UGC NET General Paper |
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वर्णनात्मक शोध Descriptive Research
शिक्षा और मनोविज्ञान के क्षेत्र में वर्णनात्मक शोध का बहुत प्रयोग होता है। जॉन डब्ल्यू बेस्ट के अनुसार "वर्णनात्मक अनुसंधान 'क्या है' का वर्णन एवं विश्लेषण करता है। परिस्थितियों अथवा सम्बन्ध जो वास्तव में वर्तमान है, अभ्यास जो चालू है, विश्वास, विचारधारा अथवा अभिवृत्तियाँ जो पायी जा रही है, प्रक्रियायें जो चल रही है, अनुभव जो प्राप्त किए जा रहे है अथवा नयी दिशायें जो विकसित हो रही है, उन्हीं से इसका सम्बन्ध है"। वर्णनात्मक अनुसंधान में मुख्यतः सर्वेक्षण पद्धति का उपयोग किया जाता है। इस शोध में शोधकर्ता का चरों पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। इसमें जांच परिस्थितियों में बदलाव के बिना ही एकत्रित की जाती है। इस शोध में किसी भी चर के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है।
वर्णनात्मक शोध के उद्देश्य
- वर्तमान स्थिति का स्पष्टीकरण करना तथा भावी योजनाओं से सम्बन्धित परिवर्तन को समझना ।
- भावी शोध के प्राथमिक अध्ययन में सहायता करना जिससे शोध को अधिक नियंत्रित, प्रभावी और वस्तुनिष्ठ बनाया जा सके।
वर्णनात्मक अनुसंधान के चरण
इस शोध के निम्नलिखित चरण होते है –
- शोध समस्या का चयन
- समस्या सर्वेक्षण की उपयुक्ता की जांच
- शोध सर्वेक्षण की विधि का चुनाव
- शोध उद्देश्यों का निर्धारण
- प्रस्तावित सर्वेक्षण की सफलता का पूर्वानुमान
- शोध के प्रतिनिधिकारी न्यायदर्श का चुनाव
- अंकड़ें प्राप्त करने का अभिकल्प तैयार करना
- आंकड़ों का संग्रह
- आंकड़ों का विश्लेषण
- प्रतिवेदन की तैयारी
- निष्कर्ष
वर्णनात्मक शोध के प्रकार
वर्णनात्मक शोध तीन प्रकार का होता है –
- सर्वेक्षण अध्ययन
- अन्तर सम्बन्धों का अध्ययन
- विकसात्मक अध्ययन
वर्णनात्मक शोध के लाभ
- यह शोध भविष्य में होने वाले अनुसंधानों के प्राथमिक अध्ययन में सहायक होता है।
- यह शोध मनोवैज्ञानिक विधि से शिक्षा के नियोजन में सहायक होता है।
- यह शोध मानव व्यवहार के विभिन्न घटकों की जानकारी प्राप्त करने में बहुत उपयोगी होता है।
- यह शोध वर्तमान परिस्थितियों की सही पहचान में बहुत सहायक होता है।
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