभ

  • इस विधि में छात्र को स्वतंत्र कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है।
  • इस विधि से छात्रों में विश्लेषणात्मक क्षमताओं का विकास होता है।
  • इस विधि से छात्र में समस्या समाधान की क्षमता विकसित होती है।
  • यह विधि छात्रों में रचनात्मक योग्यता का विकास करती है।
  • यह विधि छात्र में स्वाध्याय के प्रति रुचि का विकास करती है।
  • यह विधि छात्रों में प्रयोगात्मक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करती है।

सुपुर्द नियत कार्य विधि के दोष

  • यदि छात्र को उचित मार्गदर्शन न मिले तो छात्र कार्ययोजना में एक दूसरे की सामग्री की अनुकृति कर सकता है।
  • यह विधि छोटी कक्षाओं के लिए अनुपयुक्त है।
  • यह विधि शिक्षक पर अतिरिक्त कार्यभार को बढ़ा देती है।

प्रदर्शन विधि Demonstration Method

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प्रदर्शन विधि Demonstration Method

प्रदर्शन विधि सीखने के सिद्धान्त पर आधारित होती है जो शिक्षण प्रक्रिया में संज्ञानात्मक, भावात्मक और मनोप्रेरक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उपयोगी विधि है। यह विधि मौखिक स्पष्टीकरण के रूप में भी परिभाषित की जा सकती है। दृश्य-श्रव्य शिक्षण समग्री के प्रयोग के लिए यह विधि उत्तम है।

प्रदर्शन विधि के लाभ

यह विधि वस्तुओं, विचारों और विषय-वस्तु को समझाने की सर्वोत्तम विधि है।

यह विधि संज्ञानात्मक, भावात्मक और मनोप्रेरणा ज्ञानक्षेत्र में उपयोगी है।

प्रदर्शन विधि के दोष

यह विधि प्रयोगात्मक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए उपयुक्त नहीं है।

व्यक्तिगत शिक्षण विधि Personalized Teaching Method

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व्यक्तिगत शिक्षण विधि Personalized Teaching Method

व्यक्तिगत शिक्षण विधि को लिखित माध्यम से अवगत करने की सबसे अच्छी विधि मानी जाती है। इस शिक्षण विधि में पाठ्य-सामग्री का चयन करने के अलावा सभी विषय-वस्तु के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस प्रणाली के मुख्यतः 5 तत्व होते है –

  1. सीखने में निपुणता
  2. आत्म-गति
  3. लिखित समग्री पर बल
  4. कुलानुशासक
  5. व्याख्यान

व्यक्तिगत शिक्षण विधि के लाभ

  • इस प्रणाली से छात्रों को दक्षता प्राप्त होती है।
  • छात्र सीखने की गति को स्वयं निर्धारित करता है।

व्यक्तिगत शिक्षण विधि के दोष

  • यह विधि तेजी से बदलती शिक्षण सामग्री के लिए उपयुक्त नहीं होती।
  • यह विधि मनोसंचालक और भावात्मक ज्ञानक्षेत्रों के लिए उपयुक्त नहीं होती।  

Tuesday, October 12, 2021

पात्र अभिनय विधि Role Playing Method

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पात्र अभिनय विधि Role Playing Method

यह विधि अनुकरणीय या भूमिका विधि के नाम से भी जानी जाती है। यह विधि शिक्षकों एवं छात्रों के ज्ञान कौशल में वृद्धि, मानवीय सम्बन्धों में निपुणता और जीवन में आने वाली व्यक्तिगत समस्यों को हल करने में बहुत उपयोगी सिद्ध होती है। इस विधि में विषय-वस्तु से सम्बन्धित साहित्यिक, ऐतिहासिक, वर्तमान या काल्पनिक घटनाओं का नाटकीय रूपांतरण किया जाता है। जिससे उस विषय-वस्तु से सीधा प्रत्यक्ष होता है और छात्र में मानवीय कौशल का विकास होता है।

पात्र अभिनय विधि के लाभ

  • यह विधि वास्तविक जीवन की स्थतियों की एक झलक प्रस्तुत करती है।
  • यह विधि समूह के प्रत्येक सदस्य की सहभागिता पर बल देती है।
  • इस विधि में अधिगम के तुरन्त बाद ही प्रतिपुष्टि प्राप्त होती है।
  • यह विधि निर्णय, समस्या का समाधान, कार्यक्षमता आदि के कौशल को विकसित करती है।
  • यह विधि अभिनय में सहभागियों के दृष्टिकोणों को बदलने का कार्य करती है।

