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स्वयं प्रभा योजना Self-education Yojana

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UGC NET General Paper Home syllabus Question Bank About the UGC Net Exam About the Writer स्वयं प्रभा योजना Self-education Yojana स्वयं प्रभा एक टीवी प्रोग्राम के अन्तर्गत टीवी चैनलों का एक समूह है जिसमे 32 डी टी एच चैनल है। इन चैनलों को जी-सेट ( GSAT)-15 उपग्रह के माध्यम से 24 घण्टे प्रसारित किया जाता है। इस प्रोग्राम की देखरेख की जिम्मेदारी इनप्लिबनेट ( INPLIBINET) सेंटर की है। स्वयं प्रभा योजना के अन्तर्गत जो शिक्षण समग्री दिखाई जाती है उसको 4 वर्गों में बांटा गया है- उच्च शिक्षा के लिए (स्नातक और स्नातकोत्तर) स्कूली शिक्षा के लिए ( 9 वीं से 12 वीं) पाठ्यक्रम आधारित शिक्षा के लिए प्रतियोगी परीक्षा के लिए (10 वीं और 12 वीं)  

स्वयं योजना Swayam Yojana

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UGC NET General Paper Home syllabus Question Bank About the UGC Net Exam About the Writer स्वयं योजना  Swayam Yojana स्वयं भारत सरकार का एक ऑनलाइन शिक्षण प्रोग्राम है जिसके तीन आधारभूत उद्देश्य है – सिद्धांतों तक पहुँच निष्पक्षता गुणवत्ता इस शिक्षण प्रोग्राम के द्वारा भारत सरकार सभी को श्रेष्ठ शिक्षण अधिगम उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। स्वयं योजना के मुख्य बिन्दु इस प्रकार है- यह योजना डिजिटल क्रांति के माध्यम से उन विद्यार्थियों को जोड़ना का प्रयास है जो ज्ञान और अर्थव्ययस्था की मुख्य धारा से जुडने में असमर्थ है। यह एक स्वदेशी तकनीक से विकसित आईटी मंच है जो कक्षा 9 से लेकर स्नातकोत्तर कक्षा तक के कोर्स उपलब्ध करता है। स्वयं के पाठ्यक्रम विषय विशेषज्ञों के द्वारा तैयार किए गए है। जिसका प्रस्तुतीकरण 4 भागों में किया गया है – वीडियो व्याख्यान, pdf अध्ययन सामग्री, स्व-मूल्यांकन परीक्षा और समाधान। स्वयं योजना में शिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए 9 राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किए गए है। स्वयं पोर्टल पर प...

ऑनलाइन शिक्षण विधि Online Teaching Method

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UGC NET General Paper Home syllabus Question Bank About the UGC Net Exam About the Writer ऑनलाइन शिक्षण विधि Online Teaching Method ऑनलाइन शिक्षण विधि को ई-लर्निंग कहते है। ब्रेडन हॉल की एक रिपोर्ट के अनुसार, “ई-लर्निंग में प्रारंपरिक कक्षा की सेटिंग में सीखने की तुलना में 40-60% कम समय की आवश्यकता होती है”। ई-लर्निंग के विकल्प छात्रों को अपने समय के अनुसार शिक्षण प्रक्रिया में भाग लेने की स्वतंत्रता प्रदान करते है। ई-लर्निंग के दो मुख्य घटक होते है- हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा प्रभावी ई-लर्निंग कोर्स समग्री तैयार करने के लिए आईसीटी द्वारा विषय विशेषज्ञों की टीम तैयार की है और अनेक ऑनलाइन प्रोग्राम भी शुरू किए है। स्वयं ( Swayam) स्वयं-प्रभा ( self-education) और मूक्स ( MOOCs) प्रमुख ई-लर्निंग के प्लेटफ़ॉर्म है। ऑनलाइन शिक्षण विधि के लाभ ऑनलाइन शिक्षण प्रक्रिया से छात्रों का जुड़ना आसान होता है। ऑनलाइन शिक्षण विधि कम खर्चीली है। ऑनलाइन शिक्षण विधि ज्यादा व्यवस्थित होती है। ऑनलाइन शिक्षण विधि र...

