Sunday, October 10, 2021

समूह शिक्षण विधि Team Teaching Method

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समूह शिक्षण विधि Team Teaching Method

समूह शिक्षण विधि बड़े समूह में दो या दो से अधिक शिक्षकों द्वारा प्रयोग की जाने वाली शिक्षण विधि है। इस शिक्षण विधि में दो या तीन शिक्षक एक बड़ी कक्षा में एक ही समय पर अपने-अपने विषय का ज्ञान प्रदान करते है। एक शिक्षक इस विधि में प्रकरण के विषय पर व्याख्यान देता है और दूसरा सैद्धांतिक बातें करता है। तीसरा शिक्षक ववहारिक पक्ष पर बोलेगा तो चौथा शिक्षक विषय के समसामयिक पहलुओं से छात्रों को अवगत कराएगा। इस प्रकार अनेक शिक्षक एक ही विषय पर विस्तृत रूप से चर्चा करते है।

समूह शिक्षण विधि के लाभ

  • यह शिक्षण विधि शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार करने की दृष्टि से बहुत उपयोगी होती है।
  • इस विधि में छात्र एक अच्छे संकाय को साझा कर सकते है।
  • इस शिक्षण विधि में कई शिक्षक एक साथ मिलकर तकनीकी उपकरणों के प्रयोग के द्वारा विषय की वृहद रूप में चर्चा कर सकते है।
  • इस शिक्षण विधि में छात्रों को एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर अच्छे शिक्षक मिल सकते है जिससे छात्रों को विषय का गम्भीर से गम्भीर ज्ञान सहज रूप से मिल जाता है।

समूह शिक्षण विधि के दोष

  • इस विधि की सबसे बड़ी चनौती विशेष दक्षतापूर्ण शिक्षकों को ढूँढना है।
  • यह विधि सभी विषयों को पढ़ाने के लिए उपयुक्त नहीं है।
  • यह विधि समय और योजना दोनों से प्रभावित होती है। इसमें समय की अधिक आवश्यकता होती है।  



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व्याख्यान एवं प्रयोग प्रदर्शन विधि Lecture and Demonstration Strategy Method

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व्याख्यान एवं प्रयोग प्रदर्शन विधि Lecture and Demonstration Strategy Method

प्रयोग प्रदर्शन विधि को बड़े समूह के लिए लागू करने के लिए उसे व्याख्यात्मक रूप से प्रस्तुत किया जाता है। इस विधि में व्याख्यान प्रस्तुति के समय शिक्षण सहायक सामग्री जैसे- ब्लैकबोर्ड, प्रोजेक्टर आदि का प्रयोग किया जाता है जिससे छात्र सम्पूर्ण शिक्षण कार्य के दौरान सक्रिय बना रहता है। इस विधि में शिक्षण प्रदर्शन के दौरान शिक्षक छात्रों से प्रश्नोत्तर भी कर सकता है जिससे विषय-वस्तु को ओर अधिक स्पष्ट किया जा सकता है। 

व्याख्यान एवं प्रयोग प्रदर्शन विधि के लाभ

यह शिक्षण विधि मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर अधिक बल देती है।

यह शिक्षण विधि समय की बचत की दृष्टि से उपयुक्त विधि है।

यह शिक्षण विधि शिक्षण सहायक सामग्री के प्रयोग से किसी भी विषयवस्तु को सरल एवं बोधगम्य बना देती है।

इस शिक्षण विधि में छात्र सम्पूर्ण व्याख्यान के दौरान सक्रिय बना रहता है।

यह विधि छात्रों को वैज्ञानिक सत्यता की और प्रेरित करती है।

व्याख्यान एवं प्रयोग प्रदर्शन विधि के दोष

इस विधि में ‘करके सीखने’ जैसी पद्धतियों की अवहेलना की जाती है।

इस विधि में यह सम्भव है कि छात्र केवल प्रदर्शन के दौरान ही सक्रिय रहे बाकी व्याख्यान के दौरान वह निसक्रिय हो सकता है।

