Sunday, September 29, 2019

शिक्षण प्रक्रिया में दृश्य-साधन / Visual Aids in the Teaching Process

शिक्षण प्रक्रिया में  दृश्य-साधन / Visual Aids in the Teaching Process

शिक्षण प्रक्रिया में  दृश्य-साधन / Visual Aids in the Teaching Process

    शिक्षण प्रक्रिया में दृश्य-साधन के अन्तर्गत उन सामग्रीयों को रखा जाता है, जिनके द्वारा देखकर ज्ञान प्राप्त हो सकता है, जैसे- प्रोजेक्टर, फिल्म स्ट्रिप, मानचित्र, श्यामपट्ट, फोटोग्राफ आदि। शिक्षण में दृश्य साधन सात प्रकार से सहायक होते है-

  1. रेखाचित्र अथवा चार्ट
  2. मानचित्र एवं ग्लोब
  3. प्रतिमान
  4. स्लाइड्स
  5. ग्राफ
  6. फ्लैश कार्ड
  7. पत्र-पत्रिका

 रेखाचित्र अथवा चार्ट 

    किसी वस्तु के प्रतिमान की अनुपस्थिति में रेखाचित्र या ग्राफ आदि से के द्वारा विषय को समझने में आसानी हो जाती है। रेखाचित्र के द्वारा विषय-वस्तु को आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है। रेखाचित्र के माध्यम से विद्यार्थियों में अमूर्त तथ्य का दृश्य रूप में प्रकटीकरण, सारांश प्रस्तुतीकरण, कलानुक्रमिक विधि से प्रस्तुति, चित्रात्मक संकेत आदि का विकास होता है। 

 मानचित्र एवं ग्लोब

     मानचित्र अथवा ग्लोब द्वारा स्थान की भौगोलिक स्थिति, एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी, क्षेत्रफल आदि का ज्ञान बड़ी सरलता से किया जा सकता है। मानचित्र विश्व की जलवायु, मौसम व पर्यावरण आदि विषयों को विद्यार्थियों को समझाने में सहायक होता है। मानचित्र दो आयामी होता है जबकि ग्लोब तीन आयामी होता है।

 प्रतिमान 

     किसी वास्तविक वस्तुओं के प्रतिरूप ही प्रतिमान होते है। प्रतिमानों का प्रयोग प्रत्यक्ष वस्तुओं की अनुपस्थिति के समय किया जाता है। प्रतिमानों से जानवरों एवं उनके अंगों का ज्ञान, पेड़-पौधों का ज्ञान, फल, पुष्प आदि का ज्ञान किया जाता है।

 स्लाइड्स 

     सूक्ष्म पदार्थों के अध्ययन के लिए स्लाइड्स का उपयोग किया जाता  है। स्लाइड्स को माइक्रोस्कोप की सहायता से देखा जाता है। इसके अतिरिक्त स्लाइड्स को प्रदर्शित करने के लिए प्रोजेक्टर का प्रयोग भी किया जाता है।

 ग्राफ 

     सांख्यिकी एवं उसके परिमाणात्मक सम्बन्धों को दृश्य-रूप में ग्राफ के माध्यम से समझाया जाता सकता है। यह आँकड़ों का आलेखीय प्रस्तुतीकरण होता है, जिसमें सरल रेखा-ग्राफ, वृत या पाई चार्ट व बार ग्राफ जैसी पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है।

 फ्लैश कार्ड 

    फ़्लैश कार्ड प्रयोग छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए किया जाता है। इसमें कार्ड के द्वारा शब्द चित्र, मात्राएं आदि को जोड़ने का कार्य किया जाता है। यह पाठ्य-वस्तु को रोचक तरीके से सीखने की एक विधि है।

 पत्र-पत्रिका 

     पत्र-पत्रिका शिक्षण सामग्री की एक महत्वपूर्ण दृश्य प्रस्तुति है, जिसके माध्यम से विषयों को उदाहरण-स्वरूप प्रस्तुत कर शिक्षण को बोधगम्य बनाया जाता है।

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Saturday, September 14, 2019

