Monday, October 18, 2021

मूल्यांकन प्रणाली Evaluation System

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मूल्यांकन प्रणाली Evaluation System

मूल्यांकन एक सतत प्रक्रिया है जो अधिगम प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग है। मूल्यांकन की प्रक्रिया को व्यापक, समाजिक एवं निर्णयात्मक प्रक्रिया भी कहते है। टोर्गेरसो और एडम्स के अनुसार “किसी प्रक्रिया या वस्तु के महत्व का निर्धारण ही मूल्यांकन करना है”। कोठारी आयोग के अनुसार “मूल्यांकन एक निरंतर प्रक्रिया, सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली का एकीकृत भाग और शिक्षक उद्देश्यों से पूरी तरह सम्बन्धित है। यह विद्यार्थियों की अध्ययन आदतों और शिक्षक की निर्देशन विधि पर अत्यधिक प्रभाव डालता है और इस प्रकार न केवल शैक्षिक उपलब्धियों बल्कि इसके सुधार में भी सहायक होती है”। इस प्रकार मूल्यांकन की एक सर्वमान्य परिभाषा भारतीय शिक्षा आयोग द्वारा इस प्रकार से की गई है- “मूल्यांकन एक सतत प्रक्रिया है और जो शिक्षा के सम्पूर्ण प्रणाली का एक अभिन्न अंग है। यह परिचित रूप से शैक्षिक उद्देश्यों से सम्बन्धित है”।

मूल्यांकन के प्रकार

मूल्यांकन चार प्रकार का होता है –

  1. स्थगन मूल्यांकन
  2. निर्माणात्मक मूल्यांकन
  3. नैदानिक मूल्यांकन
  4. योगात्मक मूल्यांकन

मूल्यांकन की विधि

मूल्यांकन की विधियों को मात्रात्मक और गुणात्मक तकनीकों के रूप में विभाजित किया गया है।

मात्रात्मक तकनीकें

  • लिखित परीक्षा
  • मौखिक परीक्षा
  • व्यवहारिक परीक्षा

गुणात्मक तकनीकें

  • अवलोकन और साक्षात्कार
  • जांच सूची
  • क्रम निर्धारण पैमाना
  • संचित रिकॉर्ड

मूल्यांकन की विशेषताएं

मूल्यांकन की दो विशेषता है –

  1. व्यवपकता
  2. निरन्तरता

मूल्यांकन के लाभ

  • मूल्यांकन से छात्रों की शक्तियों और कमजोरियों का आकलन हो जाता है जिससे शिक्षक को उनके मार्गदर्शन में सुविधा होती है।
  • मूल्यांकन छात्रों के हितों में सुगम योजनाएं बनाने में सहायक होता है।
  • मूल्यांकन पाठ्यक्रम में बदलाव को निर्देशित करता है।
  • मूल्यांकन के द्वारा छात्र के माता-पिता और अभिभावकों को छात्र की प्रगति रिपोर्ट नियमित रूप से मिलती रहती है।

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित शिक्षण व्यवस्था ICT Education System

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सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित शिक्षण व्यवस्था ICT Education System

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) आधारित शिक्षा प्रणाली में सूचना के वितरण, संवर्द्धन और अनुकूलन के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाता है। इस शिक्षण प्रणाली के प्रमुख घटक निम्नलिखित है-

  • कंप्यूटर हार्डवेयर प्रौद्योगिकी
  • कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी
  • दूरसंचार व नेटवर्क प्रौद्योगिकी
  • मानव संसाधन

इस शिक्षण प्रणाली की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है-

  • इस शिक्षण प्रणाली में वीडियो, टेलीविजन, सेलफोन, कंप्यूटर आदि का प्रयोग किया जाता है।
  • इस शिक्षण प्रणाली के द्वारा दूरवर्ती क्षेत्रों के लिए शिक्षण प्रक्रिया को आसान किया जा सकता है।
  • इस शिक्षण प्रणाली के माध्यम से इन्टरनेट के माध्यम से पंजीकरण, नामांकन तथा परीक्षा परिणाम आदि की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है।

आधुनिक शिक्षा व्यवस्था Modern Education System

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आधुनिक शिक्षा व्यवस्था Modern Education System

आधुनिक शिक्षा व्यवस्था आधार वाक्य है कि “शिक्षा बालक के लिए है न की बालक शिक्षा के लिए”। इस ध्येय वाक्य को सभी आधुनिक शिक्षाविदों ने समर्थन किया है और इसी ध्येय वाक्य के लक्ष्य प्राप्ति के लिए आधुनिक शिक्षा प्रणाली का विकास किया गया जिसकी प्रमुख निम्नलिखित विशेषताएं है-