इस विधि में व्यक्तिगत भिन्नता सिद्धान्त की अवहेलना की जाती है।

यह विधि पूर्व तैयारी के बिना और शिक्षण सहायक समग्री के खराब होने से प्रभावित हो सकती है।

इस विधि में प्रमुख तथ्यों के स्थान पर आंशिक तथ्यों पर अधिक ध्यान दिया जाता है।  

व्याख्यान विधि Lecture Method

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व्याख्यान विधि Lecture Method

किसी पाठ्य वस्तु की भाषण की तरह प्रस्तुत करना व्याख्यान कहलाता है। इस विधि को उच्च स्तरीय कक्षाओं के लिए उपयोगी माना जाता है। यह बड़े समूह की शिक्षण विधि के अन्तर्गत आता है। यह विधि सैद्धांतिक ज्ञान को प्राप्त करने में मदद करती है। थॉमस एम रिस्क के अनुसार, “व्याख्यान उन तथ्यों, सिद्धांतों या अन्य सम्बन्धों का प्रतिपादन है जिसको शिक्षक अपने सुनने वालों को समझना चाहता है”।

व्याख्यान विधि के लाभ

  • यह एक सरल, संक्षिप्त एवं आकर्षक विधि है।
  • यह पाठ्य-वस्तु की क्रमबद्धता की उत्तम विधि है।
  • यह बड़े समूह के शिक्षण कार्य के लिए प्रमुख विधि है।
  • यह उच्च शिक्षण कक्षाओं की विधि है।
  • यह समय एवं धन की दृष्टि से बचत करने वाली विधि है।
  • यह विधि विद्यार्थी में ध्यान से सुनने की प्रवृत्ति को जागृत करती है।
  • यह विधयार्थियों में तर्क करने की क्षमता का विकास करती है।
  • इस विधि में छात्र व्याख्यान को सुनकर स्वयं नोट्स बना सकते है।

व्याख्यान विधि के दोष

  • इस विधि में छात्र एक श्रोता के रूप में व्याख्यान सुनते है जिससे उनके निष्क्रिय होने की सम्भावना बनी रहती है।
  • इस शिक्षण विधि में सैद्धांतिक ज्ञान पर अधिक बल दिया जाता है जिस कारण यह छात्रों के मानसिक विकास की समुचित वृद्धि करने में सफल नहीं हो पाती।
  • यह शिक्षण विधि छोटी कक्षाओं के लिए उपयुक्त विधि नहीं है क्योंकि यह छोटी कक्षाओं में नीरस एवं तनाव उत्पन्न कर सकती है।     

शिक्षण की पद्धतियाँ Methods of Teaching

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शिक्षण की पद्धतियाँ Methods of Teaching

शिक्षण की प्रक्रिया को व्यवस्थित एवं उपयोगी बनाने के लिए शिक्षक जिस विधि का प्रयोग करता है वह शिक्षण पद्धति कहलाती है। इग्नासियों एस्ट्राडा के अनुसार, “यदि शिक्षार्थी शिक्षक द्वारा पढ़ाया जाने वाला ढंग नहीं समझ पता तो शिक्षक को चाहिए कि वह शिक्षण के लिए वही विधि अपनाए जिससे शिक्षार्थी समझ जाए”। यह स्वयं शिक्षक को देखना है कि उसके द्वारा कराया जा रहा शिक्षण कार्य सफल है कि नहीं। इस सम्बन्ध में रविन्द्र नाथ टैगोर लिखते है कि “प्रभावी शिक्षण के लिए शिक्षक को स्वयं सदा अध्यपनशील रहना होगा”। शिक्षण की विधियाँ शिक्षण कार्य को अपने उद्देश्य की ओर ले जाती है। स्टोन्स एवं मोरिस कहते है कि “शिक्षण युक्तियाँ उद्देश्यों से सम्बन्धित होती है और शिक्षक के व्यवहार को प्रभावित करती हैं। शिक्षक अपनी परिस्थिति विशेष में कैसा व्यवहार करता है? कैसा वह कक्षा में छात्रों के साथ विभिन्न भूमिकाओं में कार्य पूरा करता है और कैसे छात्र, शिक्षक तथा पाठ्य-वस्तु में अन्तः प्रक्रिया होती है, आदि बातें इसमें आती हैं”।

