Sunday, October 3, 2021

शोध निबंध के अनिवार्य तत्व हैं?

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102.शोध निबंध के अनिवार्य तत्व हैं-

  1. प्रस्तावना, आँकड़ा–संग्रह, आँकड़ा–विश्लेषण, निष्कर्ष और अनुशंसा
  2. कार्यकारी सारांश, साहित्य पुनर्वीक्षण, आँकड़ा संग्रहण, निष्कर्ष, ग्रंथसूची
  3. शोध–योजना, शोध–आँकड़ा, विश्लेषण, संदर्भ
  4. प्रस्तावना, साहित्य पुनर्वीक्षण, शोध-प्रणालियाँ, परिणाम, चर्चा और निष्कर्ष


उत्तर- (4) शोध निबंध लिखने के लिए निम्नलिखित अनिवार्य तत्व है -

  1. प्रस्तावना
  2. साहित्य पुनर्वीक्षण
  3. शोध प्रणालियाँ
  4. परिणाम
  5. चर्चा
  6. निष्कर्ष

जब शिक्षाविदों को व्याख्यान देने अथवा कुछ विशिष्ट शिक्षा संबंधी प्रकरणों पर अपनी प्रस्तुति देने के लिए बुलाया जाता है, तो वह क्या कहलाता है?

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101.जब शिक्षाविदों को व्याख्यान देने अथवा कुछ विशिष्ट शिक्षा संबंधी प्रकरणों पर अपनी प्रस्तुति देने के लिए बुलाया जाता है, तो यह कहलाता है-

  1. प्रशिक्षण कार्यक्रम
  2. कार्यशाला
  3. सिम्पोजियम
  4. सेमिनार


उत्तर- (2) सेमिनार या संगोष्ठी एक सभा होती है जिसमें सूचनाओं के आदान-प्रदान ओर किसी विषय पर परिचर्चा की जाती है। सेमिनार सम्मेलन की अपेक्षा छोटे स्तर पर की जाती है। सेमिनार सीमित एवं औपचारिक प्रकृति की होती है जबकि सम्मेलन अधिक विस्तृत एवं अनौपचारिक प्रकृति का होता है। सेमिनार में परिचर्चा सीमित समय में और गंभीर विषयों पर की जाती है। प्रत्येक सदस्य को सेमिनार में अपने विचार रखने का मौका दिया जाता हैं। अन्त में सेमिनार के विषय पर परिचर्चा होती है। सेमिनार की व्यवस्था प्रबन्ध-तंत्र के कई स्तरों पर की जाती है जिन्हें चार भागों में विभाजित कर सकते हैं –

  1. लघु विचार गोष्ठी
  2. मुख्य विचार गोष्ठी
  3. राष्ट्रीय विचार गोष्ठी
  4. अन्तर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठी

जब सामाजिक शोध की योजना बनाई जाए तो बेहतर होगा?

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100.जब सामाजिक शोध की योजना बनाई जाए तो बेहतर होगा?

  1. खुले दिमाग से विषम के बारे में सोचना।
  2. उसमें पूरी तरह डूबने से पहले मार्गदर्शी अध्ययन करना।
  3. विषय से जुड़े साहित्य से परिचित होना।
  4. सैद्धांतिकता को भूलना चाहिये क्योंकि यह एक व्यावहारिक व्याख्या है।


उत्तर- (3) जब सामाजिक शोध की योजना बनाई जाए तो बेहतर होगा कि विषय से जुड़े साहित्य से परिचित होना चाहिए। सामाजिक अनुसंधान की आधारशीला अपनी व्याख्या के सम्बन्ध में संदेह प्रकट करने से ही मजबूत होती है। प्रयोग द्वारा सामाजिक घटनाओं की समझ उत्पन्न करना, घटनाओं में कारणता स्थापित करना और वैज्ञानिक तटस्थता बनाए रखना, सामाजिक अनुसंधान की मुख्य लक्षण हैं। सामाजिक शोध में ऐसी व्याख्या प्रस्तुत नहीं करनी चाहिए जो केवल अनुसंधानकर्ता को संतुष्ट करे, बल्कि ऐसी व्याख्या प्रस्तुत करनी होती है जो आलोचनात्मक दृष्टि वालों या विरोधियों का संदेह दूर कर सके। इसके लिए निरीक्षण को व्यवस्थित करना, तथ्य संकलन और तथ्य निर्वचन के लिए विशिष्ट उपकरणों का प्रयोग करना और प्रयोग में आने वाले प्रत्ययों (Variables) को स्पष्ट करना आवश्यक होता है।  

शोध आँकड़ों का आवृत्ति वितरण जो आकार में सममित है और सामान्य के समान है परन्तु उसका केन्द्रीय शिखर ज्यादा ऊँचा हो, कहालाता है?

