Friday, October 1, 2021

क्रिया-निष्ठ शोध है?

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45.क्रिया-निष्ठ शोध है-

  1. एक व्यावहारिक शोध
  2. शोध जिसे तात्कालिक समस्याओं को हल करने के लिए किया जाए
  3. अनुदैर्ध्यात्मक शोध
  4. अनुरूप-शोध


उत्तर- (1) क्रियानिष्ठ शोध (Action Research)- यह एक व्यावहारिक शोध होता है जिसका प्रयोग तात्कालिक समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है।

जो अतीत के अध्ययन द्वारा नए तथ्यों की खोज करती है वह कौन सा शोध है?

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45.उस शोध को, जो अतीत के अध्ययन द्वारा नए तथ्यों की खोज करती है, क्या कहेंगे?

  1. दार्शनिक शोध
  2. ऐतिहासिक शोध
  3. मिथिहासिक शोध
  4. विषय विश्लेषण


उत्तर- (2) ऐतिहासिक अनुसंधान (Historical Research)- इतिहास, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र और मनोविज्ञान में ऐतिहासिक अनुसंधान प्रयोग किया जाता है। ऐतिहासिक अनुसंधान पर कुछ विद्वानों ने प्रामाणिक पुस्तकों की रचना भी की है। जैसे- वेस्टर मार्क ने 'History of human marriage' और ओपेन हीयर ने "The stage” नामक पुस्तकों की रचना की है। ऐतिहासिक अनुसंधान वास्तव में आगमन विधि (Inductive method) का ही संशोधित और परिमार्जित रूप है। आगमन विधि में विशिष्ट घटनाओं के आधार पर सामान्य प्रकृति को ढूँढ़ने का प्रयत्न किया जाता है। 

ऐतिहासिक अनुसंधान की परिभाषा (Definition of Historical Research)

ह्विटनी के अनुसार ऐतिहासिक अनुसंधान विगत या पूर्व अनुभवों को उसी ढंग से विश्लेषण करता है। इसका उद्देश्य भूतकालीन घटना-क्रम, तथ्य एवं अभिवृत्तियों के आधार पर ऐसी सामाजिक समस्याओं का चिन्तन एवं विश्लेषण करना है जिनका समाधान नहीं मिल सका है। यह मानव-विचारों एवं क्रियाओं के विकास की दिशा की खोज करता है। जिसके द्वारा सामाजिक क्रियाओं के लिए आधार प्राप्त हो सके।" 

करलिंगर के अनुसार- ऐतिहासिक अनुसंधान अतीत की घटनाओं, विकास क्रमो तथा विगत अनुभूतियों का तर्क संगत अन्वेषण है। इससे अतीत की सूचनाओं एवं सूचनासूत्रों के सम्बन्ध में प्रमाणों की वैधता का सावधानीपूर्वक परीक्षण किया जाता है और परीक्षा किए गए प्रमाणों की सावधानी पूर्वक व्याख्या की जाती है।"

उपर्युक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार पर ऐतिहासिक अनुसंधान की सर्वमान्य परिभाषा यह हो सकती है- ऐतिहासिक अनुसंधान अतीत की घटनाओं, विकासक्रमों तथा विगत अनुभूतियों का वैज्ञानिक अध्ययन या अन्वेषण है।"

प्रयोगात्मक शोधों में किस प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है?

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44.प्रयोगात्मक शोधों में किस प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है?

  1. अवलोकन
  2. नियंत्रक
  3. जोड़ - तोड़
  4. विषय विश्लेषण


उत्तर- (4) प्रयोगात्मक शोध में अवलोकन जोड़-तोड़ एवं नियंत्रण की आवश्यकता पड़ती है, जबकि विषय विश्लेषण की आवश्यकता नहीं पड़ती है। 

प्रयोगशाला-आधारित प्रयोग के पद (Steps of laboratory experiments)–

  1. समस्या का चयन (Selection of problem)
  2. समस्या से सम्बन्धित साहित्य की समीक्षा (Review of related Literature)
  3. उद्देश्य और परिकल्पना का निर्माण (Objective and formulation of Hypothesis)
  4. प्रक्रिया विधि (Methodology)- 

( क) प्रयोज्यों का चयन और उनका समूहों में वितरण

(ख) चरों का मापन और उपकरण यंत्रो का चुनाव

(ग) चरों का नियन्त्रण

(घ) प्रयोग योजना और प्रयोग अभिकल्प

(ङ) निर्देश और प्रयोग विधि

5. प्रयोग संचालन और आँकड़ों का एकीकरण (Conducting an experiment and data collection)

6. आँकड़ों का सांख्यिकीय विश्लेषण और परिणाम (Statically analysis of data and results)

7. व्याख्या और सामान्यीकरण (Discussion and Generalization)

रद्द परिकल्पना क्या है?