शिक्षण के उद्देश्यों ओर शिक्षण की विविधताओं के आधार पर शिक्षण की विधियों को तीन बातों को ध्यान में रखकर लागू किया जाता है –

  1. बड़े-समूह के शिक्षण के लिए
  2. छोटे समूह के शिक्षण के लिए
  3. व्यक्तिगत शिक्षण कार्य के लिए

शिक्षण कार्य के उद्देश्य और छात्रों की संख्या के आधार पर उपरोक्त तीनों श्रेणी में से किसी एक का चुनाव कर शिक्षण की पद्धति अपनाई जाती है। शिक्षण की पद्धति को भी तीन प्रकार से श्रेणीगत किया गया है-

  1. अध्यापक केन्द्रित शिक्षण पद्धति
  2. छात्र केन्द्रित शिक्षण पद्धति
  3. मिश्रित शिक्षण पद्धति

अध्यपक केन्द्रित शिक्षण पद्धति- शिक्षक केन्द्रित शिक्षण पद्धति को अनुदेशात्मक शिक्षण पद्धति भी कहते है। क्योंकि इस विधि में शिक्षक ही स्वयं कक्षा का वातावरण तैयार करता है। इस कारण यह विधि औपचारिक और कठोर हो जाती है। इसमें छात्रों को केवल श्रोता की तरह शिक्षण प्रक्रिया में भाग लेना होता है। अध्यापक केन्द्रित शिक्षण पद्धति को प्रभावी बनाने के लिए इसके तीन चरण शिक्षक द्वारा तैयार किए जाते है-

  1. तैयारी
  2. प्रस्तुति
  3. मूल्यांकन

यह शिक्षण विधि बड़े समूह के लिए उपयोगी सिद्ध होती है।

शिक्षक केन्द्रित शिक्षण विधि के प्रकार

  • व्याख्यान विधि
  • व्याख्यान एवं प्रयोग-प्रदर्शन विधि
  • समूह शिक्षण विधि
  • टेलीविजन या वीडियो प्रस्तुत विधि
  • समीक्षा नीति सम्बन्धी विधि
  • प्रश्नोत्तर शिक्षण नीति सम्बन्धी विधि  

छात्र केन्द्रित शिक्षण पद्धति- छात्र केन्द्रित शिक्षण पद्धति को छात्र के मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस शिक्षण पद्धति के केन्द्र में छात्र होता है। इन शिक्षण पद्धतियों का प्रमुख उद्देश्य छात्रों की समस्याओ का निराकरण करना होता है। इस विधि को मनोवैज्ञानिक जॉन डीवी ने समर्थन किया है। यह शिक्षण पद्धति निजीकृत शिक्षण व्यवस्था के लिए उपयोगी सिद्ध होती है।

छात्र केन्द्रित शिक्षण पद्धतियों के प्रकार

  • सुपुर्द नियत कार्य विधि या अभिहस्तांकित कार्य (Assignment)
  • कार्यक्रम अनुदेश विधि
  • कंप्यूटर आधारित शिक्षण विधि
  • परस्पर संवदात्मक वीडियो विधि
  • मुक्त अधिगम विधि
  • सतत अनुकरण विधि
  • अनुमानी विधि
  • ऐतिहासिक खोज विधि
  • खेल शिक्षण विधि
  • प्रयोगशाला विधि

मिश्रित शिक्षण पद्धति- यह शिक्षण पद्धति वर्तमान में सबसे उत्तम पद्धति माना जा रही है। इसमें शिक्षक ओर छात्र दोनों के हितों को ध्यान में रखकर शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाता है। यह लघु-शिक्षण प्रक्रिया में बहुत उपयोगी सिद्ध होती है।

