पाश्चात्य दर्शन का सबसे प्राचीन सम्प्रदाय

प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर पाश्चात्य दर्शन का प्रारम्भ ग्रीक में हुआ। ग्रीक दर्शन में सबसे प्राचीन दार्शनिक मत माइलेशियन मत (Milesion School) है, जिसके तीन प्रमुख दार्शनिक हुए – थेलीज, एनेक्जिमेण्डर और एनेक्जिमेनीज है। तीनों दार्शनिक गुरु-शिष्य प्राणली के अन्तर्गत अध्ययनशील थे अर्थात् थेलीज के शिष्य एनेक्जिमेण्डर थे और एनेक्जिमेण्डर के शिष्य एनेक्जिमेनीज। थेलीज, इस सम्प्रदाय के संस्थापक थे, जिसके कारण ही थेलीज को पाश्चात्य दर्शन के जनक के रूप में माना जाता है।

सबसे प्राचीन पाश्चात्य सम्प्रदाय - माइलेशियन मत

इस सम्प्रदाय का एक अन्य नाम हयूलिस्ट भी है क्योंकि इस सम्प्रदाय के दार्शनिकों की मुख्य समस्या ह्यूल (Hule) अर्थात् द्रव्य थी। जैसे कि थेलीज ने जल को सृष्टि के मूल द्रव्य के रूप में स्वीकार किया तथा एनेक्जिमेण्डर और एनेक्जिमेनीज ने क्रमशः असीम (Apeiron) तथा वायु (Air) को मूल द्रव्य के रूप में स्वीकार किया।

माइलेशियन सम्प्रदाय का प्रमुख दार्शनिक स्कूल आयोनियन्स (Ionians School) था, जिसका केन्द्र यूनान का मिलेटस नामक स्थान रहा। आयोनियन्स स्कूल ने सर्वप्रथम पाश्चात्य दार्शनिक जगत् को अन्वेषण की एक तार्किक ओर वैज्ञानिक पद्धति दी। थेल्स, अनेक्जागोरस और एनेक्जिमेनीज को इस स्कूल के प्रारम्भिक आयोनियन्स दार्शनिक माने जाते हैं। इसके बाद जीनोफेन्स और एम्पेडोकुल्स को इस दार्शनिक सम्प्रदाय के प्रमुख दार्शनिकों में माना जाता है। इस दोनों दार्शनिकों ने भी सृष्टि की एकतत्त्ववादी व्याख्या की है। जीनोफेन्स ने जल और मिट्टी को सृष्टि के मूलतत्त्व के रूप में तथा एम्पेडोकुल्स ने जल, अग्नि, वायु और मिट्टी को मूलतत्त्व के रूप में स्वीकार किया है।

इस प्रकार, पश्चिमी जगत् के सबसे प्राचीन दार्शनिक सम्प्रदाय का प्रारम्भ ही सृष्टि उत्पत्ति के लिए आधारभूत द्रव्य की खोज से होता है और हयूलिस्ट दार्शनिकों की एक लम्बी शृंखला बनती है। इन सभी दार्शनिकों ने अपने-अपने दार्शनिक मत से सृष्टि का मूल द्रव्य स्वीकार किया है, जिसकी सूची इस प्रकार है –

दार्शनिक

सृष्टि का मूलद्रव्य

थेलीज

जल

एनेक्जिमेण्डर

असीम (Apeiron)

अनेक्जागोरस

बुद्धि (Nous)

एनेक्जिमेनीज

वायु

जीनोफेन्स

पृथ्वी और जल

एम्पेडोकुल्स

जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी

हयूलिस्ट दार्शनिकों के अतिरिक्त बाद में भी सृष्टि के मूलतत्त्व को लेकर दार्शनिक व्याख्यायें हुई जिनकी सूची इस प्रकार है –

दार्शनिक

सृष्टि का मूलद्रव्य

पाइथागोरस

संख्या

पार्मेनाईडीज

शुद्ध सत्

हेराक्लिटस

तेज (अग्नि)

सुकरात, प्लेटो और अरस्तु

विज्ञान

मध्यकालीन दार्शनिक

ईश्वर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन आयोनियाई दार्शनिक है[1] ?

a)   हेराक्लिटस

b)   जीनो

 

c)    थेलीज

d)   एनेक्जागोरस

 

UGC NET EXAM दिसम्बर – 2010

2. निम्नलिखित में से माइलेशियन सम्प्रदाय के दार्शनिक कौन है[2] ?

A.   थेलीज

B.   एनेक्जीमेन्डर

 

C.   परर्मेनाइडीज

D.   एनेक्जामेनिज

 

कूट

 

 

a)   A और C

b)   A, B और D

 

c)    B और D

d)   उपर्युक्त सभी

 

 

UGC NET EXAM जून – 2014

3. कारण को सबसे पहले आयोनियन्स ने पहचाना था[3] ?

a)   पदार्थ के रूप में

b)   पूर्णता के रूप में

 

c)    अन्तिम तत्त्व के रूप में

d)   सामान्य के रूप में

 

 

 



[1] Ans - c

माइलेशियन सम्प्रदाय का प्रमुख दार्शनिक स्कूल आयोनियन्स (Ionians School) था, जिसका केन्द्र यूनान का मिलेटस नामक स्थान रहा। मत माइलेशियन मत (Milesion School) पश्चिमी दर्शन का सबसे प्राचीन सम्प्रदाय है, जिसके तीन प्रमुख दार्शनिक हुए – थेलीज, एनेक्जिमेण्डर और एनेक्जिमेनीज है।

[2] Ans - b

माइलेशियन सम्प्रदाय (Milesion School) पश्चिमी दर्शन का सबसे प्राचीन सम्प्रदाय है, जिसके तीन प्रमुख दार्शनिक हुए – थेलीज, एनेक्जिमेण्डर और एनेक्जिमेनीज है।

[3] Ans - a

पश्चिमी दर्शन का सर्वप्रथम दार्शनिक स्कूल आयोनियन्स (Ionians School) था, जिसका केन्द्र यूनान का मिलेटस नामक स्थान रहा। आयोनियन्स स्कूल ने सर्वप्रथम पाश्चात्य दार्शनिक जगत् को अन्वेषण की एक तार्किक ओर वैज्ञानिक पद्धति दी। इन्होंने सृष्टि की एकतत्त्ववादी व्याख्या की है जिसके करण इनको हयूलिस्ट दार्शनिक भी कहते हैं। ह्यूल (Hule) का अर्थ होता है – द्रव्य या पदार्थ।

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