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43.एक रद्द परिकल्पना है-

  1. जब चलों के बीच कोई भिन्नता न हो
  2. शोध - परिकल्पना के समान
  3. प्रकृति में व्यक्ति निष्ठ
  4. जब चलों के बीच भिन्नता हो


उत्तर- (1) शून्य परिकल्पना (Null hypothesis)- वह परिकल्पना है जो यह बताती है कि दो समूहों अथवा दो चरों का आपसी अन्तर शून्य है या दो चरों या दो समूहों में कोई सार्थक अन्तर नही है, शून्य परिकल्पना या रद्द परिकल्पना कहलाती है। इस प्रकार शून्य परिकल्पना की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती शून्य परिकल्पना की मान्यता यह है कि दो चरो में कोई अन्तर नहीं है इसका निर्माण अस्वीकृत होने के उद्देश्य से किया जाता है।" गैरेट (H.E. Garrett) के अनुसार, “शून्य उपकल्पना की यह मान्यता है कि समष्टि के दो प्रतिदर्श मध्यमानों में सत्य अन्तर नहीं है और यदि प्रतिदर्श मध्यमानों में कोई अन्तर है तो यह संयोगजन्य (Accidental) है और यह अन्तर महत्वपूर्ण नहीं है।" शून्य उपकल्पना की सहायता से दो प्रतिदर्श के मध्यमानों के अन्तर की सार्थकता (Significant Difference) का अध्ययन किया जाता है । इस परिकल्पना का संकेत चिन्ह Ho होता है। इस परिकल्पना के कुछ उदाहरण निम्न प्रकार से है

  1. समूह-अ और समूह-ब की बुद्धि में कोई अन्तर नही है।
  2. एक समूह के पुरुषों की बुद्धि के मध्यमान और दूसरे समूह की स्त्रियों की बुद्धि के मध्यमान में सार्थक अन्तर नही है।
  3. शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की छात्रों के संवेगात्मक समायोजन में अन्तर नही होता है।

शोध की विषयनिष्ठता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है?

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42.शोध की विषयनिष्ठता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है?

  1. उसकी निष्पक्षता के जरिये
  2. उसकी विश्वस्तता के जरिये
  3. उसकी वैधता के जरिये
  4. उपर्युक्त सभी


उत्तर- (4) शोध की विषयनिष्ठता को उसकी, निष्पक्षता, विश्वस्तता तथा वैधता के जरिये बढ़ाया जा सकता है। 

मान्यताएं निर्मित करने का आधार क्या है?

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41. मान्यताएं निर्मित करने का आधार क्या है?

  1. देश की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
  2. विश्वविद्यालय
  3. जातियों की विशिष्ठ विशेषताएं
  4. उपर्युक्त सभी 


उत्तर- (4) देश की सांस्कृति पृष्ठभूमि, विश्वविद्यालय, जातियों की विशिष्ठ विशेषताएं मान्यताएं निर्मित करने का आधार होते है। यदि भारत में कोई विधि या कानून बनाता है तो इन तत्वों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है अन्यथा वह विधि या कानून भारतीयों को मान्य नही होगा। इसी प्रकार मान्यताएं निर्मित की जाती है।

किस प्रकार के शोध को विकासात्मक शोध के वर्ग में वर्गीकृत किया गया है?

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40.निम्नांकित में से किसे विकासात्मक शोध के वर्ग में वर्गीकृत किया गया है?

  1. दार्शनिक (तात्विक) शोध
  2. क्रियात्मक शोध
  3. विवरणात्मक शोध
  4. उपर्युक्त सभी


उत्तर- (4) दार्शनिक अनुसंधान विधि (Philosophical Research method)- ऐसे बहुत से महत्वपूर्ण कारण है जिनकी वजह से दर्शन मानव जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है। दर्शन मानव को याद दिलाता है कि मूलभूत आवश्यकताओं से बढ़कर भी एक अन्तिम आवश्यकता है। मनुष्य केवल भोजन, विटामिन एवं तकनीकी खोजों के साथ ही जीवित नही रहा सकता बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कुछ मूल्य एवं मान्यताएँ भी होनी चाहिए।इस प्रकार का अध्ययन दार्शनिक अनुसंधान के अन्तर्गत ही किया जाता है। इस शोध में निम्नलिखित पक्षों को महत्व दिया जाता है –

  1. तर्क ( Logic )
  2. तत्वमीमांसा ( Metaphysics )
  3. ज्ञानमीमांसा ( Epistemology )
  4. मनोविज्ञान ( Psychology )
  5. नीतिशास्त्र ( Ethics )
क्रियात्मक शोध (Action Research) किसी समस्या के समाधान के लिए उसके कार्यप्रणाली पर किए गये शोध को कहते हैं। इसके तहत समस्या के समाधान के लिए एक से अधिक विचारों को लागू किया जाता है।

विवरणात्मक शोध ( Descriptive Studies )- विवरणात्मक शोध सर्व व्यापक शोध है जो सामाजिक अनुसंधानों में प्रयुक्त किये जाते है। ये अध्ययन वर्तमान से सम्बन्धित रहते हैं और अनुसंधान के अन्तर्गत घटना के स्तर को निर्धारित करते है। विवरणात्मक अनुसंधानों का प्रयोग निम्नलिखित अनुसंधानों के साथ किया जा सकता है।

  1. ऐतिहासिक अनुसंधानो के साथ
  2. प्रयोगात्मक अनुसंधानो के साथ
  3. व्यक्ति अध्ययन या 'केस स्टडीज' के साथ

प्राकृतिक आपदा से बचाव

Protection from natural disaster   Q. Which one of the following is appropriate for natural hazard mitigation? (A) International AI...