मिश्रित अधिगम विधि Blended Learning Method

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UGC NET General Paper Home syllabus Question Bank About the UGC Net Exam About the Writer मिश्रित अधिगम विधि Blended Learning Method यह शब्द शिक्षण में नया है। इस शब्द का उद्गम संयुक्त राज्य अमेरिका मे हुआ है। इस शब्द की अभी तक कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है। मिश्रित अधिगम विधि ऑनलाइन शिक्षण विधि को प्रत्यक्ष परम्परागत शिक्षण से जोड़ता है। यह विधि विभिन्न दृष्टिकोणों को शिक्षाशास्त्र में विकसित करती है। इस विधि का मुख्य उद्देश्य वितरण के तौर-तरीकों के संयोजन के अनुभव द्वारा कुशल और प्रभावी शिक्षा प्रदान करना है। मिश्रित अधिगम विधि के लाभ यह विधि शिक्षण को नवीन पद्धतियों से जोड़ती है। इस विधि के द्वारा शिक्षण प्रक्रिया में विभिन्न दृष्टिकोणों का विकास सम्भव है। यह विधि एक कुशन शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के द्वारा एक प्रभावी शिक्षा प्रदान करने में सफल भूमिका निभाती है। मिश्रित अधिगम विधि के दोष इस विधि में अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है। यह विधि शिक्षण के बाह्य संसाधनों पर निर्भर होने के कारण यदि संसाधनों में कमी आ...

विभेदक अनुदेश विधि Differentiated Instruction Method

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UGC NET General Paper Home syllabus Question Bank About the UGC Net Exam About the Writer विभेदक अनुदेश विधि Differentiated Instruction Method यह अधिगम प्रक्रिया की एक गतिशील और सक्रिय विधि है। इस विधि में शिक्षक सिखाने के लिए विभिन्न योजनाओं और तरीकों का निर्माण करता है। यह विधि सभी प्रकार के समूहों के लिए उपयोगी है। इस विधि में शिक्षण के गुणात्मक पहलुओं की अपेक्षा मात्रात्मक पहलुओं को अधिक महत्व दिया जाता है। यह विधि छात्र केन्द्रित है, जिसमें अधिगम प्रक्रिया का पाठ्यक्रम प्रासंगिक, रोचक और सक्रिय होता है। यह शिक्षण की एक संगठित और सुनियोजित विधि है। विभेदक अनुदेश विधि के लाभ इस विधि में छात्र पूर्णरूपेण सक्रिय रहता है। यह विधि सभी प्रकार के समूहों के लिए उपयोगी है। इस विधि में शिक्षण की मात्रात्मक उपलब्धि पर ध्यान दिया जाता है। यह विधि एक संगठित और सुनियोजित शिक्षण विधि है। विभेदक अनुदेश विधि के दोष यह विधि छात्र केन्द्रित विधि है। इस विधि में शिक्षण के गुणात्मक पहलुओं को महत्व नहीं दिया जाता है।

प्रयोगशाला विधि Laboratory Method

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UGC NET General Paper Home syllabus Question Bank About the UGC Net Exam About the Writer प्रयोगशाला विधि Laboratory Method यह विधि खोज के सिद्धांतों पर आधारित है। इस विधि में किसी परिणाम पर पहुँचने के लिए तथ्यों का सहारा लिया जाता है। इस विधि में छात्र प्रयोगशाला में स्वयं ही प्रयोगों के द्वारा किसी विषय का निरीक्षण करता है और प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर एक अवधारणा का निर्माण करता है। यह विधि आगमन विधि पर ही आधारित उसका प्रयोगात्मक रूप है। प्रयोगशाला विधि के लाभ यह विधि रुचिपूर्ण होती है। यह विधि छात्रों में स्वयं करके सीखने की प्रवृत्ति का विकास करती है। यह छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करती है। यह विधि विज्ञान के प्रयोगात्मक पक्ष को समझाने में प्रभावशाली विधि है। प्रयोगशाला विधि के दोष यह विधि केवल उच्च वेग की कक्षाओं के लिए ही उपयुक्त है। यह विधि केवल शिक्षण काल तक ही उपयोगी होती है। इस विधि समय और धन का व्यय अधिक होता है।

खेल शिक्षण विधि Game Teaching Method

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UGC NET General Paper Home syllabus Question Bank About the UGC Net Exam About the Writer खेल शिक्षण विधि Game Teaching Method फ्रॉबेल ने शिक्षण में खेल विधि की दार्शनिक व्याख्या की ओर अधिगम में इस विधि को महत्वपूर्ण भूमिका में स्वीकार किया। इस विधि के जनक ब्रिटेन के गणितिज्ञ कोल्डवेल कुक थे। यह विधि सभी वर्ग आयु के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है। खेल शिक्षण विधि के लाभ यह विधि छात्रों में सृजनात्मक कौशलों के साथ-साथ जीवन कौशलों का भी विकास करती है। इस विधि से छात्रों के शारीरक विकास उन्नत होता है। यह विधि संज्ञानात्मक और भावात्मक क्षेत्रों का विकास करने वाली है। खेल शिक्षण विधि के दोष इस विधि में खेल की भावना का विकास यदि अधिक होता है किन्तु सीखने की जिज्ञासा कम होती है। इस विधि को पूर्व-प्राथमिक और प्राथमिक स्तर पर उपयोगी नहीं समझा जाता है।