मिश्रित शिक्षण पद्धतियों के प्रकार

  • समूह चर्चा विधि
  • संगोष्ठी
  • पैनल चर्चा
  • मस्तिष्क झंझावाती विधि
  • परियोजना विधि
  • अनुशिक्षण विधि
  • प्रकरण अध्ययन विधि
  • पात्र अभिनय विधि
  • प्रदर्शन विधि



Saturday, October 9, 2021

संस्थागत सुविधाएं Institutional Facilities

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संस्थागत सुविधाएं Institutional Facilities

किसी शिक्षण संस्था द्वारा छात्र को दी जाने वाली वे सभी सुविधाएं जो सीधे तौर पर शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावित करती है, संस्थागत सुविधाएं कहलाती है। संस्थागत सुविधाओं में निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाता हैं-

  • रुचिकर पाठ्यक्रम
  • शिक्षण प्रबन्ध
  • योग्य अध्यापक
  • प्रौद्योगिकी का प्रयोग
  • दूरस्थ शिक्षा प्रग्रामों का संचालन
  • ऑनलाइन शिक्षण प्रक्रिया को सुलभ बनाना
  • अनुकूल शिक्षण वातावरण तैयार करना
  • शिक्षण सहायक साधनों की सुलभता
  • स्वच्छ हवा व स्वच्छ पेय जल
  • स्वच्छ शौचालय
  • बिजली व इन्टरनेट सुविधा

 

शैक्षिक वातावरण Learning Environment

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शैक्षिक वातावरण Learning Environment

किसी शैक्षणिक संस्थानों द्वारा दी जाने वाली वह निदेशात्मक सुविधा जिसका सीधा सम्बन्ध शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावित करने से होता है शैक्षिक वातावरण कहलाता है। शैक्षिक वातावरण में मुख्य रूप से निम्नलिखित बातें शामिल होती है-

  • विद्यालय आबादी से कितनी दूर है।
  • विद्यालय के आसपास प्राकृतिक और सामाजिक स्थिति कैसी है।
  • विद्यालय के आस-पास कारखाने तो नहीं है।
  • विद्यालय किसी प्रकार की विवादित भूमि पर तो नहीं बना है।
  • विद्यालय एकांत स्थान पर तो नहीं है, जहाँ छात्रों को पहुँचने में परेशानी तो नहीं आती।
  • विद्यालय के आस-पास मन्दिर, मस्जिद या कारखाने आदि का शोर केन्द्र तो नहीं है।  
  • विद्यालय में साफ स्वच्छ हवा और पानी की सुविधा है कि नहीं।
  • विद्यालय में बिजली सुविधा है कि नहीं।
  • विद्यालय में इंटरनेट सुविधा है कि नहीं।
  • विद्यालय में परिवहन सुविधा है कि नहीं।

निदेशात्मक सुविधाएं Instructional Facilities

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निदेशात्मक सुविधाएं Instructional Facilities

शिक्षण संस्थाओ द्वारा शिक्षण प्रक्रिया में किए गए प्रभावी कार्य निदेशात्मक सुविधाएं कहलाती है। इस सुविधाओं में मुख्य रूप से निम्नलिखित सुविधाएं शामिल की जाती है-

  • शिक्षण प्रबन्धन
  • शिक्षण नीतियाँ
  • शिक्षण के उद्देश्य

उपरोक्त सुविधाओं के अतिरिक्त कुछ गौण सुविधाएं भी शिक्षण संस्थानों द्वारा प्रदान की जाती है जो निम्नलिखित है–

  • अध्ययन सामग्री
  • शिक्षण पद्धति व विधि
  • रेडियो
  • स्लाइड
  • कंप्यूटर
  • जांच प्रक्रिया

प्राकृतिक आपदा से बचाव

Protection from natural disaster   Q. Which one of the following is appropriate for natural hazard mitigation? (A) International AI...