  • बालक के व्यक्तित्व का महत्व
  • शिक्षा में क्रियशीलता के सिद्धान्त का महत्व
  • शिक्षा में व्यवहारिक ज्ञान पर बल
  • सामाजिक गुणों के विकास पर बल
  • व्यक्तित्व के विकास पर बल
  • सामुदायिक जीवन पर केन्द्रित

Sunday, October 17, 2021

परम्परागत शिक्षण व्यवस्था Traditional Education System

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परम्परागत शिक्षण व्यवस्था Traditional Education System

परम्परागत शिक्षण व्यवस्था एक औपचारिक शिक्षा व्यवस्था है जिसमे पीढ़ी दर पीढ़ी गुरु-शिष्य परम्परा के माध्यम से ज्ञान का प्रवाह होता है। परम्परागत शिक्षण व्यवस्था को हम निम्नलिखित बिन्दुओ के माध्यम से समझ सकते है –

  • इस व्यवस्था में सम्प्रेषण का आधार शैक्षिक, विधियाँ है एवं प्रत्यक्ष सम्प्रेषण होता है।  
  • इस व्यवस्था में प्रत्यक्ष कक्षा शिक्षण ही शिक्षा की मुख्य प्रक्रिया होती है।
  • इस व्यवस्था में आयु, प्रवेश एवं पूर्व उपलब्धियों से सम्बन्धित कठोर नियम होते हैं।
  • यह शिक्षक एवं छात्रों के बीच प्रत्यक्ष कक्षागात परिस्थितियों में सम्पन्न होने वाली शिक्षण अधिगम प्रक्रिया है।
  • इस शिक्षण व्यवस्था में छात्रों को किसी भी प्रकार की मुद्रित सामग्री प्रदान नहीं की जाती है।
  • यह शिक्षा प्रणाली विद्यायली बंधनों से युक्त शिक्षा व्यवस्था है।
  • इस शिक्षण व्यवस्था में छात्र का प्रथम स्थान होता है।  
  • यह शिक्षण व्यवस्था लचीली नहीं है। इसमें छात्रों की रुचि का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है।
  • इस शिक्षण व्यवस्था में जीवन से वास्तविक सम्बन्धों का अभाव पाया जाता है।

स्पोक – SPOC (Small Private Courses)

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स्पोक – SPOC (Small Private Courses)

स्मॉल प्राइवेट एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो कि मूक्स (MOOCs) से काफी मिलता जुलता है। इस प्लेटफॉर्म पर छात्रों को सभी आवश्यक अध्ययन सामग्री विषविद्यालय स्तर पर प्राप्त होती है। यह प्लेटफॉर्म 20-30 भागीदारों के लिए होता है।

मूक्स - MOOCs (Massive Online Open Courses)

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मूक्स - MOOCs (Massive Online Open Courses)

मूक्स एक ओपन ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफ़ॉर्म है जिस पर विश्वविद्यालय स्तर के पाठ्यक्रम शामिल किएगए है। इस प्लेटफ़ॉर्म का उद्देश्य व्यक्ति के अकादमिक विकास को उन्नत करना है। इस प्लेटफॉर्म पर वेब लेक्चर, ऑनलाइन मैटीरियल और ऑनलाइन फोरम की सुविधा मिलती है।

स्वयं प्रभा योजना Self-education Yojana

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स्वयं प्रभा योजना Self-education Yojana

स्वयं प्रभा एक टीवी प्रोग्राम के अन्तर्गत टीवी चैनलों का एक समूह है जिसमे 32 डी टी एच चैनल है। इन चैनलों को जी-सेट (GSAT)-15 उपग्रह के माध्यम से 24 घण्टे प्रसारित किया जाता है। इस प्रोग्राम की देखरेख की जिम्मेदारी इनप्लिबनेट (INPLIBINET) सेंटर की है। स्वयं प्रभा योजना के अन्तर्गत जो शिक्षण समग्री दिखाई जाती है उसको 4 वर्गों में बांटा गया है-

  1. उच्च शिक्षा के लिए (स्नातक और स्नातकोत्तर)
  2. स्कूली शिक्षा के लिए (9 वीं से 12 वीं)
  3. पाठ्यक्रम आधारित शिक्षा के लिए
  4. प्रतियोगी परीक्षा के लिए (10 वीं और 12 वीं)

 

प्राकृतिक आपदा से बचाव

Protection from natural disaster   Q. Which one of the following is appropriate for natural hazard mitigation? (A) International AI...