शिक्षण प्रक्रिया में श्रव्य-साधन / Audio Aids in the Teaching Process

शिक्षण प्रक्रिया में श्रव्य-साधन / Audio Aids in the Teaching Process

शिक्षण प्रक्रिया में श्रव्य-साधन / Audio Aids in the Teaching Process

    शिक्षण प्रक्रिया में श्रव्य-साधन के अन्तर्गत उन सामग्रीयों को रखा जाता है, जिनके द्वारा सुनकर ज्ञान प्राप्त हो सकता है, जैसे- फोनोग्राफ रिकॉर्ड, रेडियो प्रसारण तथा मैग्नेटिक टेपरिकॉर्डर आदि। शिक्षण में श्रव्य साधन तीन प्रकार से सहायक होते है-

  • रेडियो 
  • टेप रिकॉर्डर 
  • ग्रामोफोन 

 रेडियो 

रेडियो शिक्षा प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण अंग है। भारत में वर्ष 1936 में सर्वप्रथम आकाशवाणी से समाचार बुलेटिन का प्रसारण हुआ था। वर्ष 1957 में विविध भारती की शुरुआत हुई थी।

 टेप रिकॉर्डर 

टेपरिकॉर्डर के माध्यम से किसी भी विषय-वस्तु को विद्यार्थी के लिए आवश्यकतानुसार प्रस्तुत किया जा सकता है।
यह निदानात्मक और उपचरात्मक दोनों ही शिक्षण विधियों में प्रयुक्त किया जा सकता है।

 ग्रामोफोन 

ग्रामोफोन रेडियो की तरह ही शिक्षण का एक माध्यम है। ग्रामोफोन के द्वारा छात्रों को उच्चारण के शुद्धिकरण में सहायता मिलती है।

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Friday, September 13, 2019

शिक्षण सहायक सामग्री / Teaching Aids

शिक्षण सहायक सामग्री / Teaching Aids

शिक्षण सहायक सामग्री / Teaching Aids

शिक्षण सहायक सामग्री की परिभाषायें - 

  1. सहायक सामग्री वह सामग्री है जो कक्षा में या अन्य शिक्षण परिस्थितियों में लिखित या बोली गई पाठ्य सामग्री को समझने में सहायता प्रदान करती है - डेण्ड के अनुसार 
  2. कोई भी ऐसी सामग्री जिसके माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया को उद्दीप्त किया जात सके अथवा श्रवणेन्द्रिय संवेदनाओं के द्वारा आगे बढ़ाया जा सके वह सहायक सामग्री कहलाती है - कार्टर ए गुड 

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि "शिक्षण सहायक सामग्री वे उपकरण तथा युक्तियाँ है जिनके प्रयोग से छात्रों और समूहों के मध्य प्रभावशाली ढंग से ज्ञान का संचार होता है।

शिक्षण सहायक सामग्री को परम्परागत रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है-

  • श्रव्य साधन 
  • दृश्य साधन 
  • श्रव्य-दृश्य साधन 

श्रव्य साधन 

श्रव्य साधन श्रेणी की सहायक सामग्री में  उनको रखा जाता है, जिसके द्वारा सुनकर ज्ञान प्राप्त किया जा सके। शिक्षण प्रक्रिया में श्रव्य साधन मुख्यतः तीन प्रकार के होता है -
1- रेडियो
2- टेप रिकार्डर
3- ग्रामोफोन

दृश्य साधन 

दृश्य साधन श्रेणी में ऐसी सामग्रीयों को रखा जाता है, जिनको देखकर ज्ञान प्राप्त होता है। शिक्षण प्रक्रिया में दृश्य साधन मुख्यतः सात प्रकार के होते है -
1- रेखाचित्र एवं चार्ट
2- मानचित्र एवं ग्लोब
3- प्रतिमान
4- स्लाइड
5- ग्राफ
6- फ्लैश कार्ड
7- पत्र-पत्रिका

श्रव्य-दृश्य सामग्री 

श्रव्य-दृश्य सामग्री के अन्तर्गत वे साधन रखे जाते है, जिनके द्वारा छात्र देखकर और सुनकर दोनों प्रकार से ज्ञान प्राप्त करते है। श्रव्य-दृश्य सामग्री भी सात परकर की होती है -
1- टेलीविजन
2- कम्प्यूटर
3- मल्टीमीडिया
4- श्यामपट्ट
5- प्रदर्शन बोर्ड
6- चलचित्र अथवा सिनेमा
7- संवाद सामग्री