पात्र अभिनय विधि के दोष

  • यह विधि अप्रत्याशित परिणाम देने के कारण ज्यादा प्रभावशाली नहीं रह पाती।
  • कुछ जटिल समस्याओ का अभिनय करना सम्भव नहीं हो पता।
  • यह विधि अधिक संसधनों पर निर्भर होती है।

प्रकरण अध्ययन विधि Case Study Method

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प्रकरण अध्ययन विधि Case Study Method

इस विधि को व्यष्टि अध्ययन विधि भी कहते है। जब किसी कक्षा में छात्रों की सहभागिता को उच्च स्तर पर सुनिश्चित करना होता है तो इस विधि का प्रयोग किया जाता है। यह विधि उन छात्रों के लिए भी सहायक है जो सीखने के लिए केवल प्रारम्परिक शिक्षण विधियों पर निर्भर रहते है। इस विधि का प्रयोग मोनोविज्ञान, प्रबन्धन, जीव विज्ञान, विधि अध्ययन, समाजशास्त्र, इतिहास आदि विषयों में किया जाता है।

प्रकरण अध्ययन विधि के लाभ

  • यह विधि शिक्षण प्रक्रिया में भाग लेने वाले छात्रों में गंभीर जांच, विश्लेषित मूल्यांकन और तर्क-वितर्क करने की क्षमता का विकास करती है।
  • यह विधि निर्णय लेने और समस्या को सुलझाने की क्षमता का विकास करती है।
  • यह छात्रों की सक्रियता और सहभागिता को सुनिश्चित करती है।

प्रकरण अध्ययन विधि के दोष

  • इस विधि को लागू करने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों का अभाव होता है।
  • यह विधि सभी विषयों के अध्ययन पर लागू नहीं होती है।

ट्यूटोरियल विधि Tutorial Method

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ट्यूटोरियल विधि Tutorial Method

यह विधि अनुशिक्षण विधि के नाम से भी जानी जाती है। यह विधि मानवीय रूप से विभिन्नताओ को वर्गीकृत करने का काम करती है। इस विधि में छात्रों का उसकी आवश्यकताओ के अनुसार मार्गदर्शन मिलता है। अनुशिक्षण विधि तीन प्रकार की होती है-

  • निरीक्षण युक्त अनुशिक्षण
  • सामूहिक अनुशिक्षण
  • प्रयोगात्मक अनुशिक्षण

निरीक्षण युक्त अनुशिक्षण में विद्यार्थी शिक्षक के साथ व्यक्तिगत रूप से विचार-विमर्श करता है। सामूहिक अनुशिक्षण में साधारण स्तर पर शिक्षकों को विशिष्ट शिक्षण दिया जाता है जबकि प्रयोगात्मक अनुशिक्षण शारीरिक कौशल, प्रयोगात्मक कार्य आदि से सम्बन्धित होता है।

अनुशिक्षण विधि के लाभ

  • यह छात्रों का ध्यान केन्द्रित करने की उपयोगी विधि है।
  • यह विधि छात्रों में विचार करने की क्षमता का विकास करती है।
  • इस विधि द्वारा शिक्षण प्रक्रिया को नियंत्रित करना आसान होता है।

अनुशिक्षण विधि के दोष

  • यह विधि छात्रों की व्यक्तिक भिन्नता पर सफल नहीं हो पाती है।
  • यह विधि समय की बर्बादी करती है।  

 

परियोजना विधि Project Method

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परियोजना विधि Project Method

इस विधि के सस्थापक जॉन डीवी के शिष्य किलपैट्रिक है। इस विधि का लक्ष्य पूर्ण सहभागिता के साथ सामाजिक वातावरण के अन्तर्गत समस्या का समाधान करना है। इस विधि में छात्रों के समाने एक समस्या रखी जाती है। छात्र उसका हल निकालने में एक निश्चित अवधि तक प्रयासरत रहते है। इस समयावधि में शिक्षक छात्र का मार्गदर्शक भी बन सकता है। इस सम्पूर्ण क्रियाकलाप की एक निश्चित प्रारूप में रिपोर्ट भी बनाई जाती है।

परियोजना विधि के लाभ

  • इस विधि में छात्र की गम्भीर सोच का विकास होता है।
  • इस विधि में छात्रों में समूह में कार्य करने की प्रवृत्ति का विकास होता है।

परियोजना विधि के दोष

  • इस विधि में निरंतर जांच की आवश्यकता होती है।
  • इस विधि में अधिक मात्रा में संसाधनों की आवश्यकता होती है।  

प्राकृतिक आपदा से बचाव

Protection from natural disaster   Q. Which one of the following is appropriate for natural hazard mitigation? (A) International AI...