शिक्षण की पद्धतियाँ Methods of Teaching
शिक्षण की प्रक्रिया को व्यवस्थित एवं उपयोगी बनाने के लिए
शिक्षक जिस विधि का प्रयोग करता है वह शिक्षण पद्धति कहलाती है। इग्नासियों
एस्ट्राडा के अनुसार, “यदि शिक्षार्थी शिक्षक द्वारा पढ़ाया जाने वाला ढंग नहीं समझ
पता तो शिक्षक को चाहिए कि वह शिक्षण के लिए वही विधि अपनाए जिससे शिक्षार्थी समझ
जाए”। यह स्वयं शिक्षक को देखना है कि उसके द्वारा कराया जा रहा शिक्षण कार्य सफल
है कि नहीं। इस सम्बन्ध में रविन्द्र नाथ टैगोर लिखते है कि “प्रभावी शिक्षण के
लिए शिक्षक को स्वयं सदा अध्यपनशील रहना होगा”। शिक्षण की विधियाँ शिक्षण कार्य को
अपने उद्देश्य की ओर ले जाती है। स्टोन्स एवं मोरिस कहते है कि “शिक्षण युक्तियाँ
उद्देश्यों से सम्बन्धित होती है और शिक्षक के व्यवहार को प्रभावित करती हैं।
शिक्षक अपनी परिस्थिति विशेष में कैसा व्यवहार करता है? कैसा वह कक्षा में छात्रों
के साथ विभिन्न भूमिकाओं में कार्य पूरा करता है और कैसे छात्र, शिक्षक तथा
पाठ्य-वस्तु में अन्तः प्रक्रिया होती है, आदि बातें इसमें आती हैं”।
शिक्षण के उद्देश्यों ओर शिक्षण की विविधताओं के आधार पर
शिक्षण की विधियों को तीन बातों को ध्यान में रखकर लागू किया जाता है –
- बड़े-समूह के शिक्षण के लिए
- छोटे समूह के शिक्षण के लिए
- व्यक्तिगत शिक्षण कार्य के लिए
शिक्षण कार्य के उद्देश्य और छात्रों की संख्या के आधार पर
उपरोक्त तीनों श्रेणी में से किसी एक का चुनाव कर शिक्षण की पद्धति अपनाई जाती है।
शिक्षण की पद्धति को भी तीन प्रकार से श्रेणीगत किया गया है-
- अध्यापक केन्द्रित शिक्षण पद्धति
- छात्र केन्द्रित शिक्षण पद्धति
- मिश्रित शिक्षण पद्धति
अध्यपक केन्द्रित शिक्षण पद्धति- शिक्षक केन्द्रित शिक्षण
पद्धति को अनुदेशात्मक शिक्षण पद्धति भी कहते है। क्योंकि इस विधि में शिक्षक ही
स्वयं कक्षा का वातावरण तैयार करता है। इस कारण यह विधि औपचारिक और कठोर हो जाती
है। इसमें छात्रों को केवल श्रोता की तरह शिक्षण प्रक्रिया में भाग लेना होता है।
अध्यापक केन्द्रित शिक्षण पद्धति को प्रभावी बनाने के लिए इसके तीन चरण शिक्षक
द्वारा तैयार किए जाते है-
- तैयारी
- प्रस्तुति
- मूल्यांकन
यह शिक्षण विधि बड़े समूह के लिए उपयोगी सिद्ध होती है।
शिक्षक केन्द्रित शिक्षण विधि के प्रकार
- व्याख्यान विधि
- व्याख्यान एवं प्रयोग-प्रदर्शन विधि
- समूह शिक्षण विधि
- टेलीविजन या वीडियो प्रस्तुत विधि
- समीक्षा नीति सम्बन्धी विधि
- प्रश्नोत्तर शिक्षण नीति सम्बन्धी विधि
छात्र केन्द्रित शिक्षण पद्धति- छात्र केन्द्रित शिक्षण पद्धति
को छात्र के मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस शिक्षण पद्धति के
केन्द्र में छात्र होता है। इन शिक्षण पद्धतियों का प्रमुख उद्देश्य छात्रों की
समस्याओ का निराकरण करना होता है। इस विधि को मनोवैज्ञानिक जॉन डीवी ने समर्थन
किया है। यह शिक्षण पद्धति निजीकृत शिक्षण व्यवस्था के लिए उपयोगी सिद्ध होती है।
छात्र केन्द्रित शिक्षण पद्धतियों के प्रकार
- सुपुर्द नियत कार्य विधि या अभिहस्तांकित कार्य (Assignment)
- कार्यक्रम अनुदेश विधि
- कंप्यूटर आधारित शिक्षण विधि
- परस्पर संवदात्मक वीडियो विधि
- मुक्त अधिगम विधि
- सतत अनुकरण विधि
- अनुमानी विधि
- ऐतिहासिक खोज विधि
- खेल शिक्षण विधि
- प्रयोगशाला विधि
मिश्रित शिक्षण पद्धति- यह शिक्षण पद्धति वर्तमान में सबसे
उत्तम पद्धति माना जा रही है। इसमें शिक्षक ओर छात्र दोनों के हितों को ध्यान में रखकर
शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाता है। यह लघु-शिक्षण प्रक्रिया में बहुत उपयोगी सिद्ध
होती है।
मिश्रित शिक्षण पद्धतियों के प्रकार
- समूह चर्चा विधि
- संगोष्ठी
- पैनल चर्चा
- मस्तिष्क झंझावाती विधि
- परियोजना विधि
- अनुशिक्षण विधि
- प्रकरण अध्ययन विधि
- पात्र अभिनय विधि
- प्रदर्शन विधि