वैदिक साहित्य का परिचय
भारतीय संस्कृति का मूलाधार वैदिक साहित्य है, जो प्राचीन भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्र, विशेष रूप से सप्तसिंधु प्रदेश में विकसित हुआ। इस कालखंड में जो साहित्यिक अभिव्यक्ति मौखिक रूप से प्रसारित हुई, उसे वैदिक संस्कृत में संरक्षित किया गया। वैदिक साहित्य न केवल धार्मिक अनुष्ठानों और दार्शनिक चिंतन का प्रतिबिंब है, बल्कि इसमें तत्कालीन समाज, संस्कृति, चिकित्सा, राजनीति, शिक्षा, विवाह, दान आदि लौकिक विषयों का भी व्यापक विवरण मिलता है। इसी आधार पर भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा का मूलाधार वैदिक साहित्य है। वेदों का उद्गम और द्रष्टा ऋषि वैदिक ज्ञान के प्रसार का माध्यम वैदिक संस्कृत रही है, जिसे देववाणी भी कहा जाता है। वैदिक साहित्य का उद्गम अत्यंत प्राचीन काल में हुआ, परंतु कुछ आधुनिक विद्वान 6000 ई.पू. से 800 ई.पू. के बीच मानते हैं। वैदिक धर्मशास्त्रों के अनुसार, वेद अपौरुषेय (मानव-रचित नहीं) और नित्य (सनातन) माने जाते हैं। चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा ने इन्हें अपने अंतःकरण में ऋषि-दृष्टि के माध्यम से अनुभव किया। यह अनुभूत ज्ञान ब्रह्म...
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