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वाल्मीकि रामायण: एक सामान्य परिचय

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वाल्मीकि रामायण: एक सामान्य परिचय वाल्मीकि रामायण भारतीय साहित्य का प्राचीनतम महाकाव्य है , जिसे आदि कवि महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत में रचा। यह महाकाव्य भगवान श्रीराम के जीवन , आदर्श , और संघर्षों को विस्तृत रूप में प्रस्तुत करता है। इसे " आदिकाव्य" भी कहा जाता है , क्योंकि यह संस्कृत का सबसे पुराना महाकाव्य माना जाता है। 1. रचनाकार – महर्षि वाल्मीकि महर्षि वाल्मीकि एक तपस्वी ऋषि और आदि कवि थे। उन्होंने नारद मुनि से श्रीराम के आदर्श चरित्र की जानकारी प्राप्त की और अपनी तपस्या के बल पर रामायण की रचना की। 2. संरचना (कांड और श्लोकों की संख्या) वाल्मीकि रामायण में 7 कांड (सर्ग) और लगभग 24,000 श्लोक हैं। कांड का नाम मुख्य विषय बालकांड श्रीराम का जन्म , विश्वामित्र के साथ वनगमन , ताड़का वध , जनकपुरी में आगमन , शिव धनुष भंग और सीता विवाह अयोध्याकांड राम के राज्याभिषेक की तैयारी , कैकेयी की मांग , राम का वनवास , भरत की अयोध्या वापसी और राम की पादुका को राजसिंहासन पर रखना ...

उपनिषद् ग्रंथों का सामान्य परिचय

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उपनिषद् वैदिक साहित्य में प्रचार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्व उपनिषदों का है। इनकी महत्ता दार्शनिक विचारों के कारण है , जिनसे ये देश-विदेश में लोकप्रिय हैं। दाराशिकोह ने इनका अनुवाद फारसी में किया था। पुनः यूरोपीय भाषाओं में भी इनका अनुवाद हुआ। फ्रांसीसी दार्शनिक शॉपेनहावर ने कहा था "उपनिषद् मेरे जीवन तथा मृत्यु दोनों के लिए सान्त्वनादायक हैं।" प्राचीन उपनिषदों की संख्या 13 थी [1] , किन्तु कालान्तर में इनकी संख्या शताधिक हो गई। परवर्ती उपनिषदों में विभिन्न मतावलम्बियों ने अपने धर्मों का सार प्रकट किया , किन्तु इनका सम्बन्ध वैदिक साहित्य से स्थापित नहीं हो सकता। वैदिक शाखाओं में मौलिक रूप से दार्शनिक चिन्तन के लिए विकसित उपनिषदों की गणना इस प्रकार की जाती है – ऋग्वेद से सम्बद्ध ऐतरेय तथा कौषीतकि। कृष्णयजुर्वेद से सम्बद्ध कठ , श्वेताश्वतर , मैत्रायणी (मैत्री) तथा तैत्तिरीय। शुक्लयजुर्वेद से सम्बद्ध ईश तथा बृहदारण्यक। सामवेद से सम्बद्ध छान्दोग्य तथा केन। अथर्ववेद से सम्बद्ध ...