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32.क्षेत्र-कार्य आधृत शोध को निम्नलिखित वर्ग में रखा जाता है-
- इन्द्रियानुभवपक शोध
- ऐतिहासिक शोध
- प्रयोगात्मक शोध
- आत्मकथात्क शोध
उत्तर- (4) क्षेत्र-कार्य आधृत शोध को आत्म
कथात्मक शोध कहते है।
यह ब्लॉग UGC Net Exam की तैयारी के लिए बनाया गया है। आशा है आप सभी की सफलता में हमारी अंश मात्र भागीदारी बने। धन्यवाद ! - विकास विद्यालंकार
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32.क्षेत्र-कार्य आधृत शोध को निम्नलिखित वर्ग में रखा जाता है-
उत्तर- (4) क्षेत्र-कार्य आधृत शोध को आत्म
कथात्मक शोध कहते है।
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31. प्राक्कल्पना का निरूपण निम्नलिखित में अपेक्षित नहीं है-
सर्वेक्षण पद्धति
ऐतिहासिक अध्ययन
प्रायोगिक अध्ययन
आदर्शात्मक अध्ययन
उत्तर- (d) आदर्शनात्मक अध्ययन से प्राक्कल्पना
का निरूपण उपेक्षित नहीं है क्योंकि प्राक्कल्पना का विचार है जिसे चिंतन
प्रक्रिया द्वारा निर्मित किया जाता है।
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30.निम्नलिखित में से कौन अ-सम्भाव्यता प्रतिचयन कहलाता है?
उत्तर- (2) कोटा प्रतिचयन अ-सम्भाव्यतर प्रतिचयन (Non-Probability Sampling) कहलाता है। अन्य अ-सम्भाव्यता प्रतिचयन इस प्रकार है –
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29.अनुसन्धान की समस्या का चुनाव निम्नलिखित में से किस दृष्टिकोण से होता है?
उत्तर- (1) शोधार्थी की रूचि - शोधार्थी को किसी अनुसंधान समस्या का चयन करते समय अपनी रूचि का ध्यान रखना चाहिए। समस्या के अध्ययन में जब तक उसकी रूचि नही होगी वह समस्या का अध्ययन अच्छी तरह से नही कर पायेगा। अनुसंधान में समस्या के अध्ययन के लिए जितनी ही अधिक रूचि होती है यह देखा गया है कि उसमें उतना ही अधिक समस्या के सम्बंध में गहनतम अध्ययन करने की प्रवृत्ति होती है। जब अनुसंधानकर्ता की अध्ययन विषय में कोई रूचि नही होती है तो वह समस्या का अध्ययन लगन से नही करता है और कठिनाई आने पर वह समस्या का अध्ययन बीच में ही छोड़ देता है। इसके अतिरिक्त अनुसंधान समस्या के चयन से सम्बन्धित कुछ व्यावहारिक तथ्य इस प्रकार है-
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28.संभाव्यता प्रतिचयन का आशय है?
उत्तर- (4) सम्भाव प्रतिचयन के निम्न प्रकार है –
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27.वैज्ञानिक अनुसंधान के मुख्य अभिलक्षण हैं?
उत्तर- (3) वैज्ञानिक अनुसंधान के मुख्य अभिलक्षण इस प्रकार है –
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26.जब जनसंख्या (finite) हो तो कौन-सी तकनीक अपनाई जाती है?
उत्तर- (b) सोद्देश्य या उद्देश्य पूर्ण प्रतिचयन
यह वह प्रतिचयन विधि है जिसमें अध्ययन कर्ता सम्पूर्ण जनसंख्या से अपने उद्देश्य
के अनुसार अध्ययन इकाईयों का चयन करता है। इस विधि के सम्बन्ध में गिल्फोर्ड ने लिखा है, "उद्देश्य-पूर्ण प्रतिदर्श
एक स्वेच्छानुसार चयन किया गया प्रतिदर्श होता है। इस सम्बन्ध में इस तथ्य का ठोस
प्रमाण रहता है ऐसा प्रतिदर्श सम्पूर्ण समष्टि का पूर्णरूपेण प्रतिनिधित्व करता है” । जहोदा के अनुसार, “उद्देश्यपूर्ण प्रतिचयन की मान्यता यह
है कि उचित निर्णय तथा उपयुक्त कुशलता के साथ व्यक्ति प्रतिचयन में सम्मिलित करने
हेतु उन मामलों को चुन सकता है तथा ऐसे प्रतिचयन का विकास कर सकता है जो उसकी
आवश्यकता के अनुसार संतोषजनक है।" संक्षेप में यह वह प्रतिचयन की विधि है
जिसमें चयनकर्ता अध्ययन उद्देश्यों को ध्यान में रखकर उन इकाईयों को प्रतिदर्श में
रखता है जिनसे प्रतिदर्श समष्टि का प्रतिनिधित्व करने वाला हो जाता है।
Protection from natural disaster Q. Which one of the following is appropriate for natural hazard mitigation? (A) International AI...