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99. शोध आँकड़ों का आवृत्ति वितरण जो आकार में सममित है और सामान्य के समान है परन्तु उसका केन्द्रीय शिखर ज्यादा ऊँचा हो, कहालाता है?

  1. विषम
  2. मध्यककुदी
  3. तुंगककुदी
  4. चिपिटककुदी


उत्तर- (3) शोध आंकड़ों का आवृत्ति वितरण जो आकार में सममित है और सामान्य के समान है परन्तु उसका केन्द्रीय शिखर ज्यादा ऊंचा हो, तुगककुदी कहलाता है। 

शोध डिजाइन क्या है?

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98.शोध डिजाइन क्या है?

  1. शोध संचालन का एक तरीका जो सिद्धान्त पर आधारित न हो।
  2. गुणात्मक या परिमाणात्मक पद्धतियों के उपयोग के मध्य विकल्प।
  3. वह शैली जिसमें आप शोध खोजों को प्रस्तुत करना चाहें जैसे ग्राफ।
  4. आँकड़ों के संकलन और विश्लेषण के प्रत्येक स्तर के लिए एक ढाँचा बनाना।


उत्तर- (4) शोध डिजाइन- एक शोध डिजाइन अध्ययन का 'ब्लू प्रिंट' होता है। एक शोध डिजाइन अध्ययन के प्रकार और उप-प्रकार को परिभाषित करता है। शोध डिजाइन सवालों के अनुसंधान के लिए जवाब तलाश करने के लिए बनाई गई रूपरेखा होती है। शोध डिजाइन डिजाइन को वर्गीकृत करने के लिए कई तरीके हैं–

  1. वर्णानात्मक (जैसे- मामला अध्ययन, प्राकृतिक अवलोकन, सर्वेक्षण)
  2. अर्ध प्रयोगात्मक (जैसे- क्षेत्र प्रयोग, अर्ध प्रयोग)
  3. प्रायोगिक (जैसे- यादृच्छिक ज्ञान के साथ प्रयोग)
  4. समीक्षा (जैसे- साहित्य की समीक्षा, व्यवस्थित समीक्षा)
  5. मेटा विश्लेषणात्मक (मेटा-विश्लेषण)

सैम्पलिंग केसेस का आशय क्या है?

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97. 'सैम्पलिंग केसेस' का आशय है?

  1. सैम्पलिंग में सैम्पलिंग ढाँचे का प्रयोग।
  2. शोध के लिए उपयुक्त लोगों की पहचान।
  3. शब्दशः शोधार्थी का ब्रीफकेस। 
  4. लोग, समाचार-पत्र, टेलीविजन कार्यक्रम इत्यादि की सैम्पलिंग।


उत्तर- (4) 'सैम्पलिंग केसेस' का आशय है- लोग, समाचार-पत्र, टेलीविजन कार्यक्रम इत्यादि की सैम्पलिंग करना। 

तात्कालिक उपयोग में आने वाली अनुसंधान धारा है

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96.तात्कालिक उपयोग में आने वाली अनुसंधान धारा है-

  1. संकल्पनात्मक
  2. क्रियात्मक
  3. मौलिक  
  4. आनुभाविक


उत्तर- (2) क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) के द्वारा तात्कालिक समस्याओं का निराकरण किया जाता है। क्रियात्मक अनुसंधान वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शोधकर्ता वैज्ञानिक विधि से अपनी समस्याओं का अध्ययन अपने निर्णय और क्रियाओं में निर्देशन, सुधार और मूल्यांकन करता है। क्रियात्मक अनुसंधान वास्तविक क्रिया में सुधार लाने का एक सफल प्रयास होता है।

प्राकृतिक आपदा से बचाव

Protection from natural disaster   Q. Which one of the following is appropriate for natural hazard mitigation? (A) International AI...