सहायक सामग्री के उद्देश्य

  1. छात्रों में पाठ के प्रति रूचि जागृत करना। 
  2. छात्रों में तथ्यात्मक सूचनाओं को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना।
  3. शिक्षण कार्यों में सीखने की गति में सुधार करना। 
  4. छात्रों को अधिक से अधिक क्रियाशील बनाना। 
  5. छात्रों की अभिरूचियों पर आशानुकूल प्रभाव डालना। 
  6. तीव्र एवं मंद बुद्धि छात्रों को योग्यतानुसार शिक्षा देना। 
  7. जटिल विषयों को सरल रूप में प्रस्तुत करना। 
  8. बालक का ध्यान पाठ की ओर केन्द्रित करना। 
  9. अमूर्त पदार्थो को मूर्त रूप देना। 
  10. छात्रों की निरीक्षण शक्ति का विकास करना। 
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Monday, September 9, 2019

शिक्षण को प्रभावित करने वाले कारक तत्व / Factors Affecting Teaching

शिक्षण को प्रभावित करने वाले कारक तत्व / Factors Affecting Teaching

शिक्षण को प्रभावित करने वाले कारक तत्व / Factors Affecting Teaching
   शिक्षण एक जटिल एवं सतत् प्रक्रिया है। शिक्षण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक तत्वों में शिक्षक एवं शिक्षार्थी मुख्य भूमिका में होते है। इनके अतिरिक्त शिक्षण को प्रभावित करने वाले कारक तत्वों की सूची निम्नलिखित है -
  1. शिक्षण कौशल 
  2. शैक्षणिक योग्यता 
  3. विषय-वस्तु की विशेषज्ञता 
  4. शिक्षक का अनुभव एवं प्रबन्धन 
  5. शिक्षक एवं शैक्षणिक संस्थानों में समन्वय 
  6. कार्य का विश्लेषण 

1- शिक्षण कौशल

कुछ शिक्षकों में शिक्षण कौशल जन्मजात होता है, परन्तु अधिकतर शिक्षकों को यह कौशल अर्जित करना पड़ता है। कुछ प्रमुख शिक्षण कौशल है -
  • प्रश्न पूछना 
  • प्रयोग करना 
  • व्याख्यान देना 
  • समस्या का निदान करना 

2- शैक्षणिक योग्यता 

शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक की शैक्षणिक योग्यता बहुत महत्वपूर्ण होती है। एक योग्य शिक्षक ही शिक्षण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बना सकता है। एक कुशल शिक्षक के लिए निम्नलिखित योग्यताएं निर्धारित की जाती है -
  • JBT
  • B.Ed
  • CTET
  • NET

3- विषय-वस्तु की विशेषज्ञता

शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक है कि शिक्षक को उसके विषय का विशेष ज्ञान प्राप्त हो, यदि शिक्षक अपनी विषय-वस्तु का विशेषज्ञ नहीं है तो शिक्षण प्रभावी नहीं होता।

4- शिक्षक का अनुभव एवं प्रबन्धन

एक शिक्षक सदैव एक शिक्षार्थी भी होता है। वह अपने ज्ञान एवं अनुभव से शिक्षार्थी के प्रश्नों के उत्तर देकर उसकी जिज्ञासा को शान्त कर पता है।

5- शिक्षक एक शैक्षणिक संस्थानों में समन्वय

एक शिक्षक के लिए आवश्यक है कि वह अपनी शिक्षण प्रक्रिया को एक स्वतन्त्र वातावरण में सम्पन्न कराए। इसके लिए शिक्षक का स्वयं का प्रबन्धन एवं शैक्षणिक संस्थानों में समन्वय रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है।

6- कार्य का विश्लेषण

शिक्षण वह प्रक्रिया है जिसमे शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों ही एक दूसरे पर प्रभाव डालते है। शिक्षक को आवश्यक है की अपने शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए अपने कार्य के साथ-साथ शिक्षार्थियों के कार्यों का भी विश्लेषण करे।
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